khortha (खोरठा ) For JSSC JPSC
KHORTHA (खोरठा ) PAPER-2 FOR JSSC
शेख भिखारी जीवनी Sheikh Bhikhari Biography KHORTHA
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KHORTHA लेखकों की जीवनी
शेख भिखारी जीवनी
शेख भिखारी जीवनी
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जन्म – 1819, खुदिया ,लोटवा गांव ,सिकिदरी थाना(ओरमांझी ,रांची )
(काशीनाथ महतो के घर में पालन पोषण )
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पिता का नाम- शेख बिलंदु
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परदादा का नाम -जलाल ,अमब्रागढ़ का चौकीदार
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शेख भिखारी को खटंगा का राजा उमराव सिंह ने अपना दीवान बनाया
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उमराव सिंह, काशी सिंह एवं शेख भिखारी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया
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उन्होंने चुटुपाली घाटी से चाडु घाटी तक अंग्रेजी फौज को भगाया
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शेख भिखारी के मदद से डोरंडा के माधव सिंह ने सिपाही विद्रोह शुरू किया
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अंग्रेज ग्राहम हजारीबाग भागे हैं
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विश्वनाथ शाहदेव छोटानागपुर का राजा बनाए गए
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छोटा नागपुर के अंग्रेज कमिश्नर डाल्टन पीठोरिया के रास्ते बगोदर भाग गए
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विश्वनाथ शाहदेव को चिट्ठी लिखकर शेख भिखारी सिख सरदार मेजर किशन(बिशन) सिंह से मिले हैं
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1857 के सिपाही विद्रोह में अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका
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सुरेंद्र सिंह के साथ हजारीबाग जेल से भागे
मृत्यु
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6/8 जनवरी 1858 ,
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शेख भिखारी एवं उमराव सिंह दोनों को टैगोर हिल में फांसी दिया गया
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रांची के अंग्रेज मेजर मैकडोनाल्ड ने शेख भिखारी एवं उमराव सिंह के शव को चुट्टुपालु लाकर बरगद के पेड़ से लटका
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उस पेड़ का नाम आज फँसियाहा बरगद के नाम से जाना जाता है
पारस नाथ महतो (रचवइयाक परिचय)
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31 जुलाई 1952 इस्वी पारस नाथ जीक जनम राँची जिलाक ओरमांझी थानाक हतवाल गाँवे भेल हइखिन। तोहर मांञ पंचमी आर बाप झुबा महतो एगो बेस तलियाइल किसान बेगइत। सुरूवेले तोहें पढ़े में चनफनिया आर चेठगर। तोहें हुइबेक जोरें बी. एस. सी. पास कइर आपन मातरी भासा खोरठा से एम. ए. राँची विश्वविद्यालय से करल्हे। हिंयाक माटिक दई के तोहर बड़ी टान। एहे लेल हियाक मानुसेक हितें हियांक खोलल ‘काँलेज’ ‘स्कूल’ तोहें बड़ी मदइतगार साबित भेल्हे। तोहें एगो बेस करमी समाज सेवियो लाघे। एखन राम टहल चौधरी काँलेज ओरमाझी में तोहें उप-प्राचार्य पद के सोभा बढ़ाइ माटिक छउवा-चेंगइर के सिखित कइर एगो बड़का काम कइर रहल हा।
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आपन जनम थान माटिक टानें तोहर धेयान अमर सहीद सेख भिखारी के उपर गेलो। तधिये से तोहें सेख भिखारी के अता-पता, टावा-ठेकान करे खातिर उता-सुता करे लागल्हे। बड़ी खोइज़ पुछाडूर करल परें भारत के आनादिक सिपाही आर छोटानापुरेक माटिक सपुत सेख भिखारी के जनम से मोरन तक अमर गाथा तोहें पइल्हे, से कइहनी खाँट रूपे हिंया उखरवल गेल हई।
सेख भिखारी
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ई जगतें केउ इतिहास लिखे हे, केउ पढ़े हे। ई दुइयो ले कठिन काम जे आपन जिनगानी टा इतिहास बनावे हे। इतिहास बनावे वाला बिरसा मुंडा, बिसनाथ साहदेव, गनपत राय, नीलाम्बर, पीताम्बर, कइली दई सिनगी दई संगे-संगे सेख भिखारी केरो नांव जुटल हई।
