रौलेट एक्ट, 1919
Rowlatt Act, 1919
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भारत में क्रान्तिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय भावना को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश ‘सर सिडनी रौलट’ की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त की।
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कमेटी ने 1918 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
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समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को ही रॉलेक्ट एक्ट के नाम से जाना जाता है
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रौलट एक्ट 8 मार्च, 1919 ई. को लागू किया गया था।
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इस एक्ट के द्वारा एक विशेष न्यायालय की स्थापना की गई जिसमें उच्च न्यायालय के तीन वकील थे
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इस अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि मजिस्ट्रेट संदेह के आधार पर ही किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल के लिये जेल में डाल सकता है।
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इसे ‘बिना वकील, बिना दलील तथा बिना अपील’ का कानून कहा जाता है। इसे ‘काले कानून/आतंकवादी अपराध अधिनियम’ ‘ की भी संज्ञा दी जाती है।
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गांधी जी ने रॉलेक्ट एक्ट के विरोध सत्याग्रह(सत्य के लिये आग्रह करना)-प्रथम जन आंदोलन को प्रारंभ 6 APRIL 1919 की घोषणा की।
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महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के विरोध हेतु ‘सत्याग्रह सभा‘ की स्थापना फरवरी 1919 में की थी।
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9 अप्रैल (कुछ स्रोतों में 8 अप्रैल) को गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया।
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18 अप्रैल को आंदोलन वापसी की घोषणा की।
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