सात भाइ एक बेहिन (Saat Bhai Ek Bahin) Purkhauti katha (kudmali lok-katha )
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2. सात भाइ एक बेहिन (Saat Bhai Ek Bahin)

पुरखउती कथा (कुड़माली लोककथा )
Purkhauti katha (kudmali lok-katha )

इटा एक ढेइर पुरना पुरखउति कथा हेकेइक । घार आंगनाइ एके एक छटअ ले सुनतेइ सुनाइतेइ आइल आहिए। मेनतुक एकर निखरन एक पथिक धंचअरे ‘सात भाइ एक बेहिन’ पुरखउति कथा “कुड़मालि लक कथा’ नामेक पथि ले लेल गेल आहेइक एकर संजुएता डा. बिंदाबन माहतअ हेकत, जाकर निखरन 2012 माहान, रांचि कर पिआरा केरकेटा फांउडेसन कर दिगे ले हेल आहेइक ।

ढेइर आगुक कथा, एक टा राजाक सात टा बेटा रहलेइक आर एक टि बेटि । सातअ भाइ सिकार करे गेल रहला । घारे बहिने रांधा – बांटा करि दे हेलेइन । सउभे बेजांइ हुबे रहे हेला । एक दिन सातअ भाइ सिकारे गेला । हिंदे बेहिने साग तिअन रांधेक खातिर साग काटे हेलि । साग काटइत – काटइत कनह डुल बेंइनठिने आंगुर काटाइ हेलि । तखन रकत बाहराइ लागलेइक । एबार किना करति किना नाइ ? मार छउआ चिंतांइ पड़ि गेलि | भाभेइस ! लुगाइ पंछलउ भाइ सउभे देखता आर कांथे पछलउ । अकर बुइध नि कनह सुझेहेइक । तखन किना मने हेलेइक ना सांग | टांइए मेसाइ सानि देलेइक आर तिअन रांधलि ।

जखन सातअ भाइ सिकार करि घुरला तखन बेहिने पानि देलेइक आर खाएक खातिर सउब भाइ एक ठिनेइ बसला । सातअ भाइ खाइ लागला आर खाइत खाइत एक दसराके पुछा – पुछि हेउ लागला, माने गंदराइ लागला, | आइज तिअन टा बेजां सउआद लागअहेइक । सउभे काइ कहला हं, आइज आरअ दिनेक ले बेजांइ सउआद ।

तखन बेहिन टिके पुछलेथिक, आइज तिअन टाइ किना मेसाइल आहिस? जे बेजांइ सउआद लागलेइक । बेहिने कहलेइक – भाइ ! ‘साइज गड़िआइए पिंघे जानइक | आर तेल गड़िआइए रांधे ।’ निहिं बेहिन तं कनह न कनह | एहे तिने मेसाइल आहिस । भाइ सउभे ‘जिगअड़ि’ करे लागला, तखन बहिने सउभेइ काथा कहि देलेइक, जे साग

कटेइतके बेइनठिन टाइ काटाइ गेललिए! आर खुइन बाहराइ लागल। तखन भामल जे लुगांइ पंछलउ आर पांचिरे पछलउ तहरा सउभिइ देखे पाउबेहे हेले, एहे सुनि देखिके तहराक कसटअ हेतअहन, कहि मइ साग टांइए एहे बाहराक खुइन मेसाइ देलिए ।

भाइ गिलाक मने एक टा दुरगुन जागलेइक जे “एकर रकत एतना सउआद ता हेले एकर मास केतना सउआद लागतेइक !” सातअ भाइए मिलिके सलहा करला आर बेहिन टिके मारेक उपाइ करे लागला । मेनतुक छुटु भाइ टाक मन नि रहलेइक | भाभलाक जे एतना आदर, दुलार । करि बेहिन टिके बाढ़ाल आइहे आर आइज एकर मांस | खाब! भाभलाक ! सातअ भाइएक कथा काटे नि पारिके उहअ सामिल हेल । बेहिन टिके मारेक जालांइ, एक टा माचान बनाला । बेहिने भाइएक मनेक कथा जानि गेलि । भाइएक पास गेलि । भाइ एक उदरेक जनमल सउब भाइ बेहिन हेत आर आदर-दुलारे माइएक दुध खाइए बाढ़त आर आइज तहराइ मके मारिके खावेहे ! मने हेइक बनेक बाघ – भालुहुं निजेक भाइ-बेहिन संग एसन बेबहार नि करत ! तखन भाइए कहलेथिक, बेहिन हामर लभ टा बुझिहिस तअ, तके खाले केतना जे आनंद पाउअब सेटा तंइए बुझे नि पारबे ?

