Mili ke Rahiha (मिली के रहिहा –  प्रदीप कुमार दीपक)

 6 . मिली के रहिहा –  प्रदीप कुमार दीपक

भावार्थ 👍

भारत के सभी निवासी मिलजुल कर रहे।  कंधे से कंधा मिलाकर चले सुख-दुख का मिलजुलकर सामना करें।  हमारे देश की धरती पावन है।  कश्मीर की मिट्टी अपने माथे पर चंदन की तरह लगाएं।  कन्याकुमारी के सागर के पानी को अंजलि में लेकर कसम खाए कि धर्म जाति के नाम पर लड़ाई नहीं करेंगे।  हमारी धरती मां की रक्षा के लिए कितने-कितने वीर शहीदों ने अपने खून की आहुति दे दी, तब जाकर भारत आजाद हुआ।  इस प्यारी आजादी रूपी चिड़िया को बचा कर रखना हम सभी का दायित्व है।  यहां अनेक भाषाएं और कई प्रकार की संस्कृति है।  तरह-तरह के पर्व त्योहार मनाए जाते हैं।  यह देश फूलों की सुंदर फुलवारी की तरह अलग अलग फूलो से सजा हुआ है।  विविधताओं में यह शोभा है।  यह देश अनेक प्रदेश में बटा हुआ है, लेकिन सभी भारतवासी है।  रोजी रोजगार के लिए एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र कहीं भी जा सकते हैं, पर सभी यह समझे कि हम भारत मां की गोद में ही है और एक दूसरे से लड़ाई ना करें और मिलजुल कर रहे हैं। 

 

भारतवासी मिली के रहिहा रे…

भारतवासी मिली के रहिहा रे…….. 

काँधा जोरी सुख-दुख मिली के सहिहा रे… 

भारतवासी मिली के रहिहा रे … ।

 

काशमीरेक माटी आपन मुड़ें माखा चंदन रकम 

कन्याकुमारिक पानी अंजुरी भइर खा तोयं कसम 

धरम-जाति के नामें ना लड़िहा रे, भारतवासी…..।

 

भारत माँ के रक्षा खातिर कते बीर शहीद भेला 

रकतेक नदी डेंगी आजादी के चेरँय पइला 

ई चेय के बँचाय के राखिहा रे, भारतवासी.. …

 

भिनु – भिनु लुगा- फटा, भिनु – भिनु भासा – बोली 

दिवाली, गुरु परब, ईद, क्रिसमस, फगुवा – होली 

कते फुले सोभो हइ बगिया रे, भारतवासी..

 

देश केर आँगनें सोभे परदेसेक टोना-टोना 

रोजी-रोटी पेट खातिर माइड़ लिहा कोन्हो कोना 

एक माँय केर कोरें तोंय बुझिहा रे, भारतवासी…।

 

Q. मिली के रहिहा  के लिखबइया के लागथीन  ? प्रदीप कुमार दीपक

Q. प्रदीप कुमार दीपक के जन्मथान हकय   ?

 

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