ओद दीदा सोंध माटी खोरठा OD DIDA Sondh Mati Dr. Vinod Kumar FOR JSSC JPSC
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       7.ओद  दीदा(नम आँखे )

      असाढ़ेक राइत, झिमिर-झिमिर झइर लागल रहे। रेसमी माइ घारेक ओसरा में वइसल फुटका-खुखरीक तियन चाइखे हेलिका ढीवरीक इंजोर गोटे घार पसरल रहे। मुदा फतींगाक-पाँखीक उतपाइतें अनसाइ के रोटी राँधेक छोइड़ देलिक आर बखरिएँ से लानल खुदीक भात आर कंदाक साग खाय लागलिका

       

      रेसमी गो, रेसमी! चल गो सुकर महतो घारें तनि अँगना जगाइ आनवइ। सुगिया आर हेमिया हुन सहलोरिन रेसमीक डाँके लागलथिन। उत्तरी छोटानागपुरेक गाँवे अइसन रेवाज रहे है कि केकरो घारें विहा हेवे तो गाँवेक मेहरारू बिहाक घारें बिहाक गीत गावे आर हरदी माखे जाहथा ई काम तो विहा होवेक दु-चाइर दिन पहिलेहें शुरू हे जाहे। हाँ तो रेसमीक नाम सुनलें रेसमीक माय कही देलथी कि रेसमी तो तखनमें से सुकर घारें : ओगरले हिक

       

      चानोवलीक घारेक नजीके सुकर महतोक घार रहे। सुकर घारें ओकर वेटाक बीहा रहे। अँगना जगवेक गोटे गाँव बोलाहइट परल हेलका सुगिया आर हेमिया दुइयो सहलोरिन रेसमीक डाँके लागलथिन। रेसमी तो पहिलहीं – घार से निपता रहे। भला कोनो जुवान बेटी छउवाक बिन नाचल-डेगल वहाक घारें निचुत नींद परतक? रेसमोक नाय पाएके दुइयो सहलोरिन : सुकराक घारें दने मोहेड गेला। 

       

      रेसमी माय मसोमाइत मेहरारू रहे। गोटे गाँवक लोक रेसम्मी मायक चानांवली के नांवे जाने हेला किले कि चानांवली ‘चानो’ गाँवेक जनमल-बाढ़ल रहे। जेगाँवेक ऊ रहीक सेहे गाँवेक नावे ओकरो नाम चानोवली हेल रहे। गाँवेक घर-घरेक खभइर चानोवलीक रहे हेलइ। केकर घारे छठी हे, केकर घारें पूजा हेतइ बा-हेवे लागल हइ। मानेकि घर-घर कर लेखा जोखा राखे हेलिक। गाँवेक महतो मालिक घारें गोवर-वाइन करेक कामें जोहड़ल रहे। महतो घारें कोनो जग-जाजन बा कोनो विहासादी हवे सोव घरी चानोवली आपन घार नियर निपेक-पोतेक, चिकन-सुथर करेक फिकिर करे हेलिथा नेक, नियत के साफ अदमो आइझेक जमाना