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सेख भिखारी के जनम 1819 इस्वीं तखन के ओरमांझी एखनेक सिकीदरी थाना खुदीया लोटवा गाँवे नाँवजइजका जमीदार घरे भेल हलइ। भिखारी के परदादा(आजा) जलाल आंबरागढ़ेक चउकीदार हला, जकर बेटा बिलन्दु बड़ी बीर आर बाहादुर हला। बाम्हन पुरोहितेक कुटिचालीं एकर परिवारेक सभे सदइस के मोराइ देल गेल हलइ गाछेक जइर रूपें छोट छोउवा बिलन्दु तरें नुकाइ सभे खड़जंतर आपन आंखी देइख लेल हलइ। काशीनाथ महतो के परिवारें ई बाढ़ल आर बाढ़ल तो बहादुर रूपें।आपन दादा के ई बहादुरी देइख-सिख पहलवान के बेटा सेख भिखारियों तइसने बहादुर भेल जे ककरो धा नाम सहले।
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एकर बहादुरी देइख खंटगा के राजा उमराव सिंह आपन राइजेक सेख भिखारिक देवान बनवल। मुदा सई संवई रहे 1857 के भारतेक नामी गदर। संउसे भारतें अंगरेज सरकारेक सिपाही सब विद्रोह कइर देला। जकर में झाँसी के रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, मंगल पान्डे, बिहारें कुँवर सिंह आरो वीर सब एकर नेतागिरी करे लागला। छोटानागपुरो में ‘विद्रोह’ के आइग उठल। एकर संघी चुटुपालू घाट बाद नरवे। भला जुग से आजाद उड़ल चेरंइ कहुँ खाँचा में बंद रहे वाला हे? उमराव सिंह, घासी सिंह के संगे-संगे सेख भिखारियो गोरी सरकारेक गुलामी करेले अपन आदमी सब के बारन कइर देला। फइर सुरू भई गेल आजादी के लड़ाई। चुटुपालू घाट ले चाडू घाट तक अंगरेजी फउद के हटाइ देला। चाडू घाटें तो बड़का जबर गाड़हा बनाई देला जेमें अंगरेजी फउद के जमादार माघी सिंह आपन सिपाही सबके ‘विद्रोह’ करे खातिर उकसवला। ई सब के तोप के डरें राँची के अंगरेज कप्तान ग्राहम आपन तीन गो अफसर लडके हजारीबाग भाइग गेला आपन जान के तनिको केयार नाञ कइर विद्रोही सिपाही सबके सेख भिखारी बड़ी मदइत करले नतीजा राँची सहर ई सबके कब्जा भइ गेला तखन बिसाथ साहदेव के छोटानापुरेक राजा बनवल गेलइ। सेख भिखरी के संगे आदिवासी के संगे-संगे मोमिनो बहादुर लड़ाकु रेहन। ई आजादिक सुड़सुड़ी सुइन छोटानागपुरेक कमिश्नर डाल्टन पिठौरिया के डहरें बगोदर भाइग गेल। 1772 ई. से चइल आइल अंगरेज सासन 2 अगस्त 1857 के दिन छोटानागपुरें खतम भेला
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दोसर सेख भिखारी के उमदा काम हल। सिख फउद के फुसलावे वाला। राजा बिसनाथ साहदेव के चिठीलइ चुपें-चुपें सेख पहुँइच गेल सिख फउद के मेजर बिसन सिंह के नजीकें आर कहल – अंगरेज सबके मदइत करा टाटका गँवारू काम लागो। हमर देसेक कोने-कोने ई गोरवइन के विरोध कइर रहल हथिन आर तोहिन नाञ जाना।
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तेसर दमगर काम करला कि संथाल बिदरोह के आर उकसाइ देला। जकर में सिधु-कान्हू के काम के भड़कावल आइग अंगरेज के बिरोधे आर लहइक उठला सुरेन्द्र साही के अगुवाइ में हजरीबाग के दुइयो जेहलखाना तोइर देला आर संथाल बिदरोही सब बाहराइ गेला। सइये संवई जखन जगदीशपुर के बाबु कुँवर सिंह बिदरोह करला, हिंदे कुटिचाइल आर खंडजंतर कइर अंगरेजी फउद राँची चहइट गेला। राँची से ऐलान भेल कि जइसने होक सेख भिखारी आर राजा उमराव सिंह के धइर के लेथ बा माइर के फेंक देथा
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23 सितंबर से 2 अक्टूबर 1957 तक ई झारखंडेक ढ़ेर आजाद सिहला सिपाही फांसी में झुइल गेला। सेसें दुइयो धराइ गेला। राजा उपराव सिंह आर सेख भिखारी – दुइयो ई धरतिक लाल के खुइने धरती लाल भइ गेली – से दिन रहे 6 जनवरी 1858। जघऽ रहे टैगोर हिल (राँची) के नजीके एगो गाछ। मोरल परे अंगरेज मैजर मेकडोनाल्ड दुइयोक लास फेर चुटुपालू आना करवलइ आर आस-पासेक गाँवेक बिदरोही सबेक देखवे, डरवे आर धमकवे खातिर 8 जनवरी के एगो बोर गाछे लसवइन टाँडग देलइ। सई साखी बोर गाछ जकर नाँव ‘फंसियाहा बोर हके। सइ गाछ के एखनो एगो चिन्हा रूपें हुवाँक आदिवासी गैर आदिवासी लोक देखहथा
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एखनो ओकर जाइल-जनमल बाँचल हथिन, मुदा केउ पुछे वाला तक नाजा भारत मांयेक ई आजादिक सिपाही सेख भिखारी के घर धंइस रहल हे। ऊ अरगुंजल कोन आइज आँधरें हइ। देखा, जोदि केउ तनी आधेक आलोक चिनगीनी लइ हदकवे पारे तो बोन फइर इंजोर भइ जाइत।