Karma Geet (खोरठा के करम गीत – 2)
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      •  कर्मा भादो शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है। 
      • यह प्रकृति से संबंधित त्योहार 5 से 9 दिन तक मनाया जाता है।
      • इस पर्व में लड़कियों के द्वारा नदी तालाब मैं नहा धोकर नदी की बालू को टोकरी (करम डलिया ) में रखा जाता है और टोकरी में जो, गेहूं, चना, कुरथी आदि के बीजों को बोया जाता है। इसे जावा उठाना कहते है।   प्रतिदिन उन बीजों में शुद्ध जल डालने से वे अंकुरित हो उठते हैं और पौधे का रूप ले लेते हैं जिसे जावा डाली कहा जाता है। 
      • भादो शुक्ल एकादशी को पर्व करने वाली लड़कि निर्जला उपवास रखती है। उसी दिन दो युवक भी उपवास रखते हैं जिन्हें कर्म डाली लाना होता है।  
      • जावा जगाना (जावा गीत ) ; जावा डाली को बीच में रखकर वृत्ताकार पथ में नृत्य करना
      • परबइती  : जावा पर्व करने वाली  लड़कियों को कहते है। 
      • करम पर्व को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व हैं। 
      • पुजारी कर्मा धर्मा की कहानी सुनाते हैं। 
      • कर्मा के दिन जावा डाली और खीरा को खूब सजाया जाता है।  खीरा पुत्र का प्रतीक माना जाता है।  लड़कियां खीरे को कर्म राजा को समर्पित कर स्वस्थ पुत्र की कामना करती है।  साथ ही अपने भाई के लिए स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की कामना भी बहन करती है। 
      • कर्म, तीज, जितिया व्रत के समय जो गीत गाए जाते हैं उन्हें अंगनई गीत कहा जाता है। 
      • कर्म कथा : सतयुग में द्विज शर्मा नामक राजा था, जिसके दो पुत्र थे –  कर्म और धर्म।  
        • धर्म की पत्नी – पतिव्रता एवं सुंदर सुशील  थी।  
        • कर्मा की पत्नी – कर्कश  और झगड़ालू थी। 

      धर्मा की पत्नी प्रत्येक वर्ष भादो एकादशी के दिन निर्जला व्रत कर शाम को झुरदेव यानी कि कर्म डाली का पूजन करती थी।  जिससे उसके सभी कष्ट का निवारण हो जाता था। जबकि कर्मा की पत्नी यह पूजा नहीं करते थे जिससे उसके दिन बहुत खराब  थे। लेकिन भादो एकादशी के दिन निर्जला व्रत कर  कर्म डाली का पूजन करने से दुःख खत्म, टाटा, बायबाय। राहुल गांधी जिंदाबाद। 😀:

      आखरा बांधा 1

       

      ‘छोटे मोटे ‘चेटर’ गाँव माझे ठिने आखरा गो

      तहीं तरे सभे देवा खेले जुआ साइ

      किया तोहें सुरूज देवा खेले जुआ साइ गो

      तोहर गइया हो देवा, कास नदी पार गो!

       

      दे हो जाइ दे हो, कांस नदी पार हो

      जाइ हवतइ संकट देवा, आनबइ घुराइ

       

      ( ई गीत गोटे खोरठा छेतरें पइरचल हे। चेटर गाँव के जघ- आपन–आपन गाँवेक नाम ले हथ जे रंग ‘माराफरी’ ‘साँकुल’ हेन-तेन)

       

      आखरा बांधा 2

       

      आगु बंधना बांधु सुरूज देवा गो

      तबे ओकर बांधना बांधु जावा डाली गो

      पोखरीक भिंड़िया हीं जावा जगइलों गो

      एगो के जाने कोना देवा अइता गो !

      एते जदि जान-तलों सुरूज देवा अइता गो

      एगो चरक पाँठा राखतलों बइसाइ गो!

      तबे बांधना बांधु करम गोसाइँ गो

      एगो ओकर बंधना जावा डाली गो

      एते जदि जान-तलों करम गोसाइँ अइता गो

      एगो खीर- ओंकरी राख तलों बइसाइ गो!

       

       

      करमेक लहइर

      लाली पालकिया, लाली धोलकिया

      लाली-लाली पड़लय ओहाइर,

      रे करम चली आइल…..

       

      मंमिएँ बइसले तोहें ससुर बढ़इता,

      दिहा ससुर बहिन बिदाय, रे करम….

      हामें  नाय जानियइ, हामे नाय सुनिये

      जाए पूछू भेंसुर आपन, रे करम….

