झारखण्ड का साहित्य JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY

 JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY

झारखण्ड का साहित्य

जनजातीय साहित्य 

संथाल

  • झारखण्ड का संथाली साहित्य अत्यंत समृद्ध है। इस साहित्य में जंगली पशुओं को पात्र में प्रस्तुत करते हुए अधिकांश कहानियों की रचना की गई है।

  • इस भाषा का संबंध आस्ट्रिक या आग्नेय भाषा परिवार से है। 

  • संथाली भाषा पर प्रथम पुस्तक का प्रकाशन 1852 ई. में ‘एन इंट्रोडक्शन टू द संथाल लैंग्वेज’ के नाम से किया गया था। 

  • 1873 ई. में एल. ओ. स्क्रफ्सरूड द्वारा संथाली भाषा का प्रथम व्याकरणए ग्रामर ऑफ दि संथाली लैंग्वेजप्रकाशित किया गया था। 

  • 1867 ई. में सींथालिया एण्ड द संथाल (ई. जी. मन्न) तथा 1868 ई. में ए वोकेबुलेरी ऑफ संथाल लैंग्वेज (रे. ई. एल. पक्सुले) का प्रकाशन किया गया। 

  • 1899 ई. में कैंपवेल द्वारा ‘संथाली-इंग्लिश एण्ड इंग्लिश-संथाली शब्दकोष‘ का प्रकाशन किया गया था। 

  • 1929 ई. में पी. ओ. बोडिंग की मैटिरियल्स फॉर ए संताली ग्रामर का प्रकाशन किया गया। 1936 ई. में पाल जूझार सोरेन की मौलिक कविताओं का संग्रह ‘ओनांडहें बाहा डालवाक’ का प्रकाशन किया गया। 

  • संथाली का प्रथम उपन्यासहाड़मवाक् आतो’ (हाड़मा का गाँव) 1946 ई. में रोमन लिपि में प्रकाशित किया गया। इसके उपन्यासकार आर. कारर्टेयर्स थे। 

  • संथाली का दूसरा उपन्यास ‘मुहिला चेचेत दाई’ (अध्यापिका महिला) है, जिसके उपन्यासकार ननकू सोरेन हैं।

  • देवनागरी लिपि में संथाली का प्रथम काव्य-संग्रहकुकमू ‘ (स्वप्न) बाल किशोर साहु द्वारा लिखा गया।

  • पंडित रघुनाथ मुर्मू  ने सन् 1941 में संथाली भाषा के लिए ‘ओलचिकी’ लिपि की खोज की है। 

  •  संथाली भाषा का प्रथम साहित्यिक नाटक रघुनाथ मुर्मू द्वारा लिखित ‘विदू-चांदन‘ है। इसका पहली बार 1942 में उड़िया लिपि में प्रकाशन किया गया।


  • संथाली भाषा का प्रथम समाचार पत्र ‘होड़ संवाद‘ था, जिसका संपादन 1947 ई. में डोमन साह समीर (संथाली भाषा का भारतेंदु) द्वारा किया गया। 

  • 1947 ई. में ही मैकफेल की एन इन्ट्रोडक्शन टू संथाली का प्रकाशन किया गया। 

  • 1951 ई. में डोमन साहू समीर द्वारा ‘संथाली प्रवेशिका‘ तथा केवल सोरेन द्वारा ‘हिंदी-संथाली’ कोष का प्रकाशन किया गया। दोनों ही पुस्तकें देवनागरी लिपि में थी। 

  • 1953 ई. में शारदा प्रसाद किस्कु द्वारा देवनागरी लिपि में 41 कविताओं का संग्रहभुरका इंपिल‘ का प्रकाशन किया गया। 

  • 1953 ई. में ही डोमन साहू समीर की पुस्तक ‘दिसोम बाबा’ का प्रकाशन किया गया। इसमें देवनागिरी लिपि में छंद के रूप में संथाली लोकगीत हैं। 

  • मोगला सोरेन को संथाली नाटक ‘राही रावण काना‘ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।


संथाली रचनाकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार 

वर्ष

रचनाकार

रचना

2005 

जदुमणि बेसरा

भावना (कविता संग्रह)

2006

रामचंद्र मुर्मू

गुरू गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू (जीवनी)

