सौरिया पहाड़िया 
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  • सौरिया पहाड़िया (Sauriya Pahariya) प्रजाति समूह –   प्रोटो-ऑस्ट्रेलायड समूह 
  • अन्य नाम  – मलेर
  • इनका प्रमुख निवास क्षेत्र  – राजमहल क्षेत्र के ‘दामिन-ए-कोह’ 
  • इन्हें संथाल परगना का आदि निवासी माना जाता है। 
  • मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्रों में निवास 
  • सौरिया पहाड़िया आवास को अड्डा कहा जाता है।
  • इस जनजाति ने कभी भी अपनी स्वतंत्रता ,मुगलों या मराठों को नहीं सौंपा। 
  • भाषा – मालतो (द्रविड़ भाषा परिवार) 
  • बोलचाल हेतु बांग्ला भाषा का भी प्रयोग 
  • सामाजिक व्यवस्था –  पितृसत्तात्मक

विवाह संस्कार 

  • विवाह हेतु लड़की की सहमति आवश्यक 
  • आयोजित विवाह सर्वाधिक प्रचलित विवाह 
  • वेद सीढू‘ – विवाह संस्कार संपन्न कराने वाले व्यक्ति
  • बहिर्जातीय विवाह पर प्रतिबन्ध 
  • वधु मूल्य – ‘पोन‘ कहा जाता है।
  • युवागृह – ‘कोड़वाह‘ 
    • लड़को का युवागृह -‘मर्समक कोड़वाह‘ 
    • लड़कियों का युवागृह – ‘पेलमक कोड़वाह‘ 
  • गोत्र नहीं पाया जाता है।
  • गांव का मुखिया व पुजारी –  माँझी (ग्राम पंचायत की अध्यक्ष)
  • गांव के प्रमुख अधिकारी 
    • सियनार (मुखिया), भंडारी (संदेशवाहक), गिरि तथा कोतवार 
  • आड़या – फसलों पर आधारित त्योहार  
    • गांगी आड़या – भादो में नई फसल कटने पर
    • ओसरा आड़या – कार्तिक में घघरा फसल कटने पर
    • पुनु आड़या – पूस में बाजरे की फसल कटने पर
    • सलियानी पूजा – माघ या चैत में 
  • पिता की मृत्यु पर संपत्ति पर अधिकार –  बड़ा पुत्र 
    • कोई पुत्र नहीं होने पर परिवार के साथ रहने वाले घर जमाई का अधिकार 
  • स्थानांतरणशील कृषि – कुरवा 
    • भीठा’ या ‘धामी‘ – पहाड़ी ढाल पर रहने वाले लोग जोत को कोड़कर कृषि कार्य 
  • प्रमुख देवता  – लैहू गोसाई
    • सूर्य देवता – बैरू गोसाई 
    • चांद देवता – विल्प गोसाई 
    • काल देवता – काल गोसाई
    • राजमार्ग देवता – पो गोसाई
    • सत्य देवता – दरमारे गोंसाई
    • जन्म देवता – जरमात्रे गोंसाई
    • शिकार के देवता – औटगा
    • पूर्वज पूजा 
  • धार्मिक प्रधान – ‘कान्दो माँझी‘ 
    • सहायक – ‘कोतवार’ व ‘चालवे‘ 
  • रिजले के अनुसार इस जनजाति का धार्मिक संबंध ‘जीववाद’ से है।