तिरिया चरित , नागपुरी लोक कथा , (Nagpuri lok katha tiriya charit )

  

तिरियाँ चरित ( हिन्दी ) 

‘ तिरियाँ चरित ‘ लोककथा ‘ नगपुरिया सदानी साहित्य ‘ नामक लोककथा से ली गयी है । यह नागपुरी लोककथा का पहला संग्रह है । इसके संग्रहकर्ता हैं फॉ पीटर शांति नवरंगी ।

तिरिया चरित , नागपुरी लोक कथा , Nagpuri lok katha tiriya charit 

‘ तिरियाँ चरित ‘ लोककथा में एक ऐसे राजकुमार की कहानी है जो दुनिया की सारी विद्याओं को जानते हुये भी ‘ तिरियाँ चरित ‘ को नहीं जानता है । अपनी पत्नी के कहने पर वह इस विद्या को सीखना चाहता है । इसे सीखने के क्रम में राजकुमार एक साहु दम्पति पर नजर रखता है । सहुवाइन का पति व्यवसाय करने के लिये प्रदेश गया हुआ है । इधर साहु की पत्नी अपने पति के प्रदेश जाने के बाद एक साधु के प्रेमजाल में फंस जाती है और हर रात साधु से मिलने के लिये मंदिर जाती है । साथ में उस साधु के लिये खाना भी बना कर ले जाती है । तीन महीने के बाद जब पैसा कमाकर के साहु प्रदेश से वापस घर लौटता है तो उसकी पत्नी उसे खाना पीना और खूब सेवा सत्कार करती है । सेवा सत्कार करते काफी देर हो जाती है । जब सहुवाइन साधु के पास पहुँचती है तो देर होने की वजह से साधु काफी नाराज होता है । साधु के कहने पर वह अपने पति का सिर काट डालती है । यह देखकर साधु उसका तिरस्कार करता है और कहता है कि  जब तुम अपनी पति की नहीं हुई तो मेरी क्या होगी । साधु उसे वहाँ से भगा देता है । सहुवाइन जब अपने पति की चिता में सती होने जाती है तब राजकुमार पूछता है कि ‘ उ तो इ का ? ‘ सहुवाइन इसका भेद जानने के लिये राजकुमार को अपनी बहन का पता देती है । इसके पशचात राजकुमार उसकी बहन से मिलने के उपरांत उस भेद को जानने के लिये पाताल लोक पहुँचता है और पाताल परी के प्रेम जाल में फंस जाता है । पाताल परी के प्रेम जाल में फंस कर राजकुमार भी अपने बेटे की बलि देकर उस तक पहुँचना चाहता है कि तभी उसे ‘ तिरियाँ चरित ‘ विद्या का ज्ञान उसे मिल जाता है । 


इस विद्या का खुलासा इस प्रकार होता है- ‘ पर पुरूख चाहे पर तिया कर पेरेम में परले सुइध – बुध हेराय जायला आउर अदमी बेस – बेकार के समझेक नि पारेला । देखु , मोर बहिन साधु का पेरेम में पइर । के आपन पुरूख कर मुँड़ काइट धरलक । आउर राउरे हों परी कर पेरेम जाल में अइसन माइत जाय ही जनाना के छोइड़ राखली , आपन बेटा छउवा के ठइक आनली आउर राउरे हों आपन बेटा कर जान लेवेंक ले – तेयार भेली । ‘ यही मर्म को समझाते हुये ‘ तिरियाँ चरित ‘ विद्या की जानकारी मिलने की बात सामने आती है । यह लोककथा नारी के चरित्र के साथ ही साथ पुरूष के चरित्र को भी उजागर करती है । 

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