      में कमे भेटा हथा भुखल अदमीक नियत आर नेक कि मुझे। बोड़-बोड़ – मोटाइल अदमी अइन पइसा-धइन देखी के नियत् आर इंमान धरखा पर | धइर देहथ। मुदा आइझ तइक चानोवली के कोना करिखा नाय लगावं पारला। बेचारी आपन पेट-भात चलावे ले, दुगो परिवार के परवस्ती उठवे ले महतो परिवारेक सँग आपने के जोहड़बल हेलिक। विहाने जखन मुगां कोंकरों चों-कोकरो चों करे हेल तेखने से साँइझ तइक महतोक दुवारयें लागल रहे हेलिक। हामनियों आपन गाँवक घारें जखन सहर से जइतलों तो . ए चानोवाली मामा, ए चानोवली मामा हिदें आव। मोटा ले ले आइल ही, आइझ तोरे खिवावडा मारे खुसी से चानोवली ममा नाचो लागे हेलिक जइसे ओकरे कोनो एउवा सहरें कमाइ के घर घुरलक है। महतो घारें लगा-भात कर बेवस्था हइ जाहेलका. तइयो आपन सँगे. एक बेटा कोलहा आर बेटी | रेसमीक ओहं बखरिएँ रही के पाले पोसे पार लिका गाँ आइझो. अइसन वेवस्था पावल जाहे कि जोदि कोनो आन (दोसर) अदमी केकरो परिवार में मेसाइ गेलक तो ओकर जिनगीक परवस्ती गोटे परिवारेक सदइस पर। हो जाहे। जीवन-मरन कर फिकिर उठा ले हथी।

       

      चानोवालीक परिवार तो खाँट रहे। दुगो-बेटी, जीरवा आर रेसमी तकर पीठीएँ एकेग बेटा कोलहा। मोटे चाइर गो वेगइत। माहतोक बनवल घर में रहेक आर महतोंक खेत-बारी में खटेक, कमाएक ओखनिक नियत | बइन गेल रहे।

       

      माहतोक घारेक सोब अदमी चानोवलीक लउ पीरित दे हलथिन। कोनो सवासिन आपन ससुराइर जाइ लागल हे तो पहुँचवे ले बा गाड़ी पकरवे ले सँगे जरुर जइतलिका कोनो बेटी छउवाक बीहाक बाद बिदाई ‘गिरी हेवे लागल हे तो ऊ लोकदिन बइन के सँगे चइल जाइ हेलिक जइसे ओहे बेटी छडवाक गारजियन. है। कि नियर ससुरा रहेक चाही, असंगर- दोसगर हिंदें-हुदें ना जाइक चाही, आरो-आरो बातेक फरिछाइ के बतबे वाली चानोवली. महतोक परिवार के एक अंग बइन गेल रहे। मुदा गा-बेगाह अइसन वतर आवे हेलक जखन ओकर भीतरेक भाव के ठेस लागे हेलइ आर. ताब ओकर सुरइत अइसने बइन जा हेलन जइसे कोनो टुवर छउवा टुकूर-टुकूर ताइक के मुंह लटकठले है।

       

      ‘जखन. कोनो अदमी से काम लिएक रहे हे तखन लउ आर अपनउतीक नातागोता हइ जाहे। सवारथ बस परेम. बाइढ़ जाहे। मुदा बतर सिरें लउआर अपनउतीक परीछा हो जाहे। चानोवली संग एहे बात रहे। बेचारी आपन के महतोक परिवार सँग मेसाइक-फेंटाइक नियर जोहड़वल रहे। मुदा वतर सिरें सोब बेकार। आइझं जब सुकराक बेटाक वीहा रहे तो चानोवाली आपन घारे असगरे वइसल मेने भाम हेलिक कि हामनि गरीब लोकेक एह बात है। हामनी महतोक परिवार खातिर कि नाब् कर, हो। ओखनी के आपन-आपन नियर बुझे हिअइन। लउ-पीरित बाटे भूले ही आर ओकरिन हमरा आपन बुझबे नाञ् करथा कएक बेर देखले रहों सहरेस जखन महतोक छउवा-पूता, नाती-नतीनी आवे हथ तखन ओखनी सब वोडके गोड़ छुवे हथ आर हाम हुवें रहे ही मुदा हामर गोड़ सुन रहे है। कई बेर सुनलहों रहों कि हाम भुनी ही, गोबरकढ़ी ही, से ले कोई हामर गोड़ नाञ् लागे हथा सोब भले चानोवली ममा कहे हथ मुदा केकरो दिसा नाञ् कि हामहों ओखनिक सँग वइसके बचके पारों। जखन कोई हामरा ममा कहे हथ तखने हामहों नितरा ही। सोचें ही सोब हमरेहे नाती-नतकुर । हथ आर धउर बाँइध एहे बखरिएँ रहे ही। कि ओखनी हमर गोड़ लागेसे छोट हइ जेतला? आब हामर अवस्था तो मोरेक जुकुर हो गेलक। आपन | जिनगी बखरिएँ खपाइ देली मुदा आइझेक पढुवा-लिखुवा छउवइन हामरा (दहिनाई दे हथा हामनी जइसन देहाती मेहरारू से कोनो हालो-चाल नाञ् पूछे हथा ई बात के टीस चानोवलीक गोदिएँ उठल रहे। ओकर भाभनाक ठेस लागल रहे, आइझ-काइल के परिबेस से।

