सिआरेक सलह बुइध (Siyarek salah Buidh) Purkhauti katha (kudmali lok-katha )
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3. सिआरेक सलह बुइध (Siyarek salah Buidh)
पुरखउती कथा (कुड़माली लोककथा )
Purkhauti katha (kudmali lok-katha )

इटा एक ढेइर पुरना पुरखउति कथा हेकेइक । घार आंगनाइ एके एक छटअ ले सुनते-सुनाइतेइ आइल आहिए । मेनतुक एकर निखरन एक पथिक धंचअरे ‘सिआरेक सलह बुइध’ पुरखउति कथा “कुड़मालि लक-कथा’ नामेक पथि ले लेल गेल आहेइक । एकर संजुता डा. बिंदाबन माहतअ हेकत, जाकर निखरन 2012 माहान, रांचि कर पिआरा केरकेटा फांउडेसन कर दिगे ले हेल आहेइक ।

ढेइर आगुक कथा, एक टा बने दमेइ सिआर रहल। एकर राजा ‘बांड़ा सिआर’ रहे। सउभे सिआर हांसि -खुसिंइ रहे हेला । एहे सिआरेक भितर एक सिआर कर बहु बेजांइ सुंदर रहलि । सउभे काइ भाभल रहला जे मर बहु हेइ तेलेइक ता हेले बेस । हिंआ तक कि सिआरेक राजा ‘बांडा सिआर’ करअ एहे मन । बिधिक बिधान, सेइ सुंदर सिआरिन कर पुरुस मरि गेल । सिआरिन एबार रांड़ि हेलि । काम करा घारे लक नाइ । कने कामाइ करि आनि देतेइक आर खाति ? घारे कट किना हेउ लागलेइक । अभाभे सभाभ नसटअ । एकर घार, अकर घार जाए लागलि आर खाएक जालांइए सउभेके कहे लागलेइक – मइए तरेइ संग बिहा करब । मके एखन खाइएक दे! जे लक टि कबउ काकरअ घार मांगे नि गेल रहलि, से एखन हिंआ-हुआ हेइ बुलइ साहि! किना बा करति ? हिंआ तक कि राजा बांड़ा सिआर कउ भांडले रहइक ।

एक दिनेक दिने राजाक दरबारे गटा बनेक सिआरेक मिटिंग हेलेइक । काथाएं – काथाएं उठलेइक फानला दादा मरि गेल । बहुअ टि रांड़ि हेल आहि । घारे काम उधम करा लक नाइ ! सारा खन क्टकिना! एक दिन मर घार आइके कहलि, ‘पेट पसि दे तहर संग बिहा करब !’ सउभे सिआरे एक संगे उठि कहला, आह रे ! एसन काथा तअ मकउ कहले आहि । राजाइ कहेइस – मकउ एहे काथाइ कहले आहि । सउभे सिआरे ! मत करला ।

बेसि सुंदरिक जाइत नाइ, रांड़ि जेनिक पांइत नाइ ।’

एके एखनेइ मारि-पिटि बन ले खेदि बाहराउबेइक । नअ संजउगे अखराक मांझे एक काना सिआर रहल।

बेजांइ चालाक आर बुदधिमान । अकर ताहां सलह टा बुइध रहेइक । एखर सउभे काथा सुनलाक । काना सिआरे आइके सिआरिनके बाझार देलेइक । सिआरिन डराइ गेलि । काना सिआरे बुइद देलेइक । जखन सउभे सिआर आउअता तखन गड़ लागि कहसिन, जे मइए सउभेक घार जाइके जे कहले रहलिए, तहर संगे बिहा करब । आसल माहान उटा नेउता रहेइक आर इ बनेक भितरे जाकर भितर सलअ टा बुइध आहेइक, ताकरे संग बिहा करब । जखन सउभे सिआर राजा संग रागाइके आउअला । तखन जेसन काना सिआरे सिखाल रहेइक, तेसनेइ करल । सलह टा बुइध सुनि बांड़ा सिआर राजा घसकल । ताकर बादे सउभे सिआर एक – एक करिके घसके लागला । तखन काना सिआरे गुइल करि देल जे मर सलह टा बुइध आहेइक । सउभे सिआरे कानाक चाइल बुझला । तखन दुइअके बनले खेदि । बाहराउलेथिक ।

काना सिआरे सिआरिनके कहलेइक, ‘खिस खाइ निजके आर बुइध खाइ परके ।’ चाल हामरे दुइअ बिहा करिके सुखे रहब । दुइअं बिहा करिके बनेक बाहिरे पाहाड़ जापाक | लातांइए रहे लागला । सेइ जापा टा बाघे बेजांइ आगु छाड़ि | देल रहल। दुइअ बुढ़ा – बुढि बेजांइ रिझे-रंगे, निके-सुखे रहे | लागला । थड़ेक दिनेक बादेइ दुइअ कर छउआ-पुता हेलेइक । खाएक जगाड़े कनह दिन काना सिआर काम करे नि गेल । बुइधेक दारूने घारे बेसि खाइ तेल । जे कनह सिआर बुइध लिएक रहइ तेल, तखन अखराइ बेसुम काना सिआर पास आउअइ तेला आर एखनअ आउअतेइ रहत । समइए खाएक आनि देथिक, बुइध लिएक जालाइ । अहे माहान घारे बसि खाइत रहल ।

