मौर्य काल
- मगध से दक्षिण भारत की ओर जाने वाला व्यापारिक मार्ग झारखण्ड से होकर जाता था।
कौटिल्य का अर्थशास्त्र
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इस क्षेत्र को कुकुट/कुकुटदेश नाम से इंगित किया गया है।
- कुकुटदेश में गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली स्थापित थी।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने आटविक नामक पदाधिकारी की नियुक्ति की थी, जिसका उद्देश्य
- जनजातियों का नियंत्रण।
- इन्द्रनावक नदि – हीरे प्राप्त किये जाते थे।
- ईब और शंख नदियों का इलाका था।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में सेना के प्रयोग हेतु झारखण्ड से हाथी मंगवाया जाता था।
अशोक
- अशोक के 13वें शिलालेख में समीपवर्ती राज्यों की सूची मिलती है
- आटविक/आटव/आटवी प्रदेश (बघेलखंड से उड़ीसा के समुद्र तट तक विस्तृत) – झारखण्ड शामिल
- अशोक का झारखण्ड की जनजातियों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण था।
- अशोक के पृथक कलिंग शिलालेख-II
- ‘इस क्षेत्र की अविजित जनजातियों को मेरे धम्म का आचरण करना चाहिए, ताकि वे लोक व परलोक प्राप्त कर सकें।
- अशोक ने झारखण्ड में बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु रक्षित को भेजा था।
- झारखण्ड में अशोक कालीन कला का विवरण प्राप्त नहीं हुआ है
मौर्योत्तर काल
- मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में अपने-अपने राज्य स्थापित किये। इसके अलावा भारत का विदेशों से व्यापारिक संबंध भी स्थापित हुआ जिसके प्रभाव झारखण्ड में भी दिखाई देते हैं।
- सिंहभूम
- सिंहभूम से रोमन साम्राज्य के सिक्के
- चाईबासा
- चाईबासा से इंडो-सीथियन सिक्के प्राप्त
- राँची
- राँची से कुषाणकालीन सिक्के प्राप्त – क्षेत्र कनिष्क के प्रभाव में था।
गुप्त काल
- गुप्त काल – भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग
- हजारीबाग के मदुही पहाड़ – गुप्तकालीन पत्थरों को काटकर निर्मित मंदिर प्राप्त हुए हैं।
- झारखण्ड में गुप्तकाल की देन – मुण्डा, पाहन, महतो तथा भंडारी प्रथा
समुद्रगुप्त
- गुप्त वंश का शासक समुद्रगुप्त – भारत का नेपोलियन
- समुद्रगुप्त ने पुण्डवर्धन को अपने राज्य में मिला लिया, जिसमें झारखण्ड का विस्तृत क्षेत्र शामिल था।
- समुद्रगुप्त के शासनकाल में छोटानागपुर को मुरुण्ड देश कहा गया है।
- समुद्रगुप्त के प्रवेश के पश्चात झारखण्ड क्षेत्र में बौद्ध धर्म का पतन प्रारंभ हो गया।
चन्द्रगुप्त द्वितीय “विक्रमादित्य’
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल में चीनी यात्री फाह्यान 405 ई. में भारत आया था जिसने झारखण्ड क्षेत्र को कुक्कुटलाड कहा है।
गुप्तोत्तर काल
शशांक
- गौड़ (पश्चिम बंगाल) का शासक
- शशांक के साम्राज्य का विस्तार – झारखण्ड, उड़ीसा तथा बंगाल तक
- शशांक के दो राजधानियाँ
- 1. संथाल परगना का बड़ा बाजार
- 2. दुलमी
- प्राचीन काल का प्रथम शासक , जिसकी राजधानी झारखण्ड क्षेत्र में थी।
- शशांक शैव धर्म का अनुयायी था
- इसने झारखण्ड में अनेक शिव मंदिरों का निर्माण कराया।
- वेणुसागर मंदिर– सिंहभूम और मयूरभंज की सीमा पर , कोचांग में स्थित है।
- इसने झारखण्ड में अनेक शिव मंदिरों का निर्माण कराया।
- शशांक ने बौद्ध धर्म के प्रति असहिष्णुता की नीति
- शशांक ने झारखण्ड के सभी बौद्ध केन्द्रों को नष्ट कर दिया।
हर्षवर्धन
- वर्धन वंश का शासक
- इसके साम्राज्य में काजांगल (राजमहल) का कुछ भाग शामिल था।
- काजांगल (राजमहल) में ही हर्षवर्धन ह्वेनसांग से मिला।
अन्य तथ्य
- नंद वंश के समय झारखण्ड मगध साम्राज्य का हिस्सा था।
- नंद वंश की सेना में झारखण्ड से हाथी की आपूर्ति की जाती थी।
- इस सेना में जनजातीय लोग भी शामिल थे।
- झारखण्ड के ‘पलामू’ में चंद्रगुप्त प्रथम द्वारा निर्मित मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- कन्नौज के राजा यशोवर्मन के विजय अभियान के दौरान मगध के राजा जीवगुप्त द्वितीय ने झारखण्ड में शरण ली थी।
- उड़ीसा के राजा जय सिंह ने स्वयं को झारखण्ड का शासक घोषित किया – 13वीं सदी में