2007

बादल हेम्ब्रम

मानमि (कहानी संग्रह)

खेरवाल सोरेन

चेत रे चिकायेना (नाटक)

2008

दमयंती बेसरा

शाय साहेद (कविता संग्रह)

2009

भोगला सोरेन

राही रांवाक् काना (नाटक)

2010

आदित्य कुमार मरांडी

बंचाओ लरहाई (कविता संग्रह)

2011

2012

गंगाधर हांसदा

बंचाओ अकन गोज होड़ (कहानी संग्रह)

2013

अर्जुन चरण हेम्ब्रम 

चंदा बोंगा (कविता संग्रह)

2014

जमादार किस्कू

माला मुदम (नाटक)

2015

रबि लाल टुडू

पारसी खातिर (नाटक)

2016

गोबिन्द चंद्र माँझी

नालहा (कविता)

2017

भुजंग टुडू

ताहेनाञ् ताङिरे (कविता संग्रह)

2018

श्याम बेसरा ‘जीवी रेरेक’ 

मरोम (उपन्यास)

2019

काली चरण हेम्ब्रम

सिसिरजाली (कहानी संग्रह)

2020

 

मुण्डारी 

  • सोंगा-बोंगा मुण्डारी साहित्य की एक प्रमुख कथा है जो देवड़ा द्वारा धार्मिक रीति के साथ कही जाती है। सोंगा-बोंगा को बैलेट के रूप में गढ़ा गया है। 

  • मुण्डारी पर सर्वप्रथम 1873 में जे. सी. व्हिटली द्वारा ‘मुण्डारी प्राइमर‘ पुस्तक लिखी गई।

  •  मुंडारी भाषा की पहली व्याकरण ‘मुण्डारी ग्रामर‘ का प्रकाशन 1882 ई. में ए. नोट्रोट द्वारा किया गया। इन्होनें 1899 ई. में मुण्डारी बाइबिल नामक पुस्तक लिखी।

  •  1891 ई. में एस. जे. डी. स्मेट की मुण्डारी ग्रामर का प्रकाशन हुआ। 

  • फादर हॉफमैन ने 1896 ई. में मुण्डारी फर्स्ट प्राइमर तथा 1903 ई. में मुण्डारी ग्रामर नामक पुस्तक लिखी। 

  • 1912 ई. में एस. सी. राय द्वारा लिखित ‘मुण्डाज एंड देयर कंट्रीज’, 1915 में हॉफमैन द्वारा लिखित ‘इनसाइक्लोपीडिया मुण्डारिका‘ तथा 1986 में पी. के. मित्रा द्वारा लिखित ‘मुण्डारी फोकटेल’ इस भाषा की प्रमुख पुस्तकें हैं। इनसाइक्लोपीडिया मुण्डारिका को मुण्डारी भाषा एवं साहित्य का विश्वकोष माना जाता है। 

  • मुण्डा दुरहमुण्डारी लोकगीतों का संकलन है जिसकी रचना डब्लू. जी. आर्चर ने 1942 ई.  में की।

  • 1956 ई. में पी. के. मित्रा ने मुण्डारी फोक टेल नामक पुस्तक लिखी।

  •  वर्ष 2000 में रामदयाल मुण्डा द्वारा लिखित ‘मुण्डारी टुड कोठारि‘ नामक पुस्तक हेतु उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त हुआ। 

  • मुण्डारी भाषा की कुछ अन्य प्रमुख पुस्तकें बज रही बाँसुरी व सोसो बोंगा (जगदीश त्रिगुणायत), चंगा दुरंड (बलदेव मुण्डा), बिरसा भगवान नाटक (सुखदेव वरदियार) आदि हैं। 

  • इस भाषा में जयपाल सिंह द्वारा ‘आदिवासी सकम‘ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया गया था। 

  • मुण्डारी लोक कथाएँ‘ नामक पुस्तक के लेखक जगदीश त्रिगुणायत हैं। 


हो  भाषा

  • हो भाषा की अपनी शब्दावली एवं उच्चारण पद्धति है। 

  • हो भाषा की प्रथम पुस्तक ‘द ग्रामेटिकल कंस्ट्रक्शंस ऑफ द हो लैंग्वेज‘ का प्रकाशन 1840 ई. में किया गया।

