पोंगल पर्व (Pongal festival)
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दक्षिण भारत के तमिलनाडु में मनाया जाने वाला यह कृषि से संबंधित प्रमुख हिंदू पर्व है।
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यह उत्तर भारत के मकर संक्रांति जैसा पर्व है।
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यह कुल चार (12 या 13 जनवरी से लेकर 16 या 17 जनवरी तक दिनों तक चलता है।
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इस पर्व में लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अनुपयोगी सामान को घर के बाहर इकट्ठा करते हैं। दिन की शुरुआत घरों के बाहर सुंदर, मनमोहक रंगोली बनाने से होती है।
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पहले दिन अच्छी वर्षा के लिये भगवान इंद्र का आभार व्यक्त किया जाता है, अगले दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है।
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इस दिन महिलाएं अपने घरों के बाहर नए चावल से पोंगल नामक मीठा व्यंजन बनाती हैं और हल्दी व पान की पत्तियों व गन्ने के साथ भगवान सूर्य को अर्पण करती हैं। इस दौरान महिलाएँ पोंगल गीत गाती हैं और आग के चारों ओर नृत्य भी करती हैं।
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तीसरे दिन होने वाली पूजा को ‘मटू पोंगल’ कहते हैं। इसमें कृषक अपने गाय-बैलों को सजाते हैं और चावल के आटे से मनभावन रंगोली बनाई जाती है। इस दौरान कुछ जगहों पर ‘जल्लीकटू’ नामक बैल-दौड़ का भी आयोजन किया जाता है (पशुओं के खिलाफ़ क्रूरता के चलते सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी हैं लेकिन यह आयोजन हो रहा है।)।
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अंतिम दिन को कन्नुम पोंगल कहते हैं।
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महिलाएँ इस दिन अपने भाइयों और परिवार के सदस्यों के लिये मंगल गीत गाती हैं। वर्तमान समय में विश्व में जहाँ कहीं भी तमिल हैं, वे इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं।