31.सबर जनजाति
- झारखण्ड में इनका निवास मुख्यतः सिंहभूम क्षेत्र(ढालभूम) में है।
- सबर जनजाति को पहाड़ी खड़िया भी कहा जाता है
- सबर जनजाति का संबंध है।
- प्रोटो ऑस्ट्रेलायड समूह
- मुण्डा जनजातीय समूह
- यह झारखण्ड की अल्पसंख्यक आदिम जनजाति है।
- इस जनजाति का उल्लेख निम्न में मिलता है।
- त्रेता युग
- महाभारत महाकाव्य
- इनकी चार प्रमुख उपजातियाँ है
- जाहरा – झारखण्ड में पायी जाती है
- बासु -उड़ीसा में
- जायतापति -उड़ीसा में
- झरा
- 1871 में इन्हें आपराधिक जनजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- साहित्यकार महाश्वेता देवी ने विशेष रूप से सबर जनजाति पर काम किया है।
- इनका समाज पितृसत्तात्मक होता है।
- इस जनजाति में निम्न प्रथाए नहीं पायी जाती है।
- इस जनजाति में वधु मूल्य को ‘पोटे‘ कहा जाता है।
- इस जनजाति में लोकप्रिय नृत्य है।
- डोमकच
- पंता साल्या नृत्य
- इनके परंपरागत पंचायत का प्रमुख ‘प्रधान‘ कहलाता है।
- इनके प्रमुख देवता काली हैं।
- इस जनजाति में पूर्वज पूजा का विशेष महत्व है।
- मृत पूर्वज को ‘मसीहमान‘ या ‘बूढ़ा-बूढ़ी‘ कहा जाता ।
- सबर जनजाति के गांव का पुजारी दिहुरी कहलाता हैं