करमाली जनजाति KARMALI TRIBE JHARKHAND
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9. करमाली जनजाति

  • झारखण्ड के सदान समुदाय की जनजाति 
  • प्रजातीय संबंध –  प्रोटो-ऑस्ट्रेलायड समूह 
  • मातृभाषा  – खोरठा 
    • बोलचाल हेतु प्रयोग –  करमाली भाषा (ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार) 
  • झारखण्ड में निवास – हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, राँची, सिंहभूम व संथाल परगना 
  • गोत्र की संख्यासात गोत्र
    •  कछुवार, कैथवार, संढवार, खालखोहार, करहर, तिर्की व सोना 

करमाली जनजाति के 7 गोत्र एवं उनके प्रतीक

गोत्र

प्रतीक

गोत्र

प्रतीक

कैथवार

एक वृक्ष

संढवार

साढ़

कछुवार 

कछुआ

सोना 

एक पदार्थ

खालखोहार 

साल वृक्ष

करहर

एक वृक्ष

तिर्की

चूहा

 

  • विवाह के रूप –  आयोजित विवाह, गोलट विवाह, विनिमय विवाह. राजी विवाह, ढुकू आदि 
  • वधु मूल्य –  ‘पोन’ या ‘हढुआ’ 
  • पंचायत के प्रमुख – मालिक 
  • प्रमुख पर्व  – टूसु पर्व (अन्य नाम- मीठा परब या बड़का परब) ,सरहुल, करमा, सोहराई, नवाखनी आदि 
  • यह एक दस्तकार या शिल्पकार जनजाति है
  • परंपरागत पेशा – लोहा गलाना ,औजार बनाना 
    • अस्त्र-शस्त्र के निर्माण में अत्यंत कुशल 
  • प्रमुख देवता –  सिंगबोंगा 
  • पुजारी – पाहन या नाया 
    • इस जनजाति में ओझा भी पाया जाता है
  • पवित्र स्थान को ‘देउकरी’ कहा जाता है।
  • करमाली  जनजाति दामोदर नदी को अत्यंत पवित्र मानते हैं।

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