  • 1866 ई. में भीमराम सुलंकी की ‘हो काजी-व्याकरण ग्रंथ’ का प्रकाशन किया गया। 

  • 1902 ई. में एन. के. बोस तथा सी. एच. बोम्बावस द्वारा हो जनजातियों के लोकगीतों पर पहली पुस्तक ‘फोकलोर ऑफ द कोल्हान‘ का प्रकाशन किया गया। 

  • 1905 ई. में ए. नोट्राट की पुस्तक ‘ग्रामर ऑफ द कोल‘ का प्रकाशन किया गया। 

  • 1915 ई. में लियोनल बरो की ‘हो ग्रामर’ का प्रकाशन किया गया। 

  • 1930 में हाफमैन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘एनसाइक्लोपीडिया मुण्डारिका’ में भी हो भाषा के अनेक लोकगीतों एवं लोक कथाओं का संकलन है। 

  • डब्लू. जी. आर्चर की पुस्तक ‘हो दूरङ‘ में हो लोकगीतों का संकलन है। यह पुस्तक देवनागिरी लिपि में है।इसे हो साहित्य का महाकाव्य कहा जाता है। इसका प्रकाशन 1942 ई. में किया गया। 

  • किसी हो व्यक्ति द्वारा लिखित पहली पुस्तक का नाम ‘रूमुल’ है। इसे सतीश कोड़ा सेंगल द्वारा लिखा गया है। 

  • हो भाषा की अन्य प्रमुख पुस्तकें भीम राम सोलंकी द्वारा लिखित ‘हो काजी’, लियोनल बरो की ‘हो ग्रामर’, हो ग्रामर एंड वोकेबुलरी आदि हैं। 


खड़िया

  •  खड़िया का लिखित साहित्य अभी विकासशील अवस्था में है। 

  • 1894 ई. में जी. सी. बनर्जी द्वारा लिखित ‘इंट्रोडक्शन टू खड़िया लैंग्वेज‘, 1934 में फ्लोर चेइसंस द्वारा लिखित पुस्तक ‘खड़िया शब्दकोष‘ का प्रकाशन किया गया। 

  • 1937 में एस. सी. राय ने खड़िया लोकगीतों, लोक-कथाओं तथा मंत्रों को ‘द खड़ियाज‘ नामक पुस्तक में संकलित किया। 

  • 1942 ई. में डब्लू. जी. आर्चर द्वारा खड़िया लोकगीतों को ‘खड़िया ओलोंग‘ नामक पुस्तक में संकलित किया गया। 

  • खड़िया भाषा की प्रमुख पत्रिकाएँ ‘तारदी- और ‘जोहार‘ का प्रकाशन भी किया गया।


कुडुख

  • झारखण्ड की सभी क्षेत्रीय भाषाओं में सर्वाधिक लिखित साहित्य कुडुख भाषा में ही उपलब्ध है। 

  • 1874 ई. में ओ. फ्लैक्स द्वारा ‘एन इंट्रोडक्शन टू उराँव लैंग्वेज’ तथा सर जार्ज कैंपवेल द्वारा ‘स्पेरिमेंस ऑफ लैंग्वेज ऑफ इण्डिया‘ नामक पुस्तक की रचना की गई। 

  • 1886 ई. में एफ. वैच की ‘ब्रीफ ग्रमार एंड वोकेबुलरी ऑफ उरॉव लैंग्वेज’ नामक पुस्तक की रचना की गई। 

  • फर्डिनेंट हॉन द्वारा 1898 ई. में ‘कुडूख ग्रामर‘ तथा 1903 ई. में ‘कुडुख-अंग्रेजी डिक्शनरी‘ की रचना की गयी। 

  • 1909 ई. में ए. ग्रिनार्ड द्वारा ‘कुडुख फोकलोर‘ नामक पुस्तक की रचना की गई। 

  • 1924 ई. में ए. ग्रिनार्ड ने ‘ए उराँव इंग्लिश डिक्शनरी’ तथा 1941 में रेवहॉन व डब्लू. जी. आर्चर ने ‘लील-खोरा-खेखेल‘ नामक पुस्तक का प्रकाशन किया। 

