हो जनजाति
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      • हो (Ho Tribe) जनजाति झारखण्ड की चौथी सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति  [नोट : 1.संथाल 2.उराँव 3.मुण्डा 4.हो ]
      • प्रजातीय संबंध – प्रोटो-आस्ट्रेलायड समूह 
      • झारखण्ड में सर्वाधिक निवास – कोल्हान प्रमण्डल 
      • हो जनजाति की भाषा – हो भाषा [मुण्डारी (ऑस्ट्रो-एशियाटिक) परिवार ] 
      • हो भाषा की लिपि ‘बारङचित्ति‘  लिपि है। 
      • बारङचित्ति लिपि का आविष्कारक –   ‘लाको बोदरा‘ 
      • इनमे पहले मातृसत्तात्मक समाज  था, जो अब पितृसत्तात्मक हो गया है।
      • गोत्र (किली) की संख्या – 80 से अधिक 
        • गोत्र के आधार पर परिवार का गठन 

      हो जनजाति के प्रमुख गोत्र एवं उनके प्रतीक

      गोत्र

      प्रतीक

      गोत्र

      प्रतीक

      जोजो

      इमली

      पूर्ती

      चूहा

      बालमुचू

      कुमनी

      बारला 

      बड़गाछ

      हेम्ब्रम 

      लसोड़ा पेड़

       

      • सगोत्रीय विवाह निषिद्ध 
      • बहुविवाह की प्रथा प्रचलित है।
      • ममेरे भाई तथा बहन से शादी को प्राथमिकता दी जाती है।
      • विवाह को श्रेष्ठ रूप –  आदि विवाह 
        • इसमें वर विवाह का प्रस्ताव लेकर स्वयं किसी परिचित के माध्यम से वधु के घर जाता है।
      • विवाह के अन्य रूप हैं:
        • दिकू आदि विवाह 
        • अंडी/ओपोरतीपि विवाह – वर द्वारा कन्या का हरण करके विवाह
        • राजी-खुशी विवाह – वर-कन्या की मर्जी से विवाह
        • आदेर/अनादर  विवाह– वधु द्वारा विवाह होने तक वर के यहाँ बलात् प्रवेश करके रहना
      • सामाजिक व्यवस्था से संबंधित विभिन्न नामकरण:
        • युवागृहगोतिआरा
        • वधु मूल्यगोनोंग या पोन
        • गाँव का अखराएटे तुरतुड
        • ग्राम प्रधान – मुण्डा
        • मुण्डा का सहायक – डाकुआ
        • सात से बारह गाँवों का समूह – पीर / पड़हा
        • पड़हा का प्रधान – मानकी
        • पड़हा का न्यायिक प्रधान – पीरपंच
      • हो जनजाति की पारंपरिक जातीय शासन प्रणाली –  मुंडा- मानकी प्रशासन 
      • महिलाओं का हल एवं तीर-धनुष को छूना वर्जित 
      • हो जनजाति के लोगों की मूंछ एवं दाढ़ी नहीं होती है।
      • इली‘ – पवित्र पेय पदार्थ
        • देवी-देवताओं पर चढ़ाने हेतु प्रयोग 
      • प्रमुख पर्व माघे, बाहा, उमुरी, होरो, जोमनना, कोलोम आदि 
      • मुख्य पेशा  – कृषि 
      • इस जनजाति में भूमि की तीन श्रेणियाँ हैं
        • बेड़ो – निम्न एवं उपजाऊ भूमि
        • वादी – धान की खेती की जाने वाली भूमि
        • गोड़ा – मोटे अनाज की खेती हेतु कम उपजाऊ भूमि
      • सर्वप्रमुख देवता – सिंगबोंगा 
        • मरांग बुरु – पहाड़ देवता
        • पाहुई बोंगा – ग्राम देवता
        • दसाउली बोंगा – वर्षा देवता
        • नागे देवता – नाग देवता
        • ओटी बोड़ोम – पृथ्वी देवता
      • अदिग – रसोई घर के एक कोने में पूर्वजों का पवित्र स्थान 
      • धार्मिक प्रमुख – दिउरी (पुरोहित)