खुंटा भीतर चिंया गोटा (khunta bhitar chinya gota)

10. खुंटा भीतर चिंया गोटा

  • पुस्तक – खोरठा लोकसाहित्
  • प्रकाशक – झारखण्ड जनजातीय कल्याण शोध सस्थान ,मोरहाबादी ,रांची ,कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार 
    • प्रथम संस्करण – 2012   “©www.sarkarilibrary.in”
  • संपादक – 
    • प्रधान संपादकए. के. झा
    • अन्य संपादक
      • गिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी 
      • दिनेश दिनमणि
      • बी एन ओहदार
      • श्याम सुन्दर महतो श्याम 
      • शिवनाथ प्रमाणिक
      • चितरंजन महतो “चित्रा’
  • रूपांकनगिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
  • मुद्रक – सेतु प्रिंटर्स , मोरहाबादी ,रांची 

खुंटा भीतर चिंया गोटा का संकलनकर्तादिनेश दिनमणि 

 

  • KeyPoints – – 1.कउआ, 2.तेंतइर चियाँ (गोटा), 3.खूँटा, 4.बढ़इ , 5.राजा, 6.साँप, 7.डांग, 8.आइग, 9.गड़िया (पोखइर),10.हाँथी, 11.लुतीक, टांगा
  • तेंतइर – इमली 
  • चियाँ (गोटा)  “©www.sarkarilibrary.in”

एगो कउआ कहीं से एगो तेंतइर चियाँ (गोटा) पाइल । तकराँ एगो खूँटा उपरें बइस के खा हल । कइसें – कइसें सइ चियाँ गोटा कउआक ठोर से छूइट के खूँटाक फाइटें समाइ गेलइ । कउआ बड़ी हाइनिसार भेल । कते साधेक चियां गोटा फाँरीं चइल गेल ।

मुदा कउआइँ हाइर नाँइ मानलइ । कोन्हों उपायें चियाँगोटवा बहराइके खइबे करबइ,मने-मन कउआ ठानल। कउआ आपन से ढेइर जिगिस्ता करलइ, मुदा कोनो फायदा नाइ । गोटवा खूँटवाक फाइटें ढेइरे हेंठ चइल गेल हलइ । सोइच भाइभ के कउआ एगो बढ़इ जुगुन गेल। बढ़इया के कहल –

“बढ़इ-बढ़ई खूँटा फार, खूँटा भितर चियाँ गोटा।” बढ़इ सब बिबरन  सुइनके दुरदुराइके कहलइ” भाग रे कउआ, चललिअउ तोर खूँटा फारे।”  कउआ के बढ़इयाक बेबहार से बड़ी दुख भेलइ ।

ऊ पोहचल राजाक पास बढ़इयाक सिकाइत करेले । राजाके कहलइ “राजा-राजा बढ़इ बोलाव, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा । ” कउआक फरियाद राजाहूँ नाँइ सुनलइ । ओहोव दुरदुरावलइ ।

कउआ राइग के साँपेक पास चइल गेल। नाग साँप के नेहोअर करलइ- “साँप – साँप राजाक ढँस, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़ई नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँया गोटा।”

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साँपो कउआक नेहोइर नाइ सुनलइ तो कउआ चइल गेल डांग ठीन। कहलइ – “डांग – डांग साँप मार! साँप नाहीं राजा डँसे, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।” मुदा डंगो कउआक बात नाइ मानलइ । 

कउआ राइग के आइगेक भीर चहँइट गेल। आइग से कहल – “आइग–आइग डांग पोड़ाव, डांग नाहीं साँप मारे, साँप नाहीं जा डँसे, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर याँ गोटा ।”

आइगो कउआक बातें कान नाँइ देलइ। गरगुरइले कउआ चइल गेल एगो गड़िया (पोखइर) ठीन । पनियाक आपन दुखवास सुनाइ के नेहोइर करलइ- “पानी-पानी आइग निझाव, आइग नाहीं डांग पोड़ावे, डांग नाहीं सॉप मारे, साँप नाहीं राजा डँसे, राजा नाहीं बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाहीं खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।” पानीहूँ कउआक हायनिसार करलइ । पानी कहलइ,” आब चललों तोर खातिर आइग निंझावे ले ।

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“कउआ कुसकुसाइल पोटपोटाइल चइल गेल हाँथी जुगुन । हाँथी के नेहोइर कइर आपन फरियाद दोहरावल- “हाँथी- हाँथी पानी घाँट, पानी नाहीं आइग निंझावे, आइग नाहीं डांग पोड़ावे, डांग नाँय साँप मारे, साँप नाँय राजाक ढँसे, राजा नाँय बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाँय खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।”

भाला हाँथी कउआक बात कीले सुनत-लइ । कउआक ओहोव खेंकइर देलइ । चललियइ एकर चियाँ गोटाक दायें पानी घाँटे ले। कउआ मन माइर के हुआँ से चलल आर चहँइट गेल लुतीक पास। लुतियइनो से ओइसने नेहोइर करलइ- “लुती – लुती हाँथी मार, हाँथी नाहीं पानी घाँटे, पानी नाहीं आइग निंझावे, आइग नाहीं डांग पोड़ावे, डांग नाइ साँप मारे, साँप नाइ राजाक डँसे, राजा नाँइ बढ़इ बोलावे, बढ़इ नाइ खूँटा फारे, खूँटा भितर चियाँ गोटा ।”

एत एते झन केउ कउआक बात नाय मानला तो आब लुती ओकर बात काहे माने । ई घरी कउआक रागा मुधइन चइढ़ गेलइ कि एतना छोट जीवो हामर आरहान नाइ सुनाल ? खखुवाइ के कहलइ.” एह गे लुती ! हामर बात नाँइ सुन तो एके-एकें बीछ के तोहनिये के खइबे !”