       

      एक दिनेक बात ईआइद है। दुर्गा पूजाक बेरें ‘हाम राँची से घार पहुँचल, हेलों। घारें पोंहेच के आजा, आजी, माय, बाबुजी, काका, काकी – आर बोड़ सोब के गोड़ लागलूँ मुदा हुवें ओसराक दुवारिएँ चानोवली ममा ठाढ़ हेलिक सेंकरा गोड़ नाञ् लागलों। ई बेबहार ओकरा एकदम पसिंद नाञ् परलइ। ओकर मुँह लरकल देइख के कोनो चेंगओ कही देतल कि आइझ ओकर उपरे कोनो भारी विपइत पइर गेल हे। हामतो तलबीच करे

      लागलों कि आइझ हामर से भारी गलती हो गेल हे। मने ढ़ेइरे विचार उठला। सोंचलों अबरी कधियो राँची बा कहीं से आवब तखन जरूर चानोवाली है ममा के गोड़ लागबइ आर आपन ई गलती के पइठ करबा से दिन से चानोवाली मामा महतोक परिवार के, जेकरा ऊ बखरी कहे हेलिक तकर से आपन के दूर समझे लागलिका हाम से दिन-राइत सोंचतहें रहलों कि चानोवाली ममा हमनीक परिवार के राइत दिन सेवा करेहिक, अंग बइन | गेलिक, मुदा हामनी कि बेस माइनता दिए पारलिअइ? सोबकर मइ) एके बात ढुकल रहे । ‘छोट जाइत घराक गोबर कढ़ी’। एग आरो बात ईआइद हे – दशहरा के बतर रहे। बख़रिएँ सोब अदमी नावा-नावा लुगा पेंइघ, पइसा कउडी लइ के मेला चले लागला। केकर मन बेस-बेस पिंधेकखाएक ना खोजे। मुदा चानोवाली ममाक नसीब कहाँ? हियाँ समाज के बेवस्था गड़बड़ाइल हे! एक बेबस, लचार हे तो दोसर मोटाइल। एक के पासें चवन्नी तो दोसरेक पासें चाइर लाख बैंक बाइलेंस। आँचरा में बाँधल | चवन्नी लइ के चानोवली ममा मेला डहइर गेलिक! डहरें भेंटाइल रहों तो कहलिक-तोहनी हामर ले एक लडूवा ले ले अहियाँ। नाञ् लानबाय तो। आपन दुवारिएँ छिनवउ। कहेक भाव एते मोलाइम रहे कि हामर आँइख गिल. हो गेलक।

       

