सबर
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  • झारखण्ड में सबर जनजाति (Sabar Tribe) का निवास मुख्यतः सिंहभूम क्षेत्र(ढालभूम) में है। 
  • सबर जनजाति को पहाड़ी खड़िया भी कहा जाता है
  • सबर जनजाति का संबंध है। – प्रोटो ऑस्ट्रेलायड समूह , मुण्डा जनजातीय समूह 
  • यह झारखण्ड की अल्पसंख्यक आदिम जनजाति है।
  • इस जनजाति का उल्लेख (त्रेता युग or महाभारत महाकाव्य निम्न में मिलता है।
  • इनकी चार प्रमुख उपजातियाँ है
    • 1.जाहरा  – झारखण्ड में पायी जाती है
    • 2.बासु  -उड़ीसा में
    • 3.जायतापति -उड़ीसा में
    •  4.झरा
  • 1871  में इन्हें आपराधिक जनजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • साहित्यकार महाश्वेता देवी ने विशेष रूप से सबर जनजाति पर काम किया है। 
  • इनका समाज पितृसत्तात्मक होता है।
  • इस जनजाति में निम्न प्रथाए नहीं पायी जाती है।
    • गोत्र की प्रथा 
    • बहुविवाह की प्रथा
    • युवागृह
  • इस जनजाति में वधु मूल्य को ‘पोटे‘ कहा जाता है।
  • इस जनजाति में लोकप्रिय नृत्य  है।
    • डोमकच 
    • पंता साल्या नृत्य
  • इनके परंपरागत पंचायत का प्रमुख ‘प्रधान‘ कहलाता है।
  • इनके प्रमुख देवता काली हैं।
  • इस जनजाति में पूर्वज पूजा का विशेष महत्व है।
    • मृत पूर्वज को ‘मसीहमान‘ या ‘बूढ़ा-बूढ़ी‘ कहा जाता ।
  • सबर जनजाति के गांव का पुजारी दिहुरी कहलाता हैं