पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था/उराँव जनजाति की शासन व्यवस्था JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY

 JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY


पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था/उराँव जनजाति की शासन व्यवस्था

  • यह मुख्यतः उराँव जनजाति की शासन व्यवस्था से संबंधित है। यह शासन व्यवस्था मुण्डा जनजाति की शासन व्यवस्था से मिलती-जुलती है। 

  • पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण पदों, संगठनों एवं संबंधित तथ्यों का विवरण निम्नवत् है:| 

महतो

  • इस शासन व्यवस्था में प्रत्येक गाँव का प्रधान होता है, जिसे महतो कहा जाता है। 

  • यह गाँव के स्तर के मामलों का निपटारा करता है। इस कार्य में गाँव के अनुभवी व बुजुर्ग लोग ग्राम प्रधान की सहायता करते हैं।

  • महतो के पास प्रशासनिक तथा न्यायिक दोनों प्रकार के अधिकार होते हैं। 


माँझी

  • यह महतो का सहयोगी होता है, जो महतो के पंचायती आदशों को लोगों तक पहुँचाने का कार्य करता है। 


परहा/पड़हा

  • कई गाँवो (5, 7, 11, 21 या 22) से मिलकर बनी पंचायत (अंतर्ग्रामीण पंचायत) को परहा/पड़हा कहा जाता है। 

  • पड़हा पंचायत का प्रमुख कार्य दो या अधिक गाँवों के बीच विवादों का निपटारा करना है। 

  • यह निम्न, मध्य तथा उच्च तीन स्तरों में विभक्त होता है। निम्न तथा उच्च स्तर के पंचायत में फैसले का निपटारा न होने पर उच्च पंचायत द्वारा निर्णय लिया जाता है। 

  • पंचायत की कार्यवाही में पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं की भी सहभागिता होती है। 


पड़हा राजा

  • यह पड़हा पंचायत का प्रमुख होता है। वैसे मामले जिनका निपटारा ग्रामीण स्तर पर महतो द्वारा नहीं किया जा सका, उसे पड़हा राजा को हस्तांतरित कर दिया जाता है। 

पड़हा दीवान

  • यह सर्वोच्च पदधारी है जो सर्वोच्च न्यायालय की तरह कार्य करता है। यह सभी पड़हा राजाओं से ऊपर होता है तथा इनके बीच समन्वय बनाता है। 

  • पड़हा राजा द्वारा अनिर्णित मामलों को पड़हा दीवान को हस्तांतरित किया जाता है।


पाहन

  • यह गाँव का धार्मिक प्रधान होता है। गाँव के सभी धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, पर्व-त्योहार, शादी विवाह आदि से संबंधित कार्यक्रमों का संचालन पाहन द्वारा ही किया जाता है।

  • यह पद किसी शादी-शुदा व्यक्ति को ही मिलता है। 

  • पाहन को दी जाने वाली भूमि पहनई भूमि कहलाती है। 


बैगा

  • इसे वैद्या भी कहा जाता है। यह पाहन को सहयोग करता है। 

  • यह सामान्यतः ग्रामीण देवताओं की पूजा कर उन्हें शांत करने का कार्य करता है।

  •  महतो के कार्यभार पूर्व बैगा ही गाँव का पुरोहित एवं लौकिक प्रधान था।

डाडा पड़हा

  • यह कई गाँवों को मिलाकर बनाया गया संगठन है। 

  •  इसमें पड़हा के प्रत्येक गाँव को सदस्यता के रूप में अधिकार और दर्जा दिया जाता है। इसमें पदों के अनुरूप सदस्यों को अधिकार, कर्त्तव्य और पहचान चिह्न प्रदान किया जाता है।

पड़हा पंच

  • आश्विन पूर्णिमा के दिन इसका आयोजन किया जाता है। 

अन्य तथ्य

  • इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत पड़हा में शामिल एक गाँव को पड़हा राजा गाँव, दूसरे को दीवान गाँव, तीसरे को पनेरे गाँव, चौथे को कोटवार गाँव तथा शेष को प्रजा गाँव कहा जाता है।


JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY

Leave a Reply