      चानोवली ममाक अवस्था दिनोदिन गिरते हे जाहेलक। कहल गेल हे बुढ़ा आर चेंगांक स्वभाव एक नियर हे जाहे। किले कि बुढ़ा वा बुढ़ी खाइ खातीर बेस-बेस खोजे हथा चेंगवइन नियर जीकसोवादी खोजे हथा हाड़ पाँजर तनी ढ़ील हइ जाहना चानोवली ममा के बेस-बेकार. तो खाइ खातिर बखरिएँ मिलिए जाइ हेलइ। बखरिएँ लानल कलवा-बियारी से गुजर करे हेलिक। एक दिन जेकर डर रहे वे हे हो गेलक। ऊकइसे के बिमार पइर गेलिक। बखरिएक दुवाइर छोइड नाञ् कहीं गेलिक। कहीं दवाइ खातिर, कोनी दउरा-दउरी नाब् करलिक। आखिर में चानोवाली ममा पाँच दिन बेमार रहल के बाद सिराइ गेलिक। ओकर गोड़ लागेक साघ हामरा नाञ् पुरा भेलका मोरल के खभइर जइसेंहे मिललंक वइसेहें हाम घर पहुँचलों। किले कि हामरा एक बात ईआइद हेलइ। ऊ जखन जिन्दा रहे से हे घरी कई बेर कहले रहे कि ओकर मोरल बाद बखरिक सोव नाती-पूता टाँइग के नदी धइर लानथिन आर एक लोरहा काठी दे दथिन। बड़ी भारी मर्ने, आँखी लोर ले-ले चानोवली ममाक नदी पहुँचाइ आनली एक लोरहा काठीओ दे देली.

       

      मोरल बादे अदमीक गुन टा ईआइद परे हे। ढेइरे दिन तइक महतोक बखरीक सोब अदमीक चानोवली मामाक ईआइदा भेल रहइन। आरतो आर एक दूध-टूटा चेंगाक जे नियर बँचवल रहे सेकर उपगार तो ऊं जिनगी भइर नाञ् भुलाइ जुकुर है। हामर घारेक अगुवा में निरमल महतोक घार रहे। जखन चानोवली ममा मोरल रहे से घरी निरमल माहतोक माय छाती . ढेढाय काँदल रहे। “हाय रे दइबा, चानोवलीक कइसे लइ गेलें.

       

      हामर छउवा निरमल के आपन दूध पियाके पोसले हेलिक। अरे निरमल बेटा तोर माय आइझें मोरलव रे। हामर. बोड़ दी दी तोय कहाँ चइल.गेला हो …. रजवा। निरमल महतोक माएक छाती-ढढ़ाय काँदेत देइख कइ गो जेनी हुवाँ जमा हो गेलथिन। बतिआइ लागला जे निरमल के माय के दूध नाञ्.हवत रहे से घरी आपन दूध पियाइ के चानोवली . . निरमल. के पोसले रहीक।

      बखरिक सोव अदमीक दिसा भेलइन जे चानोवली मामा कतना महान रहे। आपन छातीक दूध दोसर छठवाक नावें दान कइर देल रहे तखन-कहाँ छोइट जाइत के बात उठला दूधेक, मायेक करजा कोई चुकावे पारल हे? एक लोरहा काठी दइके ओकर उपगार से मुकति मिले पारे? चानोचली समाक ईआइद कइर सोय आपन दीदा ओद करी लेला।

       

      7.ओद  दीदा(नम आँखे )

       

      मुख्य पात्र – चानोवलि(विधवा / भूइया जाती),मामा(दादी )

      •  पैतृक गांव – चानो
      •  3 बच्चे (दो लड़की -रेशमी ,जीरवा / एक लड़का- कोल्हा 

      अन्य पात्रशुकर महतो, निर्मल महतो,लेखक

      निष्कर्ष – चानोवलि छोटी जाति की जरूर थी लेकिन वह शुकर  महतो के यहां पर काम करती थी और शुकर  महतो के परिवार में चानोवलि को अपने परिवार के सदस्य की तरह ही माना जाता था किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता था

      • इस कहानी के माध्यम से लेखक यह  दिखाना चाहता है कि जरूरत के समय व्यक्ति को ऊंच नीच नहीं दिखाई पड़ता है और दूसरा बात मां का दूध का कर्ज को कभी नहीं चुकाया जा सकता है