  • 1949 ई. में अहलाद तिर्की ‘कुडुख सरहा‘ नामक व्याकरण की रचना की।

  • कवि बिहारी लकड़ा ने 1950 में कुडुख गीतों का संकलन ‘कुडुख दांडी‘ प्रकाशित किया। इन्हें 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

  • 1950 ई. में देवले कुजूर की कविता संग्रह ‘मुता-पूँप-झुपा’ का प्रकाशन किया गया। 

  •  1940 ई. में इग्नेश बे ने ‘विजबिनको’ तथा 1949 ई. में अहलाद तिर्की ने ‘बोलता’ एवं ‘धुमकुड़िया‘ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया।

सदानी साहित्य 

खोरठा 

  •  यह खरोष्ठी लिपि से संबंधित है तथा खरोष्ठी का ही अपभ्रंशित रूप है।

  •  सिंधु सभ्यता के लोग खरोष्ठी लिपि का प्रयोग करते थे। 

  • खोरठा साहित्य में अधिकतर राजा-रानी तथा राजकुमार राजकुमारी आदि की कथाएँ मिलती हैं।


खोरठा से संबंधित प्रमुख रचनाएँ तथा रचनाकार:

श्रीनिवास पानुरी 

1950

मेघदूत 

1951

तितकी

1954

दिव्य ज्योति

1954

बाल किरण (कविता संग्रह)

1957

मातृभाषा (प्रथम खोरठा पत्रिका)

1970

खोरठा (पाक्षिक पत्रिका)

गजाधर महतो 

1988

पुटुस फूल (कहानी संग्रह)

सुकुमार

1992

डाह (नाटक)

वंशीडाल

1992

डिडाक डोआनी

फूलचंद महतो

1993

भीमसेक संत

श्याम सुंदर

1995

मुक्तिक डहर 

गिरधारी गोस्वामी

1999

लुआठी (खोरठा पत्रिका)

ए. के. झा

मेका मेकी न मेटमाट

नागपुरी 

  • नागपुरी का लिखित साहित्य अत्यंत समृद्ध है।

  • 1896 ई. में ई. एच. व्हिटली द्वारा नागपुरी का प्रथम व्याकरणनोट्स ऑन दि गँवारी डायलेक्ट ऑफ लोहरदगा, छोटानागपुरी‘ की रचना की गई।


 नागपुरी से संबंधित प्रमुख रचनाएँ तथा रचनाकार:

रचना     

रचनाकार 

नागवंशावली  

  बेनीराम महथा 

नागुपरी फागशतक, लाल रंजना, झूमर 

  घासीराम 

महाभारत, सुदामा चरित्र, लंका कांड, उषा हरण, कृष्ण चरित्र 

    कंचन

जीतिया कहानी, श्रीगणेश चौथ कहानी, फोगली बुड़िया कर कहानी, करम महात्मय 

    धनीराम बख्शी 

कांटी, नेरूआ लोटा उर्फ सांस्कृतिक अवधारणा 

  बी.पी. केसरी 

सेवा और नौकरी, तेतर की छाँह 

  श्रवण गोस्वामी 

मरंङ गोमके : जयपाल सिंह, महाराजा मदरा मुण्डा 

गिरिधारी राम गोंझू 

सोनझइर 

प्रफुल्ल कुमार राय 

खुंखड़ी रूगड़ा 

काली कुमार सुमन 

हनल चरित्र

देवघरिया

पंचपरगनिया 

  •  विनोदिया कवि / विनोद कवि को पंचपरगनिया साहित्य का आरंभकर्ता माना जाता है। 

  •  पंचपरगनिया साहित्य में क्षेत्र एवं परिवेश के प्रति सजगता तथा वैष्णव भक्ति की झलक दिखायी पड़ती है। 

  • पंचपरगनिया के कवि सोबरन ने पंचपरगनिया के कबीरपंथी धारा को प्रोत्साहित किया। 

पंचपरगनिया से संबंधित प्रमुख रचनाएँ तथा रचनाकार:

विनोद कवि (रचनाकार)

छोटानागपुर ताल मंजरी(रचना)


कुरमाली 

  • कुरमाली भाषा का प्रथम शोध डॉ० नन्दकिशोर सिंह ने किया है। 

  • कुरमाली भाषा का लिखित साहित्य अत्यंत कम मिलता है।

कुरमाली से संबंधित प्रमुख रचनाएँ तथा रचनाकार:

रचना

रचनाकार

जगरामी नारायण 

जगराम 

करम गीत 

बुधू महतो 

नेठापाला 

निरंजन महतो 

भात-भगवान, घुघौरा, साधन संगीत 

सृष्टिधर सिंह केटिआर 

कुरमाली भाषा तत्व 

खुदीराम महतो 

कपिला मंगल 

राजेन्द्र प्रसाद महतो 

पथें चलक लेहा नमस्कार 

नंद किशोर सिंह

आदि झूमरी गीत

राजा उपेंद्र नाथ सिहदेव

हिन्दी साहित्य 

गद्य साहित्य 

1. कहानी 

झारखण्ड के प्रमुख कहानीकार एवं उनकी रचनाएँ

कहानीकार

रचनाएँ

राधाकृष्ण

सिन्हा साहब (1929), रामलीला, सजला, गल्पिका, गेंदा और गुलाब

विद्याभूषण

चेहरे के नीचे चेहरा

शिवचंद्र शर्मा

कांच के तूफान, पंचदश तंत्र 

रामचंद्र वर्मा

उसर की दूब 

योगेन्द्र नाथ सिन्हा

दुम्बी हो, आसमान तारा, मूंछ की लड़ाई,  चलोबादल में छिप जाएं 

भुवनेश्वरी प्रसाद

भुवन 

शिवनंदन प्रसाद

आदि-अनादि-इत्यादि, कल्कि-पुराण

2. उपन्यास 

 झारखण्ड के प्रमुख उपन्यासकार एवं उनकी रचनाएँ


उपन्यासकार

रचनाएँ

हवलधारी रामगुप्त ‘हलधर’ 

कंगाल की बेटी 

रामचीज सिंह ‘वल्लभ’ 

राजपूतानी शान (1906), ललिता, उमाशंकर 

डॉ. द्वारिका प्रसाद

स्वयंसेवक, भटका साथी, सर्द छाया, घेरे के बाहर, गुनाह, बेलज्जत, सुनील-एक असफलता आदमी, पहिए, मम्मी बिगड़ेंगी, रंजना, संगीता के मामा, रति, बेड़िया, फुटपाथ, रूपान्तर, बोगस,

राधाकृष्ण 

रूपांतर, सनसनाते सपने 

योगेन्द्र नाथ सिन्हा 

वनलक्ष्मी, वन के मन 

गोपाल दास ‘मुंजाल’ 

पूनम : एक याद 

कमल जोशी 

बहता तिनका 

ज्योति प्रकाश 

सीधा रास्ता

शंभुनाथ मुकुल 

तलहटी के अंधेरे में 

वचन पाठक  सलिल 

स्नेह के आंसू 

बलराम श्रीवास्त 

एक दिन 

गंगा प्रसाद कौशेल 

सुकेशिनी 

शंभुनाथ प्रवासी 

बत्तियाँ गुल हैं 

आनंद शंकर माधवन 

एणाक्षी 

श्याम सुंदर घोष 

एक उलूक कथा, एक अपराजिता 

कान्हाजी तोमर 

तमाम जंगल 

शशिकर 

पल कमजोर है

रमेश कुमार बाजपेयी 

रिक्त आस्था 

वसंत कुमार 

लहरों के तीर 


अनिता रश्मि 

गुलमोहर के नीचे 

पूर्णिमा केडिया 

कच्चे सूत का बंधन 

श्रवण कुमार गोस्वामी

एक टुकड़ा सच, भारत बनाम इण्डिया, सेतू, जंगल तंत्रम, दर्पण झूठ ना बोले, मेरे मरने के बाद, राहु-केतू, चक्रव्यूह, आदमखोर, केन्द्र और परिधि, हस्तक्षेप 