       

      डंटा खेलइतें तोहें भेंसुर बढ़इता,

      दिहा भेंसुर बहिन बिदाय, रे करम….

      हामे नाय जानिये,हामे नाहीं सुनिये –

      जाये पुछँ दीदी आपन, करम चलि….

       

      भनसे दुकले तो दीदी दुलरइति,

      दिहा दीदी बहिन बिदाय, रे करम…. रे

      हा नाय जानिये, हामे नाही सुनिये

      जाए पूछँ बोहनइ आपन, रे करम चलि…..

       

      डंटा खेलइतें तोहें बोहनइ बढ़इता,

      दिहा बोहनइ बहिन बिदाय, करम चलि…..

      धरबइ माय मुंगरी तोड़बइ माय टेंगरी

      पुरी जितइ करमाक आस, रे करम चलि आइ….

       

      करमेक लहइर 02

      कोना आमा हरियर, कोना आमा पियर

      बलि ओगो, कोना आमा सिन्दुरे बरन ?

      काँचा आमा हरियर, गादर आमा पियर

      बलि ओगो पाकल आमा सिन्दुरे बरन ।

       

       

      सेहो आमा बिछे गेली कनिया कुमारी

      बलि ओगो, राजाक बेटाइँ,

      राजाका बेटाँइ धरलइ आँचइर।

       

      छाड़-छाडु राजाक बेटा, हामार आँचरवा,

      बलि ओगो हामे लागों,

      हामे लागों कनिया कुमार ।

       

      तोहें जे लागा कनिया कुमारी,

      बलि ओगो हामें लागों,

      हामे लागों राज कुमार ।

       

      जबे तोहें लाघे राज कुमार गों

      बलि ओगो चली जिहा,

      चलि जिहा बाबाक बखइर ।

       

      कइसे हमें चिन्हब जेठाक बखरीया

      बलि ओगो कइसें चिन्हब बाबाक बाखइर ?

       

      जेठाक बखरीं घुरइ-

      हँसराजा घोड़वा, बलि ओगो

      बाबाक बखरी, बाबाक बखरी-

      घुरऽ हइ मेंजुर !

       

      खाटाप-खुटुप दउड़इ

      हँसराजा घोड़वा,

      बलि ओगो, दन-दन, दन-दन

      घुरऽ-हइ मेंजुर !

       

       

      झुमइर

       

      केथिक डरें गे हाँथिन बोन समइलें ?

      केथिक डरें गे हाँथिन कादाँइ लेटइलें ?

       

      माछिक डरें गे हाँथिन बोन समइलें ।

      लुतिक डरें गे हाँथिन कादाँइ लेटइलें।

       

      के तोरा गे हाँथिन घास काटतउ ?

      के तोरा गे हाँथिन पइन भरतउ ?

       

      राम-लखन गे हाँथिन घास काठतउ ।

      सीता सांवइर गे हाँथिन पइन भरतउ ।

       

      झुमइर 2

       

      झिरी-झिरी नदिया सेंवाल बोहइ ना

      हेरम, तहीं तो बंगालिन बेटी-

      दाइल धोवइ ना।

       

      घोड़े चढ़ल आवे राजाक बेटा ना

      हेरम, घोड़वें उतइर राजाइ दाइल मांगइ ना ।

       

      कइसें हमें देबइ धोवल दलिया ना

      हेरम, बाबाक कुलेक नाम डुबाइ देबइ ना।

       

      करमेक हुब

      कर-मेकेर लह लह ! भइया लेगे आवे!

      पर-लइ भादर मास, लाग-लइ नइहरेक आस!

      करा गो सासु, करा गो सासु!

      करा सासु हामर बिदाइ !

      दिना चाइरेक,

      सासु जाइ दे नइहरा गो!

      दिना चाइरेक!

       

      तोहरो बिदाइ बहु हाम्हूँ ना जानो!

      पूछी गो लिहा, पूछी लिहा आपन ससुर !

      दिना चाइरेक, ससुर जाइ दे नइहरा गो

      दिना चाइरेक!

       

      भोरल नदी-नाला, भोरल जोरिया गो

      कइसे करि, बेटी जइबें नइहरा गो

      कइसें करि !

       

      आन-बइ सिमर पोहा

      गाँथ-बइ फुही गो

      फुही चघी, ससुर जइबइ नइहरा गो!

      दिना चाइरेक !

      ससुर जाइ दे नइहरा गो!

      दिना चाइरेक!