      ओद दीदा

      खोरठा में शब्दो का मतलब

      • बेगइत  – परिवार  , मुदा – लेकिन ,ओद- आँख , ओद – नाम 

      1Q.ओद दीदा कहनी केकर लिखल लागे? बिनोद कुमार

      2Q.ओद दीदा कहनी कोन किताबे सामिल है? सोंध माटी 

      3Q.ओद दीदा माने की हेवहे? लोरे भोरल आँइख

      4Q.ओद दीदा कहनीक मुइख पात्र हेके ?चानोवली

      5Q.चानोवली नाम की ले राखल गेल हे? चानो गाँवेक जनमल कर चलते 

      6Q.चानोवली कइसन मेहरारू रहीक? राँडी ,मोसामइत 

      7Q.चानोवली कर बेटी नाम की रहे? रेसमी

      8Q.ओद दीदा कहनी में केकर घारे बिहा रहइ? सुकर महतो

      9Q.ओद दीदा कहनी मेंकेकर बिहा हेव हलइ? सुकर महतोक बेटाक 

      10Q. सकर महतो घारे अँगना जंगावेक ‘ नामें रेसमी के कोने डाक हलथीन? सुगिया आर हेमिया 

      11Q.’चानोवली’ केकर घारे काम करे हलीक ?  सुकर महतोक घारे(गाँवेक महतो )

      12Q. घरे-घरेक खभइर कोन राखे हलीक?  चानोवली

      13 Q.चानोवलीक कइगो छउवा रहथी ?  तीन गो

      1. जीरवा बेटी
      2. रेसमी (बेटी) 
      3. कोलहा (बेटा)

      14Q. लेखक जब भी शहर से गांव जाते थे तो वह चानोवली को क्या कह कर पुकारते थे ? चानोवली मामा

      15Q.चानोवली के परिवार में कितने सदस्य थे ? कुल 4

      16Q.महतो घर की कोई बेटी अगर अपने ससुराल जाती थी तो उसे छोड़ने उनके साथ कौन जाता था ?  चानोवली

      17Q.महतो घर घर के किसी बेटी का शादी होता तो विदाई के समय लोकदिन उसके साथ कौन जाता था ?  चानोवली

      18Q.लेखक रांची से अपने घर किस पूजा के अवसर पर आए थे ? दुर्गा पूजा

      19Q. लेखक जब दुर्गा पूजा के अवसर पर रांची से घर आए थे तो उन्होंने किस को प्रणाम नहीं किया था ?  चानोवली को 

      20Q.चानो वाली टुवर छउवा नियर कखन ताइकके मुंह लटकउले रह हलीक

      • जखन ओकर भीतरेक भाव के ठेस लागे 
      • महतोक नाती-पोता गोड़ नाञ लागले 
      • जखन ऊ सुनीक कि ऊ भूनी हीक, गोबर कड़ी हीक

      21Q.चानो वाली के महतोक छउवा पूता ‘की’ कहो हलथी ? ममा 

      22Q.चानोवली के गोड़ नात्र लागल के लेखक की बझे लागली ? भारी गलती भइ गेल 

      • फिर लेखक ने सोचा कि आप जब भी वह रांची से वापस आएगा तो उन्हें जरूर प्रणाम करेगा

      23Q.चानोवली दसहराक मेला जाइक पहर लेखक से क्या लाने को कहती है – लडूवा

      24Q.चानोवली कितने दिन बीमार रहने के बाद मर जाती है ?  5 दिन

      25Q.लेखक के बगल के घर में किसका घर था ?  निर्मल महतो

      26Q. चानोवली छोटी जात होकर भी किसे अपना दूध पिलाई थी ? निर्मल महतो

      27Q.दूधेक करजा कोइ कइसे उतराव हे ? एक लोरहा काठी देइके 

      28Q.हाय रे दइबा चानोवली कैसे ले गेली “यह सब कहकर कौन रो रही थी ? निर्मल महतो की मां

       

       

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