7. कोरा जनजाति

  • प्रजातीय संबंध –  प्रोटो-आस्ट्रेलायड समूह
    • द्रविड़ प्रजाति समूह – रिजले के अनुसार 
  • झारखंड की अल्पसंख्यक जनजाति 
  • कोरा जनजाति को 1931 की जनगणना में सूचीबद्ध किया गया
  • अन्य नाम –  ‘दांगर‘ भी कहा जाता है। 
  • बोली/भाषा  का नाम –  कोरा [मुण्डारी परिवार (ऑस्ट्रो-एशियाटिक)] 
  • प्रमुख निवास स्थल – हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, सिंहभूम एवं संथाल परगना क्षेत्र 
  • पितृसत्तात्मक परिवार 
  • इस जनजाति की 7 उपजातियाँ हैं। (रिजले के अनुसार)
    • ठोलो, मोलो, सिखरिया और बदमिया वर्ग 
  • कोरा लोग घर को ओड़ा तथा गोत्र को गुष्टी कहते हैं। 
  • युवागृह – ‘गितिओड़ा’ 
  • वधु मूल्य – ‘पोन’ 
  • समगोत्रीय विवाह निषिद्ध 
  • गोदना की प्रथा पायी जाती है। 
  • परंपरागत ग्राम पंचायत का मुखिया /गांव के प्रधान –  महतो 
    • महतो का सहायक – प्रमाणिक और जोगमांझी 
    • परंपरागत पंचायत के सभी पद वंशानुगत होते हैं। 

कोरा जनजाति के प्रमुख गोत्र एवं उनके प्रतीक

गोत्र 

प्रतीक

गोत्र 

प्रतीक

मागढू

नगाड़ा

मेरोय

बकरी

बुटकोई

(सबसे नीचे)

सूअर 

कच

(सबसे श्रेष्ठ)

कछुआ 

चिखेल

गिलहरी

  • प्रमुख त्योहार –  सवा लाख की पूजा (सवा लाख देवी-देवताओं की पूजा), नवाखानी, भगवती दाय, कालीमाय पूजा, बागेश्वर पूजा, सोहराय आदि 
  • प्रमुख नृत्य – खेमटा, गोलवारी, दोहरी, झिंगफुलिया आदि 
  • परंपरागत पेशा – मिट्टी कोड़ना 
    • इस कारण इनका नाम ‘कोड़ा’ पड़ा। 
  • पूजा स्थल – पिंगी ,अखड़ा, बोगाथान , अहीरथान दादीथान आदि 
  • पुजारी को बैगा कहा जाता है।

 

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