भाइ सउभे मिलिके एक टा माचान बना ला। बेहिनके माचानेक उपरे उठाउलेथिक । एधांउ एकाइ एकाइ कांड़ बिंधि मराबेथिक । एके सउबले पेहिल बड़अ भाइए बिंधतेइक ! तखन बेहिने रदन धरि कहइस

“बिंधअबे के बिधअ दादा !

कलि रांगल कांड़ दादा कलि रांगल कांड़ !”

इटा कनह दिगे एसनअ कहथिक

“बिंधअबे के बिंधअ दादा

छातिंइ पड़ल कांड़

दादा छातिं पड़ल काड़ ।”

एकर रदन सुनल पअरे बड़अ दादांई कांड़ मारल, मेनतुक अकर निसाना निहिं लागलेइक आर कांड़ दसर दिगे गेलेइक । एसनेइ करतेइ – करतेइ छउअ भाइए विंधलेथिक ।

मेनतुक काकरअ कांड़े सझा निसाना नि लागलेइक ।

सेंसे छुटु भाइएक नंबर आउलेइक । पिठेक बेहिन हेकेइक, त केसे के अके कांड़ मारतेइक? सेइ माहान उ बिंधे लाइ निहिं जाइ खजल, तखन सउभे भाइए धरि आनि बिंधे लाइ कांड़ धेनुस उठा करा लथिक । तखनअ फेइर अकर छटअ बेहिने रदन धरि कहलेइक

“बिंधअबे के बिधअ दादा !

कलि रांगल कांड़ दादा कलि रांगल कांड़ ! 

” बेचारांइ गुंमरि – गुंमरि कांदि – कांदि आंख बि हाउ दसर दिगे निसाना बनाइके कांड़ बिंधे लाइ छाड़लेइक । मेनतुक बिधिक बिड़न, एकरेइ हांथे बेहिनेक मरन रहलेइक, तेंइ कांड़ कंदे ले आइ घुरि बेहिनेक छातिंइ लागलेइक आर साधेक छटअ बेहिन मरि गेलि ।

सउभे भाइए मांस भाग करला आर भिनु – भिनु करि खाइएक खातिर तिअन राधला । पिठेक बेहिनेक मास केसे करि खाताइ । सेइ माहान अंइ तखन एहे मासके धउएक निंगसाइ बांध दिगे लेइ गेल आर उहां ले मांइझ खाखड़ि धरि आनल आर बेहिनेक आपन हिसा मांसके एक टा टिलाहांइ तपि देलेइक ।

जखन दसर भाइ सउभ बेहिनेक हाड़ कट कट करि चेबाहात तखन छटअ भाइए खांखड़ि कट कट करि चेबाई लागल आर जखन अखरा मास खाहात तखन अंइ माइछ खाइ लागल । एहे डुल छउअ भाइए बुझेइ निहिं पारल जे छटकांइ बेहिनेक मास तिअनेक बदल माइछ खाखड़ि तिअन खाइ साहाइ ।

रिचिक दिनेक बादेइ उ टिलहाले एक टा सुंदर करिल बांस उगलेइक । बांस बेजांइ बेस रहलेइक, सइरखइलला । एकदम सिधा । तखन इटाके एक टा इमे देखे पाउअल आर बांस टा काटेक आदेस छुटु भाइ टाके मांगलेइक ! भाभलाक डम मांगि खउआ लग हेकेइक, लेगें कहलेइक । डमें बांस काटि लेगल आर बांस ले एक टि बेस बांसि बनाउलेइक ।

डमे रउज एकर घार, अकर घार जाइ – जाइ मांगि खाइ हेलाक । न एक दिन अहे सातअ भाइएक घार आउअल । सउब ले पेहिल बड़अ भाइएक घारे बांसि फुंकलेइक,

मेनतुक बांसि टि नि बाजलेइक । तखन डमे गितेक धुने रदन धरि गाउअल

” बाजअ बे के, बाजअ बांसि,

हे केइक बड़अ भाइएक घार,

बांसि बड़अ भाइएक घार !”

