तुर्रेबाज खान (Turrebaaz Khan)
डायलॉग ‘बड़ा तुर्रम खां बन रहा है
- तुर्रेबाज खान का जन्म वर्तमान हैदराबाद जिले के बेगम बाजार में हुआ था।
- तुर्रेबाज़ खान एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान हैदराबाद राज्य में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- 1857 में तुर्रेबाज खान हैदराबाद शहर के कोटी में ब्रिटिश रेजिडेंट कमिश्नर के घर पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहते थे।
- 1857 में उन्हें अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था।
- अन्य स्रोत : अंग्रेजों ने तुर्रम खां को पकड़ने के लिए 5000 रुपये का इनाम रख दिया था जिसके लालच में एक गद्दार तालुकदार मिर्जा कुर्बान अली बेग ने तूपरण के जंगलों में धोखे से तुर्रम खान को मार दिया था .
- तुर्रेबाज खान (Turrebaz Khan) को तुर्रम खां के नाम से भी जाना जाता है।
- तुर्रम खां के नाम से ही उनकी बहादुरी के लिए डायलॉग ‘बड़ा तुर्रम खां बन रहा है., ‘ज्यादा तुर्रम खां मत बनो.’ ‘खुद को तुर्रम खां समझ रहा है.’ प्रसिद्ध है।