khortha lokgeet mandar baje re bansi baje re (मांदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे)

 माँदइर बाजे रे बाँसी बाजे रे – सुकुमार

माँदर बाजे रे, बाँसी बाजे रे, 

अखरें गहदम झूमइर लागे रे …. 2

 

जखन आवइ करमा चाहे सोहराइ 

टुसू के रंग भइया कहलो ना जाइ 

डोहा के सुरें झुमें बाँउड़ी पोरोब 

सरहुल आवइथीं गोटे झारखंड माताइ 

माँदर बाजे ..2 

 

झींगा फुले काँसी फुटे, भादो जखन आवे 

करमा के गीत गूंजे तखन गाँव-गाँव 

जावाडाली, बेलदरी, धान के पतइया 

बहिन कहे लाख बछर जिये हामर भइया

चाँद हाँसे रे, मेंजूर नाचे रे 

अखरें गहदम झूमर लागे रे । 

माँदइर बाजे .2 

 

झारखंडें जखन आवे, सोहराइ के दिन 

घरें-घरें माँदर बाजे धांग – धातिंग-तिना 

गोरू – डाँगर मलक मारे, सिंघें सिंदुर माखे 

बरदा के मिरवें परीछे ढोले-ढाँके, 

धान पाके रे, डाँगर नाचे रे 

अखरें गहदम झूमइर लागे रे 

माँदइर बाजे .2

 

 

पूस मार्से मारो हइ, कनकनी अंगें- अंगें 

बाँउड़ी-टुसू काँधा जोइर आवइ एक संग 

चिउरा – गुर, लाइ- पीठा अछल-गदल घरें 

दामुदरें डोहा के जे हाँको हइ भिनसरें, 

मेला लागे रे, घेरा, बाजे रे 

अखरें गहदम झूमइर लागे रे 

माँदइर बाजे ……2

 

सरहूल पोरोबेक राजा झारखंडें दादा

 गाछें-गाछें फूल फुटे लाल-पियर-सादा 

मधु चुवइ मन मातइ, माइत जा हइ हावा 

परकिरति कर-हइ सिंगार नावाँ – नावाँ 

कोइ कूके रे, भरा गूँजे रे 

अखरें गहदम झूमइर लागे रे 

माँदर बाजे .. .2

  • पर्व  – करमा (भादो में ) , सोहराइ( (कार्तिक  में ) , टुसू (पूस में ) , बाँउड़ी पोरोब (पूस में ) ,सरहुल ( चैत्र शुक्ल पक्ष की तीसरे दिन  में )
  • लोकगीत – डोहा, घेरा 
  • फूलझींगा , काँसी, बेलदरी
  • वाद्ययंत्र – मांदइर, बाँसी (बांसुरी ), ढोल,ढाँक
  • कठिन शब्दों का मतलब – गहदम (जबरदस्त ), मेंजूर (मोर ), डाँगर (बैल ) ,मलक मारे (खूबसूरत दिखना ), सिंदुर माखे (सिन्दूर लगाना ),मिरवें (मालिक), परीछे (स्वागत करना ), अछल-गदल (ज्यादा ,भरपूर ), मधु चुवइ (शहद रिसना ),कोइ (कोयल ),भरा (भौरा )

 

  • Q. मांदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे गीत के लिखबइया के लागथीन  ? सुकुमार
  • Q. मांदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे गीत कौन किताब में छपल/इंजरायल  हे  ? सोहान लागे रे
  • Q.सोहान लागे रे के किताब के संपादक के लगे ? दिनेश दिनमणि
  • Q. सुकुमार के जन्मथान हकय   ?
  • Q. सुकुमार के पूरा नाम हकय   ? सुरेश कुमार विश्वकर्मा
  • Q.मांदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे किस प्रकार का रचना है ? शिष्ट गीत
  • Q.माँदर/ढोल/ढाँक किस प्रकार का वाद्ययंत्र है ? अवनद्ध वाद्ययंत्र
  • Q.बाँसी (बांसुरी ) किस प्रकार का वाद्ययंत्र है ? सुषिर वाद्ययंत्र
  • Q.झारखंड में किस पर्व को पर्वों का राजा माना जाता है ? सरहुल
  • Q.डोहा और घेरा क्या है ? एक प्रकार का लोकगीत
  • Q.डोहा कब गाया जाता है ? बाँउड़ी में
  • Q.झींगा या काँसी क्या है ? एक प्रकार का फूल
  • Q.झींगा फुल कौन से समय में खिलता है ?  शाम के समय में
  • Q.काशी फूल किस रंग का होता है ?  सफेद
  • Q.झींगा या काँसी का फूल किस महीने में फूटता है ? भादो 
  • Q.करमा किस महीने में मनाया जाता है ? भादो एकादशी (पूर्णिमा की रात )
  • Q.करमा परब हकय ? भाई बहिन के प्रेम के परब 
  • Q.सरहुल परब हकय ? फूलो का परब /नया साल का परब 
  • Q.गोरू – डाँगर के सिंघें कौन पर्वे सिंदुर माखे जाहय ? सोहराइ
  • Q.बरदा के ओकर मिरवें कौन पर्वे ढोले-ढाँके परीछे है ? सोहराइ
  • Q. गहदम शब्द का मतलब की हवे है ? जबरदस्त/ जोरदार

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