मुगलकालीन स्थापत्य Mughal architecture

 

मुगलकालीन स्थापत्य 

  • मुगल वास्तुकला इंडो-इस्लामिक स्थापत्य का अंतिम पड़ाव है, जिसमें ईरानी तत्त्व, तूरानी तत्त्व, ट्रांस ऑक्सियाना तत्त्व तथा सल्तनतकालीन तत्त्व भारतीय तत्त्व के साथ सम्मिलित हुए हैं। 
  • मुगल वास्तुकला में खुरदरे पत्थर, लाल बलुआ पत्थर तथा संगमरमर तीनों का इस्तेमाल हुआ है।
  • मुगल वास्तुकला में मीलों घेरा वाले किले की प्रवृत्ति आम हो गई थी। किलों के भीतर ही पूरा शहर समा सकता था। 
  • भवन निर्माण में घुमावदार, कोणदार और रंगीन मेहराब का इस्तेमाल मुगलकालीन वास्तुकला की पहचान है। 
  • पित्रादूरा तकनीक (संगमरमर पत्थर पर जवाहरात का जड़ाऊ काम) मुगल वास्तुकला की अपनी पहचान/विशेषता है। 
  • मुगल स्थापत्य में भव्यता, ‘विशालता पर जितना ध्यान दिया गया उतना ध्यान सजावट, अलंकरण व बारीकियों पर भी दिया गया। 
  • मुगल वास्तुकला का विकासक्रम है- शुरुआत-बाबर, विकास अकबर, चरम-शाहजहाँ तथा पतन-औरंगज़ेब।

 

बाबर काल 

  • ‘बाबरनामा’ के अनुसार, तत्कालीन वास्तुकला में संतुलन का अभाव था, इसलिये बाबर ने ध्यान रखा कि इमारतें सामंजस्यपूर्ण और ज्यामितीय हों। 
  • पानीपत की काबुली बाग मस्जिद, संभल की जामी मास्जिद, मीर बाकी द्वारा तैयार अयोध्या की बाबरी मस्जिद तथा आगरा का रामबाग बाबर काल की देन है। 
  • बाबर काल के स्थापत्य में शिल्पगत सौंदर्य की कमी ज़रूर थी, किंतु इसकी विशालता अद्भुत थी और इस हेतु उसने अल्बानिया से भी विशेषज्ञ बुलाए थे। 
  •  बाबर का पुत्र हुमायूँ ईरानी शैली को अधिक पसंद करता था। 
  • हुमायूँ ने दिल्ली में ‘दीनपनाह’ नामक भवन की नींव डाली थी।

 

अकबर काल 

  • अकबर के शासनकाल में हुए निर्माण कार्यों में हिंदू-मुस्लिम शैलियों का व्यापक समन्वय दिखता है। 
  • हुमायूँ का मकबरा (1570 ई.), आगरा का किला (1565 ई.), लाहौर किला, फतेहपुर सीकरी का किला, बुलंद दरवाज़ा, इलाहाबाद का किला, पंचमहल (1583 ई.) तथा इन किलों में सैकड़ों इमारतों का निर्माण अकबर काल में हुआ।

 

हुमायूँ का मकबरा 

  • 1570 ई. में निर्मित यह इमारत वास्तव में अकबर की माँ और हुमायूँ की विधवा पत्नी हमीदा बानो बेगम की देन है। इसकी डिज़ाइन फारसी शिल्पकार मलिक मिर्जा ग्यास बेग ने तैयार की थी। 
  • लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित तथा चारबाग शैली पर आधारित इस इमारत के दोहरे गुंबद में संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। 
  • इसी इमारत की डिज़ाइन पर आगे चलकर ताजमहल का निर्माण किया गया।

 

 नोट: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार, 1569 में हुमायूँ के मकबरे का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, परंतु यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के अनुसार 1570 में यह बनकर तैयार हो गया था।

 

आगरा का किला 

  • आगरा शहर की स्थापना सिकंदर लोदी ने 1504 ई. (अन्य स्रोतों में 1506 ई.) में की थी, लेकिन अकबर ने 1565 ई. में आगरा के किले की नींव रखी। 
  • 1.5 मील व्यास और 70 फीट ऊँचे दीवार वाले आगरा फोर्ट में दो दरवाज़े हैं- दिल्ली गेट और अमर सिंह गेट। 
  •  इन गेटों पर अकबर ने मेवाड़ की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले दो वीर राजपूत नायकों- जयमल और फत्ता की मूर्तियाँ लगवाईं। 

 

फतेहपुर सीकरी का किला 

  • आगरा से 36 किमी. पश्चिम में स्थित यह जगह प्राचीन काल में ‘सीकरी रूपबल‘ था, जहाँ पत्थर पर संगतराशी का काम चलता था। 
  • अकबर ने यहाँ लाल बलुआ पत्थर से सात मील लंबे घेरे वाले किले का निर्माण करवाया और इसे अपनी प्रशासनिक राजधानी बनाया।
  • बुलंद दरवाजा को अकबर ने गुजरात विजय के उपलक्ष्य में बनवाया था। 
  • फतेहपुर सीकरी की डिज़ाइन बहाउद्दीन ने तैयार की थी। 
  • फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जामा मस्जिद, इबादत-खाना, सलीम चिश्ती का मकबरा, बुलंद दरवाज़ा, हिरण मीनार, मीना बाज़ार, हवा महल, पंच महल, बीरबल महल, जोधा का महल, मरियम का महल तथा तुर्की सुल्ताना की कोठी आदि इमारतें हैं। 

 

जहाँगीर काल 

  • जहाँगीर ने वास्तुकला की जगह बाग-बगीचों और चित्रकारी को अधिक महत्त्व दिया, इसलिये कुछ इतिहासकार जहाँगीर काल को ‘स्थापत्य का विश्राम काल‘ कहते हैं। 
  • जहाँगीर काल में अकबर का मकबरा (सिकंदरा), एत्मादुद्दौला का मकबरा (आगरा), अब्दुर्रहीम खानखाना का मकबरा (दिल्ली), अनारकली का मकबरा (लाहौर), जहाँगीर का मकबरा (लाहौर), दिलकुशा बाग (लाहौर), शालीमार बाग (कश्मीर) आदि वास्तुकला के महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। 
  • मरियम-उज-जमानी का मकबरा सिकंदरा में जहाँगीर ने अकबर के मकबरे के निकट एक बाग में इसे बनवाया।

 

एत्मादुद्दौला का मकबरा 

  • यह अकबर एवं शाहजहाँ की शैलियों के मध्य एक कड़ी है। 
  • इसका निर्माण मलिका-ए-आलम नूरजहाँ ने 1626-28 ई. में करवाया था, जो मिर्जा ग्यास बेग उर्फ एत्मादुद्दौला की पुत्री थी। 
  • आगरा में यमुना किनारे सफेद संगमरमर से निर्मित इस इमारत में सर्वप्रथम ‘पित्रादूरा तकनीक’ (पत्थरों पर जवाहरात जड़ने का काम) का इस्तेमाल किया गया। 
  • सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे पर हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध और ईसाई कलाओं का प्रभाव है। इसी मुगल इमारत की मीनारें सबसे उत्तम आँकी गई हैं।

 

 

शाहजहाँ काल 

  • शाहजहाँ के समय मुगल स्थापत्य कला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची। 
  • इस दौर में संगमरमर पत्थरों का अत्यधिक इस्तेमाल तथा पित्रादूरा तकनीक का रूप निखरकर सामने आया। 
  • शाहजहाँ काल में मेहराब, गुंबद, मीनार, परकोटा और बुर्ज सभी आदर्श संतुलन में उपस्थित हुए। 
  • आगरा के किले का पुनरुद्धार, शाहजहाँनाबाद शहर की स्थापना, दिल्ली में लाल किला व जामा मस्जिद का निर्माण तथा आगरा में विश्व प्रसिद्ध इमारत ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ की स्थापत्य संबंधी विशिष्ट देन है। 
  • स्थापत्य कला के चरमोत्कर्ष के कारण ही शाहजहाँ के शासनकाल को मुगल काल का ‘स्वर्णयुग’ कहा जाता है।

