तटीय मैदान (Coastal Plains)
- भारत के तटीय मैदान का विस्तार प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी (पूर्वी एवं पश्चिमी घाट) तथा समुद्र तट के मध्य हुआ है।
- इनका निर्माण सागरीय तरंगों द्वारा अपरदन व निक्षेपण तथा पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के जमाव से हुआ है।
- भारत के तटीय मैदान को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है
- 1. पश्चिमी तटीय मैदान (western coastal plain)
- 2. पूर्वी तटीय मैदान (East coastal Plain)
पश्चिमी तटीय मैदान (western coastal plain)
- पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के तट के बीच निर्मित मैदान को पश्चिमी तटीय मैदान कहते हैं। इसका विस्तार गुजरात के सूरत से तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक है।
- पश्चिमी तटीय मैदान को पुनः चार वर्गों में बाँटा जाता है
- गुजरात का मैदान या तट– गुजरात का तटवर्ती क्षेत्र (इसे कच्छ और काठियावाड़ या सौराष्ट्र का तटीय मैदान भी कहते हैं)।
- कोंकण का मैदान या तट– दमन (महाराष्ट्र) से गोवा के बीच।
- कन्नड़ का मैदान या तट– गोवा से मंगलूरू के बीच।
- मालाबार का मैदान या तट– मंगलूरू एवं कन्याकुमारी (केप कॉमोरिन) के बीच।
- भारत का पश्चिमी तटीय मैदान गुजरात में सबसे चौड़ा है और दक्षिण की ओर जाने पर इसकी चौड़ाई कम होती जाती है लेकिन केरल में यह पुनः चौड़ा हो जाता है।
- कोंकण के तटीय मैदान पर साल, सागवान आदि के वनों की अधिकता है।
- कन्नड़ के तटीय मैदान का निर्माण प्राचीन रूपांतरित चट्टानों से हुआ है, जिस पर गरम मसालों, सुपारी, नारियल आदि की कृषि की जाती है।
- मालाबार के तटीय मैदान में कयाल (लैगून) पाए जाते हैं, जिनका प्रयोग मछली पकड़ने, अंतर्देशीय जल परिवहन के साथ-साथ पर्यटन स्थलों के रूप में किया जाता है।
- केरल के पुन्नामदा कयाल में प्रतिवर्ष ‘नेहरू ट्रॉफी वल्लमकाली (नौका दौड़) प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जाता है।
- पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों के उदाहरण हैं और यह अधिक कटा-फटा होने के कारण पत्तनों एवं बंदरगाहों के विकास के लिये प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं।
पूर्वी तटीय मैदान (East coastal Plain)
- पूर्वी घाट तथा बंगाल की खाड़ी के तट के बीच निर्मित मैदान को ‘पूर्वी तटीय मैदान’ कहते हैं।
- इसका विस्तार स्वर्ण रेखा नदी से लेकर कन्याकुमारी तक है।
- पूर्वी तटीय मैदान या घाट को तीन भागों में बाँटा जाता है
- उत्कल तट(Utkal Coast)– स्वर्ण रेखा नदी से महानदी के बीच (ओडिशा)
- उत्तरी सरकार तट– महानदी से कृष्णा नदी के बीच (ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश)
- कोरोमंडल तट(Coromandel Coast)– कृष्णा नदी से कन्याकुमारी के बीच (आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु)
- पूर्वी तटीय मैदान को दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्वी मानसून, दोनों मानसूनों से वर्षा की प्राप्ति होती है।
- इस क्षेत्र में चिकनी मिट्टी की प्रधानता के कारण चावल की खेती अधिक की जाती है।
- पूर्वी तटीय मैदान में गोदावरी व कृष्णा नदियों के डेल्टा में कोल्लेरू झील स्थित है।
- चिल्का व पुलिकट लैगून झीलें भी पूर्वी तटीय मैदान में स्थित हैं।
- पूर्वी तटीय मैदान, पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में अधिक चौड़ा है, क्योंकि पूर्वी तटीय मैदान की नदियाँ अपने मुहाने पर एश्चुअरी(estuary) न बनाकर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
- पूर्वी तटीय मैदान पर उत्तर से दक्षिण स्थित प्रमुख डेल्टा निम्नलिखित हैं
- महानदी डेल्टा – ओडिशा
- गोदावरी डेल्टा – आंध्र प्रदेश
- कृष्णा डेल्टा – आंध्र प्रदेश
- कावेरी डेल्टा – तमिलनाडु