रखिया भाय मुहेक पानी ऑखीक गीत RAKHIYA BHAI MUHEK PANI ANKHIK GEET KHORTHA
राखिया भाय मुहेक पानी ।
राखिया भाय मुहेक पानी
सामने बीहड़ बन-पथ
डेगें-डेगें शूल
रास्ता हमर टेके खोजे
कुकुर, सियार, बादूल
पूजाक थारी छीने खातिर
लुझा-लुझी टाना-टानी
कहाँ कठिन तेयागेक बिना
अटल ध्रुवेक आसन
पावे कहिया धूर्त्त सियार
मृग राजेक आसन
ऐंडरी वने बिलाइर राजा,
इन्द्र-सभॉय कानी
राखिया भाय मुहेक पानी ।
कविता का भावार्थ
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यह कविता खोरठा भाषा आंदोलन और कवि-कर्म में आनेवाली बाधाओं के प्रति खोरठा भाषा प्रेमियों को सचेत करती है कि कुछ लोग बगैर परिश्रम के सम्मान पाने, एकाधिकार स्थापित करने की घूर्ततापूर्ण चाल चल रहे हैं, अतः उनसे सचेत रहकर सही व्यक्ति की पहचान कर उसे यथोचित सम्मान देकर आंदोलन को आगे बढ़ाने की जरूरत है।