कारों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन अनिवार्य
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि अगले 3 से 4 महीनों के अंदर कार निर्माताओं के लिए गाड़ियों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा
क्या है फ्लेक्स फ्यूल इंजन
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फ्लेक्स फ्यूल इंजन शुद्ध डीजल या पेट्रोल की जगह फ्लेक्स फ्यूल यानी लचीले इंधन से चल सकते हैं।
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फ्लेक्स फ्यूल पेट्रोल के साथ मेथेनॉल या एथेनॉल के मिश्रण से बना एक वैकल्पिक ईंधन है।
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इस इंजन में एक तरह के ईंधन मिश्रण सेंसर यानि फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का इस्तेमाल होता है. यह मिश्रण में ईंधन की मात्रा के अनुसार खुद को एड्जेस्ट कर लेता है.जब आप गाड़ी चलाना शुरू करते हैं, तो ये सेंसर एथेनॉल / मेथनॉल/ गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को रीड कर लेता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को एक संकेत भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है.
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फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां बाय-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों से काफी अलग होती हैं. बाय-फ्यूल इंजन में अलग-अलग टैंक होते हैं, जबकि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में आप एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल डाल सकते हैं. यह इंजन खास तरीके से डिजाइन किए जाते हैं.
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मौजूदा समय में भारत में पेट्रोल में 20% एथेनॉल के मिश्रण की इजाजत है हालांकि इंजन में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है.
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भारत में पेट्रोल और डीजल की खपत को कम करने के लिए फ्लेक्स इंजन का सिद्धांत लाया गया है।
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इसके तहत देश में ही उत्पादित एथेनॉल को डीजल या पेट्रोल के साथ संयोजन किया जाएगा जिससे कि दूसरे देशों पर पेट्रोल और डीजल के आयात में कमी होगा।
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इस इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा.