खोरठा FOR JSSC EXCISE CONSTABE
दु डाइर परास फूल
करनी कविता
लेखक: बीरबल महतो
जनम: 01 जून 1961
जनम थान : रामगढ़ जिला, गोला थाना, उलादका (सोनडीमरा) गाँव
माँयेक नाम: रंभा देवी
बापेक नाम: भाकुर महतो
शिक्षा :
- इनखर सुरूक पढ़ाइ डीमरा स्कूल हेल।
- मैट्रिक :श्री नारायण उ०वि० बरकाकाना से 1978 में
- बी०एस०सी० 1983 में एस०एस० मेमो० कॉलेज, राँची से
- एम0ए0 खोरठाञ (1983-85 सत्रे) करल हथ ।
- खोरठा प्राध्यापक रूपे रामगढ़ कॉलेजे इनखर तदर्थ नियुक्ति 1988 में हेल हलइ।
करनी कविता
धन-दउलत, जर-जमीन, सोब कह-ही आपन
बहु-बेटी, माँय-बाप, छउआ-पुता, सोब कह-ही आपन,
अइसन सुन्दर काया में, जखन ढुइक जइतऊ घुन
तखन कोइ तोरा पुछबो नाञ करबथुन,
से खातिर, सोइच-बुइझ के चले भेतउ,
आर नाञ तो सोब छुइट जइतऊ आपन !
सगरघरी कहइत रहबे, ईटा हेके आपन, उटा हेके आपन,
बिपइत पडले कोनो टा, नाञ भेतउ ई दुनियाये आपन।
आपन-आपन कही-कही गतवा के, नित दिन करहिअइ जर-जतन
मरला परे गतवा नाञ भेतइ आपन।।
बहु-बेटी, माँय-बाप, छउआ-पुता, सोब जइबथु छुइट।
आर आपन-आपन कहि के जोगवल टा, सोब लेबथुन लुइट।
से खातिर हाथ जोइड, सबके करहिओ बिनती, नाञ करा अइसन गलती,
कि लोग करता दुतकार, करा अइसन कुछ काम,
कि रहतउ जउ-जिनगी नाम।
आर अवइया पीढ़ी करतइ सतकार,देतइ सम्मान !