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ई बतिया सूइन के लुतियइन डेराइ गेलथ आर कउआक बात माइन के कउआक पेछूइ-पेछूइ सइ हाथीक पास पहुइच गेल्थिं । हँथियाँइ लुती सब के आपन दने आवइतें देइख के पुछलइ” कहाँ जा हा तोहिन? लुतियइन कहलथिन जे तोरे सुँइढ़ें ढुइक के तोर परान लियेले जा हियउ। हथियाँइ डइर के तकर कारन पुछलइ तो कहल्थि जे कउआक काम काहे नाइ करल्हीं । एकर बात मान ने तो तोर आइज खइर नखउ। हँथिया अकबकाइ के कउआक संगे संगे पानीक पास पाहुँइच गेल। पनियाइँ पुछलइ तो हँथियाँइ ओहे जबाब देलइ, तोरौँ  हिड़इर के घिसट कइर देबउ काहे कि तोंय कउआक बात काहे नाँय सुनल्हीं ।

पनियाइँ सुइन के हाँथी से रहम करे कहलइ आर कउआ से माफी माइंग के चलल आइगेक पास। आइग आपन दने पानी के आवइतें देख के डेराइ गेल। सब मामला बुझल बाद कउआक संग सोझाइ गेल डांगेक जुगुन। डांगो आइगेक डरें छमुवाइ गेल कउआक काम करेले । ऊ जखन सनसनाइले साँपेक पास गेल तो साँपो डइर के कउआक संगें मोहइड़ गेल राजाक घर बटे। आपने बटे राजाइ साँप के फेना काढ़ले आवइते देइख साँप से कहलइ- “कहाँ जाहें रे साँप ?”, “तोहरहीं ढँसे ले” साँप कहलइ। राजाँइ पूछलइ जे हामर की दोस? तखन साँप कहलइ-” तोहें कउआक फरियाद काहे नाँइ सुनलहाक?

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साँपेक ई बतिया सुइन आर साँपेक संग कउआक देइख राजा सभे बुझ गेलक । कउआ से सब बिरतांत फुरछाइकें सुनल बाद ओकर चियाँ गोटा खातिर करल ई जिमिरजिट जिगिस्ताक साबासी देलइ आर बढ़इ डाकाइ के कउआक काम करेले आर्हाइ देलइ । कउआ संग बढ़इ गेल आर सइ खुटवा के टांगा से फाइर देल । बढ़इ सुखल काठ लइकें घर घूरल आर कउआ चियाँ गोटा ठोरें लइ के खुसी – खुसी उइढ़ गेल ।

  • खुंटा भीतर चिंया गोटा लोक कथा के संकलनकर्ता कौन है ?  दिनेश दिनमणि   “©www.sarkarilibrary.in”
  • खुंटा भीतर चिंया गोटा लोककथा में मुख्य भूमिका के रूप में किसको दिखाया गया है? कौवा को 
  • चिंया गोटा कौवा के चोंच से छूट कर कहा गिर जाता है? खूँटाक फाइटें 
  • चिंया गोटा खूँटाक फाइटें घुसने के बाद कौवा सबसे पहले किसके पास जाता है ? बढ़ई के पास 
  • कौवा का फरियाद बढ़ई नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? राजा
  • कौवा का फरियाद राजा नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? साँप
  • कौवा का फरियाद साँप भी  नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? डांग
  • कौवा का फरियाद डांग भी  नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? आइग
  • कौवा का फरियाद आइग भी  नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? गड़िया (पोखइर)  “©www.sarkarilibrary.in”
  • कौवा का फरियाद गड़िया (पोखइर) भी  नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? हाँथी
  • कौवा का फरियाद हाँथी भी  नहीं सुनता है फिर कौवा किसके पास जाता है ? लुतीक
  • कौवा से डरकर कौन ओकर मदद करे ले तैयार भाई गेलै ? लुतीक
  • कौवा कर काम करेक के आदेश देलै ? राजय 
  • बढ़इ खुटवा के  की से फाइर देल ? टांगा से 
  • कौवा का काम कैसे हुआ ?  अपना दम दिखाने से
  • इस कहानी से क्या सीख मिलती है ?  किसी काम को करने का जिद हो तो कामयाबी अवश्य मिलता है
  • कौवा, चिंया गोटा को हासिल करने के लिए किए गए प्रयास के लिए शाबाशी कौन देता है ?  राजा
  • बढ़इ की लेके घर घुरल ? सुखल काठ  “©www.sarkarilibrary.in”

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