 

ताजमहल 

  • शाहजहाँ ने आगरा में यमुना नदी के तट पर इस मकबरे को अपनी प्रिय बेगम ‘मुमताज़ महल’ (अर्जुमंद बानो बेगम) की याद में 1631-53 ई. के बीच बनवाया था। (यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के अनुसार ताजमहल 1631-1648 के मध्य निर्मित हुआ।) 
  • उस्ताद अहमद लाहौरी ने इसकी डिज़ाइन तैयार की और उस्ताद ईसा खाँ के निर्देशन में 22 साल काम चला; तब जाकर यह इमारत निर्मित हुई। 
  • श्वेत संगमरमर से निर्मित इस इमारत में पित्रादूरा शैली में सुंदर सजावट का काम किया गया है। 
  • ताजमहल कई इमारतों से प्रेरित रहा, यथा 
    • डिज़ाइन और चारबाग शैली में यह हुमायूँ के मकबरे से, 
    • इस्लामिक सादगी के मामले में यह अकबर के मकबरे से, 
    • कब्र डिज़ाइन के मामले में यह मांडू के होशंगशाह के मकबरे से, 
    • संगमरमर एवं पित्रादूरा तकनीक के इस्तेमाल में यह एत्मादुद्दौला के मकबरे से तथा
    • झील में भवन के प्रतिबिंब बनने के मामले में यह सासाराम स्थित शेरशाह के मकबरे से।
  • ताजमहल यूनेस्को की विश्व विरासत सची में शामिल होने वाला भारत का प्रथम स्मारक है। 1983 में ताजमहल को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था। 

 

 

लाल किला 

  •  1648 ई. में लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस किले में रंग महल, हीरा महल, नौबतखाना, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास आदि महत्त्वपूर्ण इमारतें हैं। 
  • लाल किले के भीतर औरंगजेब ने ‘मोती मस्जिद का निर्माण करवाया था, जिसके बाएँ तरफ हयात बख्श बाग बनाया गया है। 
  • हयात बख्श बाग के प्राकृतिक दृश्य को देखने के लिये दो मंडप बनाए गए, जिसे ‘सावन मंडप’ और ”भादो ‘मंडप’ कहा गया। इस बाग का फव्वारा दर्शनीय है

 

नोट: प्रसिद्ध वक्तव्य “यदि धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं हैं।” दीवान-ए-खास में अंकित है।

 

पित्रादूरा तकनीक

  •  यह इतालवी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- हार्ड स्टोन या कठोर पत्थर। 
  • सरल शब्दों में यह पत्थरों पर जड़ाऊ काम है, जिसका इस्तेमाल मुगल स्थापत्य कला में बखूबी किया गया है। 
  • यह कला 16वीं सदी में इटली के रोम में प्रयुक्त हुई और बाद में फ्लोरेंस के कलाकारों ने इसे शीर्ष पर पहुँचाया।

 

औरंगज़ेब काल

  • बादशाही मस्जिद (लाहौर), मोती मस्जिद (लाल किला) और राबिया-उद्-दौरानी का मकबरा (औरंगाबाद, महाराष्ट्र) इस काल की प्रमुख इमारतें हैं। 
  • राबिया-उद्-दौरानी का मकबरा औरंगजेब की बेगम दिलरास बानो बेगम या राबिया-उद्-दौरानी की याद में बनवाया गया। 
    • इसे ‘दक्कनी ताज’ या ‘बीबी का मकबरा‘ भी कहते हैं। 
    • इसके वास्तुकार अताउल्लाह (उस्ताद अहमद लाहौरी का पुत्र) और हंसपत राय थे।
    • राबिया-उद्-दौरानी मकबरे के निर्माण में भी संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है।

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