पहाड़िया विद्रोह (1772-1782)/ (Paharia Vidroh )
- झारखण्ड का प्रथम जनजातीय विद्रोह
- पहाड़िया जनजाति की तीन उपजातियाँ
- माल पहाड़िया
- सौरिया पहाड़िया
- कुमारभाग पहाड़िया
- सौरिया पहाड़िया का निवास स्थल – राजमहल, गोड्डा और पाकुड़
- पहाड़िया विद्रोह चार चरणों में घटित
- 1772
- 1778
- 1779
- 1781-82
- प्रथम चरण 1772 ई. में
- कारन – मनसबदारों द्वारा पहाड़िया जनजाति के प्रधान हत्या
- नेतृत्व – रमना आहड़ी
- दूसरा चरण 1778 ई. में
- नेतृत्व – जगन्नाथ देव
- पहाड़िया जनजाति को अंग्रेजों द्वारा प्रदत्त नकदी भत्ता लेने से मना किया
- क्लीवलैंड द्वारा नकदी भत्ता देने की घोषणा की गयी थी।
- तीसरा चरण 1779 ई. में
- चौथा चरण1781-82 ई. में
- नेतृत्व – महेशपुर की रानी सर्वेश्वरी
- ‘दामिन-ए-कोह’ के विरोध में किया गया था।
- नेतृत्व – महेशपुर की रानी सर्वेश्वरी
- पहाड़िया जनजाति की भूमि को ‘दामिन-ए-कोह‘ का नाम देकर सरकारी संपत्ति घोषित
- 1824 ई. में अंग्रेजों द्वारा