विनोद कुमार 

समर शेष है 

कमल 

आखर चौरासी 

रामदीन प्रसाद 

विद्यार्थी, चलती पिटारी, वासना 

सत्यनारायण शर्मा 

आत्महता, टूटती हुई जंजीरें 

रणेन्द्र 

गायब होता हुआ देश

ऋता शुक्ला

अग्नि पर्व, समाधान, कनिष्ठा उंगली का पाप, कितने जनम वैदेही 

जयनंदन 

श्रमेव जयते, एहि नगरिया में केहि विधि रहना 

रमा सिंह 

तुम लिखोगी सत्यभामा, लौट आओ हैरी, गुलाब छड़ी, कुतो पंथा 

सतीश चंद्र 

काली माटी, वनपाथर, बीते दिन, अपना देश 

सी. भास्कर राव 

दिशा, दावानल, शोध, संघर्ष 

श्याम बिहारी लाल 

धपेल, अग्नि पुरूष 

मनमोहन पाठक 

गगन घटा घहरानी 

वासुदेव

सुबह के इंतेजार में

अवधेश शर्मा 

मिस्टर अनफिट 

रतन वर्मा 

रूक्मिणी 

देवेश तांती

काल पुरूष

3. नाटक 


झारखण्ड के प्रमुख नाटककार एवं उनकी रचनाएँ

नाटककार

उनकी रचनाएँ

अनंत सहाय  अखौरी 

ग्रह का फेर (1913) 

द्वारिका प्रसाद

आदमी 

राधाकृष्ण

भारत छोड़ो, 1947, अधिक अन्न उपजाओ, बिगड़ी हुई बात

सिद्धनाथ कुमार

सृष्टि की सांझ, वो अभी क्वारी है 

रामदीन पाण्डेय

जीवन यज्ञ, ज्योत्सना 

स्वामी शिवानंद तीर्थ 

संथाल बोधोदय 

सिद्धनाथ कुमार

रंग और रूप, सृष्टि की सांझ, ‘आदमी है, नहीं है’, वो अभी क्वारी है, रास्ता बंद है, मुर्दे जिएंगे, रोशनी शेष है, अशोक, आतंक

आनंद बिहार शरण 

आशियाना, देश के लिए 

श्रवण कुमार गोस्वामी 

पति सुधार केन्द्र, समय, हमारी मांगें पूरी करो 

बाल मुकुंद पैनाली 

मुल्क और मजहब, रावण, चम्बल का प्रतिशोध, रावण वध 

अमरनाथ चौधरी

एकांकी संग्रह, इंद्रधनुष 

रतन प्रकाश

तलाश, ये खास लोग

अशोक पागल

कहाँ हो परशुराम, सागर तट की नदी, अमीबा, श्रुतिरंग 

शिव शंकर मिश्र 

नहीं, लड़कियाँ 

विनय कुमार पाण्डेय 

पारिजात और परिधि

अशोक कुमार अंचल 

पागलखाना 

सत्यदेव नारायण किरण 

तपस्विनी 

गिरिधारी राम गौंझू 

झारखण्ड का अमृतपुत्र : मरङ गोमके जयपाल सिंह, महाराजा मदरा मुण्डा 

अनंदिता

मांदर बज उठा 

बालेन्दु शेखर तिवारी 

मिडियोत्सव

पद्य साहित्य 


झारखण्ड के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ:

कवि

रचनाएँ:

सत्यनारायण शर्मा 

मरूपथ, निर्वास द्वीप, तूफान 

गोपाल दास ‘मुंजल’ 

घने अंधकार की ओर 

सच्चिदानंद सहाय ‘मधुकर’ 

जनानिस्तान, कनरवी, उपेक्षित, ताजमहल, ‘नहीं है, यही है’ 

राधाकृष्णन 

सोमदेव 

विद्याभूषण

सोलह सफे, शहर, नदी : एक कथा, कविताएँ सातवें दशक की 

वचनदेव कुमार

ईहामृग, ओ अजन्मा सुनो, कविताएँ बेमौसम की, पृथ्वी पुत्र, ‘वृत्त एक, बिन्दु अनेक’, कविताएँ धूप-छाँव की 

काशीनाथ पाण्डेय 

उजाड़ का एक कवि 

कृष्णराज गुप्त 

लेमनचूस 

प्रभु नारायण विद्यार्थी

अंकुर, ईश्वर अनागरिक है, कितना कुछ, परिवेश का दर्द 


अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ रचनाएँ

रचनाएँ 

रचनाकार 

आदि धर्म

डॉ. रामदयाल मुण्डा 

कोचे कड़बा (नाटक)

सोलेमान मुरमू 

खेरवाल बांशो धोरोम पुथी  

माँझी रामदास टुडू 

अरण्येर अधिकार

महाश्वेता देवी (यह उपन्यास बांग्ला भाषा में लिखी गयी है तथा मुण्डा विद्रोह ) पर आधारित है। 

झारखण्ड : कॉसल ऑवर ग्रेव्स” 

(झारखण्ड : कब्रों पर महल) 

विक्टर दास 

मरंग घोड़ा नीलकंठ हुआ 

डॉ. महुआ माजी

झारखण्ड के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लेखक एवं उनकी पुस्तकें

(विभिन्न परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों पर आधारित)

लेखक

पुस्तकें

तुहीन सिन्हा

द थींग काल्ड लव (प्रथम पुस्तक), द एज ऑफ पावर, ऑफ लव एण्ड पालिटिक्स, 22 याड्स, द एज ऑफ डिजायर, डैडी- द बर्थ ऑफ फादर 

स्वपनील पाण्डे

द सोल्जर्स गर्ल 

नीलोत्पल मृणाल (दुमका)

डार्क हार्स एक अनोखी कहानी, औघड़ (इन्हें 2016 में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार प्राप्त हुआ है)

निकीता सिंह 

लव @ फेसबुक (पहली पुस्तक – 2011), 

एवरी टाइम इट रैंस 

काजोल आयकत 

आसनसोल एमीगोज (19 वर्ष की उम्र में पहली पुस्तक), रिजन टू लिव, द कॉटन सिड 

ज्ञान सिंह (मेदिनीनगर) 

समथिंग लाइक लव 

जोबा मुर्मू

ओलोन बाहा (अलंकार पुष्प) – बाल साहित्य पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

देवकी नंदन 

निधरे आँखी जलान्खी पाते*

रघुनाथ मुर्मू 

विंदु चांदन (संथाली साहित्य) 

गणेश देवस्कर 

देसर कथा (अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था) *

रामदयाल मुण्डा 

आदि धरम, मुण्डारी टुड को ठारि 

चेतन महाजन 

द बैड वॉइस ऑफ बोकारो जेल* 

वचनदेव कुमार 

ओ अजन्मा सुनो (काव्य) 

अनुज लुगुन 

बाघ और सुगना मुण्डा की बेटी

(2009 में राष्ट्रीय मुक्तिबोध पुरस्कार तथा 2011 में भारत भूषण अग्रवाल

पुरस्कार से सम्मानित) 

राम कृष्ण सिंह 

द रीवर रिटर्नस 

गजेन्द्र ठाकुर

कुरूक्षेत्र अंतरमनम (मैथिली भाषा) 

प्रतिभा प्रसाद

आखिर एक दिन 

श्रीकांत सोरेन

हरयार मयम (कविता संग्रह

दिनेश्वर प्रसाद

बजीरा पानी पीता (कहानी संग्रह), संझावली (कविता संग्रह), वज्जिका वरबै रामायण (महाकाव्य), बेचरा केवट उदास है एवं डीहकथा (संस्मरण) 

हाँसदा सोवेन्द्र शेखर  

द मिस्टीरीयस एलाइमेंट ऑफ रूगी बास्के, द आदिवासी वील नोट डांस (प्रतिबंधित कर दिया गया है)


अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 

  • झारखण्ड के आरंभिक कवियों में वैद्यनाथ पोद्दार (बैजू बाबू), चिरंजी लाल शर्मा, कवि संचिवी, कविराज देवकी नंदन शर्मा आदि प्रमुख हैं। 

  • चिरंजी लाल शर्मा हास्य प्रधान कवि थे। 

  • वैद्यनाथ पोद्दार झारखण्ड में प्रथम पीढ़ी के कहानीकार माने जाते हैं। 

  • राधाकृष्ण झारखण्ड में द्वितीय पीढ़ी के कहानीकार हैं।

  • रामची सिंह ‘वल्लभ’ के उपन्यास ‘राजपूतानी शान’ (1906) को झारखण्ड के हिन्दी साहित्य का पहला उपन्यास माना जाता है। 

  • अनन्त सहाय अखौरी के नाटक ‘ग्रह का फेर‘ (1913) को झारखण्डी हिन्दी साहित्य का पहला नाटक माना जाता है। 

  • संथाली भाषा का प्रथम छोटी कहानी का संग्रहकुकमु‘ है।

JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY

Leave a Reply