एक पथिया डोंगल महुआ (सकलन / संपादक – संतोष कुमार महतो) से – प्रथम दस (10) कविताएँ।
एक पथिया डोंगल महुआ
(Ek Pathiya Dongal Mahuwa – Khortha Book)
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एक पथिया डोंगल महुआ
(सकलन / संपादक – संतोष कुमार महतो) से – प्रथम दस (10) कविताएँ।
संतोष कुमार महतो
- जन्म – 2 सितंबर 1930, गांगजोड़ी गांव, बोकारो
- Death – 24 नवम्बर 2013
- पिता का नाम – तालो महतो
- माता का नाम – छुटमणि देवी
- उपनाम – सन्तु
- शिक्षा-
- एम.ए (भूगोल विषय) से 1956/57 में हुआ
- उन्होंने डी.वी.सी उच्च विद्यालय चंद्रपुरा में सहायक प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य किए हैं
- सेवानिवृत्त : 2 sept 1990
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कृतियाँ
- एक मउनी फूल (काव्य संकलन-31 कविता ) – 1986 / 1988 / 2003
- एक पथिया डोंगल महुआ(सं. काव्य संगरह-41 कविता ) – 1990 /2005
- हमनी सब एक
- आगू करब आपन देश
- एखनेक जिनगानी (कविता )
- इस कविता में भूतकाल के सुख और वर्तमान काल के दुख का वर्णन किया गया है
- इसी में झारखंड की हरी भरी धरती में कारखानों के खुलने से यहां का हवा पानी मलिन हो गई है उसके बारे में भी वर्णन किया गया है
- पथिया – छोटी टोकरी
- डोंगल = यहाँ-वहाँ से चुन लिए गए
- महुआ – महुआ फूल
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खोरठा शब्दों के प्रतीकात्मक अर्थ
- पथिया – छोटी पुस्तिका का प्रतीक है।
- डोंगल – यहाँ, वहाँ से चुन कर ली गई
- महुआ – कविताओं का प्रतीक है।
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- पुस्तक का प्रकार – कविताओं का संकलन/ संग्रह
- सम्पादन/ संकलनकर्ता /जोहड़वइया/डोंगवइया – श्री संतोष महतो
- प्रकाशन वर्ष –
- प्रथम संस्करण 1990 ई.,
- द्वितीय संस्करण- 2005 ई.
- प्रकाशक – राममधन प्रकाशन
- मुद्रक – छोटानागपुर प्रेस ,चास बोकारो
- भूमिका लेखक – डॉ. दयानंद बटोही, सम्पादक, नई लहर, बोकारो
- दु टूक बात – श्री संतोष महतो
- संकलित कविताओं की संख्या – 47
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इस संकलन में संतोष कुमार महतो की 5 कविताएँ हैं-
- 1. रूसल भोला
- 2. जनक पुरेक नेवता
- 3. सहानुभुति से बोड़ो संपति
- 4. एखन बांचि रहाभेलो दाम
- 5. आपन घरहि आपन नायं
विश्वनाथ दसौंधी ‘राज’ की 6 कविताएँ-
- 1. आपन भासा
- 2. खोरठा भासी
- 3. धानिक बरद
- 4.तनि सुन रे मानुस
- 5. गुलाब आर परास
- 6. पाथर
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ए. के. झा की 2 कविताएँ –
- 1. आइझ एकाइ खोरठा
- 2. तबे हले हामें कबिनायं.
बंशीलाल बंशी की दो कविताएं
- 1. छुनुमुनु नुनी हामर
- 2. दुखेक सुरें सुखेक हांसि
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सुकुमार की 2 कविताएं
- 1. आगु करम आपन देश
- 2.ढढनच
- श्रीनिवास पानुरी की एक कविता – हामनि सब एक
- शिवनाथ प्रमाणिक की एक कविता – मेढ़ आर मानुस,
- डॉ. विनोद कुमार की एक कविता – देसेक जुआनन
- दिनेश दिनमणि की एक कविता – सोंचा उपाय