केतना नि केतना दिनेक बादे सेइ बाघ निजेक ला घुरेइस! सिआरिने बाहिरे काकुंआइ आइसि करइस! आचकाइ बाघके देखिके घार कुदि दुकलि आर काना सिआरके कहि देलेइक ! काना सिआरके कहेइक – काकर नि काकर घारे आनिके राखल आहास ? देखि हिं दन-दनाइके एक टा बाघ जे हिंदेइ आउअइस । काना सिआरे कहलेइक – मर

सलह टा बुइध आहेइक, आउए दिहिं । जेसेइ पहुंचा-पहुंचि हेत, तेसेइ छुआ गिलाके चुतरां चिमटाइके कांदा करासिन । जेसे छउआ दमेइ कांदताक । बाघ पहुंचा – पहुंचि हेइस । कहल निआर सिआरिने छउआके कांदाइ लागलेइक !

काना सिआर गरजल एगे ! सालि ! काइलहे नउ मन बाघेक मांस आनल आर आइझेइ सिराले ! जे छउआ गिलिनके कांदा हेसिक । बाघे सुनल, बाप रे! बाप! नउ मन बाघेक मांस? कतना बड़अ जानुआर ढुकल आहेइक, रे बाप ! मर घारे ! एतना कहि बन बाटे पाराल बाघ । काना सिआरेक बुइध देखले, सिआरिनके कहलेइक । बनेक राजाएं – बाड़ा सिआरे बाघके पाराइतके देखे पाउअक ।

बांड़ा सिआर- मामा, मामा कहां पाराहा (थिराउआ ) ।

बाघ – निहिं रे बाप! मर घारे बड़अ निसेक कन जानबर ढुकल आहेइक ! निहिं । काना सिआर हेकेइक मामा। तहर घारे बासा लेलाहेइक एखन, अके बनले बाहराइ देले आहथिक । चाला मर संगे देखबेहे !

बाघ – केइ जान बाप! तहरा तअ छटअ जिउ ! कंदे फुच, करि फुकि देबाहाक । मइए तअ धराइ जाब ।

बांड़ा सिआर मामा तहर बिसास नि हेउअहन ता हले चाला | पुंछ के चिहड़ लतां बांधा – बांधि हेइके दुइअ एक संगेइ मामा-भेइगना जाब ता हेले तअ बिसास करबेहे ना। (बांड़ा सिआरे काना सिआरके बेजांइ आगु लेके रागाइत रहेइक आर बदला लिएक जुइत खजे हेल 

दुइअ बांधा – बांधि हेला आर चलला । बाघेक भइ तअ पेहिल लिहिं रहलेइक । ताउ बांड़ा सिआर कर जालांइ साहास करल आहेइक ।

बाघ – ए भेइगना किना हेतेइक ?

बांड़ा सिआर- मामा, “पानिइ ना नाभले अबके नि सिखबेहे। साहांस, बुइध आर खेमता, एहे तिन टाइएं लक आगु बांटे बाढ़त आर बड़अ हेत । एतना कहेइतके बाघ कर डर सिरालेइक आर गरजे लागल। दुइअ एबार मामा – भेइगना आउए लागला ।

सेइ दिनअ सिआरिने बाहिरे कांकुआंइ आरसि करेइस । आचकाइ धुरे देखइ साहि ना दुइअ मामा-भेइगना एक संगे आउअहत। आइज तअ आर नि बांचता कहले घार दड़ले



दुकल आर काना सिआरके डराइ डराइ कहि देल” भइए भुत! नि तअ सासाने सुत ।


काना सिआर – तंइए डाराहिस काहे ? पहुंचा-पहुंचि हेता ना सेइ पेहिल कहल निआर करिस । छउआके दमेइ कांदासिन । मामा-भेइगना आंनगा टा पहंचल आहात न सिआरिने छउआके कांदा लागलेइक ।


काना सिआरे गरजिके कहलेइक ए ! गे! सालि ! काइले नउ मन बाघेक मांस आनलेइ रहलिए आर आइझेइ खतम करले? कनह बात नेखेइक । बांड़ा सिआरके काइले बेइना देइके आउअल आहिए। कनह ना कनह बाघके धरि पहंचातेइक देखि हिं ना बाहिर बाटे ! बाघे एतना काथा सुनल बादे । सेइ बांड़ा सिआर किहिं आरअ उलटा डांटे लागलेइक । साला भेइगना बेइना लेइके मके मराएक खातिर आनले, आइहा कहि जिउ छाड़ि बाघ पाराल ।


बांड़ा सिआर मामा डाढ़ाउआ ! डाढ़उआ ।


बाघ तर गुसटिक तिन खेदअ भेइगना । बेइना खाइके मके मराइएक जालांइ आनल रहिआ। बाघ जेतना रागे – रागे पाराइस बांड़ा सिआर अतना थेचका- थुकड़ा हेइ मरि गेलाक कारन चिहड़ लताएं बांधल रहल दुइअक पुंइछ। ढेइर धुर पाराल बादे बाघे कहलेइक, बेइना खाइके मके मराएक खातिर लेगल रहिहा, एखन केसन रिसड़ि करलेहे । ‘जिउ ना जाए छटपटिक साद ।’ काना सिआर आपन पारिबारेक संग खुसि खुसि रहे लागल ।


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