मेनतुक, ताउ आर बांसि टि निहिं बाजलेइक । तखन डम लारिपारिके आगु दिगेक मेंझला भाइएक घार गेल । हुंआउ बांसि फुंकलेइक आर गित गाउअल-

” बाजअ बे के, बाजअ बांसि,

एहे हेकेइक मेंझला भाइएक घार,

बांसि मेंइझला भाइएक घार !”

बांसि हुआंउ नि बाजलेइक । एसनेइ करइत – करइत छउअ भाइएक घार गेल, मेनतुक इ बांसि काकरअ घारे नि बाजलेइक | बांस काकरअ आंगनाइ निहिं बाजेक कारन डम खिसिआइ गेल आर मने – मने भाभे लागल – “कन आंटकुराक मुंह देखि बाहराल आहिए, बांसिअ नि बाजइस आर भिखअ नि पाउआहंइक ! आखिर माहान छुटु भाइएक घार गेल । फेइर डमे गितेक सुर लागला

” बाजअ बे के, बाजअ बांसि,

एहे हेकेइक सहअदर भाइएक घार,

बांसि सहअदर भाइएक घार!”

एकर आंगनाइ बांसि एसन सुरे बाजे लागलेइक जे सुनिके आसे पासेक सउभे लग जड़अ – सड़अ हेला। बांसिक धुन सुनि सउभिक मन महित हेइ गेलेइक ।

तखन छुटु भाइए डमके कहलेइक – तंइ मके इ बांसि टि देइ दे ! से तंइ सउभे धन मर लेइ जांइ । मेनतुक इ बांसि टि मके देइ दे । भाभि गुनि डमे कहलेइक – भाइ ! इ तअ तरे बांस झाड़ेक बांस हेकेइक । आइज तक काकरअ आर कनह भाइएक घारे नि बाजलेइक । मेनतुक तर घारे बाजलेइक, सेइ माहान मइ एके राखि किहिं आर किना करब ? तेंइ तंइए इ बांसि टिके राखें । बांसि टि देइके डम आपन घार चलि गेल । छटअ भाइए बांसि टिके घार भितरे कनाइ गंजि राखि देलेइक ।

छुटु भाइ, रजेक निआर बिहानेइ उठि – पाठिके हार – गर लेइके खेत जाइक आर घुरि आइके रांधा – बांटा करि खाइक । मेनतुक, सेइ दिन बासि ले अकर बेहिन बाहराइके बाढ़ा-साढ़ा रांधा- बांटा करि आबार बांसिंइ ढुकि गेलि । छुटु भाइ घार घुरल तअ देखइस, मर घारे कने बाढ़ा सढ़ा, रांधा – बांटा करलेइ आहेइक ! मने जागलेइक हइए त मइए करि राखल आहिए ! एखन मने नि हेइक । बिसरि गेल आहिए साइअद, भाइए भाभल !

दसर दिन आरअ हार – गरु लेइके खेत गेल ! उ दिनअ देखइस ना रांधा- बांटा बाढ़ा – साढ़ा सउब साइत हेइ आहेइक । | तखन अंइ मने भाभल, निहिं ! केउ ना केउ तअ मर घारे ढुकइक आर इ सउब करिके जाइक । एक दिन हार जड़े बाहराएक बाहना करि चाड़ेइ घार घुरल ! तअ देखइस! जे अकर बेहिन टि बांसि ले बाहराइके रांधा – बांटा करे लागल आहि । तखन भाइए चांड़े- मुंड़े घार ढुकि धरलेइक आर दुइअ | बेजां आदर दुलारे आंकुआरि हेला आर दुइअ भाइ-बहिन | सुखे – सुखे रहे लागला । हुदे अखर बाकि भाइ गिलाक बेजांइ गरिब हेइ गेला, भुखे पिआसे अखरा काहिल हेइ लागला आर छुटु भाइ टाक घार मांगे आउअत आर खात । छअ भाइए निजेक भुल टा जानला आर बेजांइ पसताइ लागला ।

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