       

      जावा जगवा

       

      जावा माय जावा, किया – किया जावा

      सेहो रे जावा एक पांता सइ रे ।

      सुइया राजा राम-राम, हरि रामा भाइ रे

      “सराभरा दह के पनीया पीयाइब रे!

       

      सारा हाटे हटी गेलइ कजराली पनीया

      गंगा बोही-बोही छेके मलीनीयाँ!

      गंगा हो गंगा मइया तोहरे नाम रे

      दुहिया लइ भइया पाअरा पाइब रे!

       

      पहराहीं हथिं साठी मुनिस रे

      साठी मुनिस के साइ बहू रानी

      साइ बहू रानी- एक बहू कानी

      कानी के देवइ, घइला भरी पानी!

       

       

      घइलवे से उइठ गेलइ गेहूमन साँप रे

      छाडू-छाडू गहूमन हमरिया बाट रे

      बाट छोड़िये बहिन किया फल पाइव रे

      पइबे भाय रे करम गोसांइ रे ।

       

      दिहा करम गोसाइ दिहा आसिस रे

       

      मोर भइया जियतइ लाख बरिस रे

      देलियो गो करमइति देलियो आसिस गे

      तोर भइया जियतो लाख बरिस गे।

       

       

       

      करमेक हुब -2

       

      करमेक लह लह भइया लेगे आवे

      बलि ओगो, करा सासु

      करा सासु हमर बिदाय ।

       

      भोरल नदी नाला भोरल जोरिया

      बलि ओगो, कइसें करी

      कइसें करी जिबें नइहर ?

       

      आनब सिमर काठ, गांथबइ फुही गो

      बलि ओगो, फुहीं चढ़ी,

      फुहीं चढ़ी जिबइ नइहर ।

       

      भोजीक ओलोहना

      बांका रे बांका कुरथी,

      भूंजे बइसल छोटकी ननद ।

      भूजइते – भूंजइते ननद पोड़ी गेल

      लाजे हूँ नाय जाय ससुर घार ।

       

      जाइते रे सिमर सिटिका

      घुरइते फुलें भोभोकाल ।

       

      तोरी लिहा हो नन्देसुआ

      ननदी के देबइ पहिराइ ।

      बांका रे बांका कुरथी ….

       

       

      जावाक बिदाइ गीत

      आइझु तो करम गोसाइ

      घारें दुवाइरें गो,घारें दुवाइरें

      काइल तो रे करम गोसांइ, कास नदी पार ।

      जाजा हो करम गोसांइ,

      कास नदी पार हो, कास नदी पार

      आवतइ भादर मास आनबो घुराइ -2 !

       

      भायेक बड़ाइ

       

      के मोरा खायतइ पाकल पान गो -2

      के मोरा खायतइ ऍड़री के टूसा ?

      भइया हामर खायतइ पाकल पान गो -2

      सँइया हामर खायतइ ऍड़री के टूसा !

      के मोरा आवतइ इंद राजा संगें गो-2

      के मोरा आवतइ चुरूप राजा संगें ?

      भइया मोरा आवतइ इंद राजा संगें गो-2

      सँइया मोरा आवतइ चुरूप राजा संगे ।

      के  हामर आइन देतइ दूइयो हाँथेक साँखा गो-2

      के हामर आइन देतइ अइड़ि सइतिनी-?

      भइया हामर आइन देतइ दूइयो हाथेक साँखा गो-2

      सइया हामर आइन देतइ अइड़ि सइतिनी ।

      हाँसी-हाँसी पिंधबइ दूइयो हाथेक साँखा गो-2

      कांदी-कांदी पइरछबइ अइडि सइतिनी ।

       

      करमेक आस 2

       

      दूरी देसे करलें बाबा जोर नारवा हो,

      कबहूँ न अइलें लेनिहार!

      आगु पठइबो बेटी नउवा बाभनवाँ गे

      तबे पठइबो छोटो भाइ!

      कहाँ हामे राखबइ नउवा बाभनवाँ गो

      कहाँ राखब छोट भाइ ?

      गोहला हीं राखों नउवा बाभनवाँ गे

      भितरा महलें छोटो भाइ ।

      किया खियइबइ बाबा नउवा बाभनवाँ गो

      किया खियइबइ छोटा भाइ ?

       

      घीया मूंगा दलिया बेटी नउवा बाभनवाँ गे

      दही दूध खियइहें छोटो भाइ ।

      कहाँ पइबइ बाबा घीया मूंगा दलिया हो,

      कहाँ पइबइ दही दूध ?

       

      लादी पठइबउ बेटी घीया मूंगा दलिया गे

      खेदी पठइबउ धेनु गाय ।

      किया दये बोधवइ नउवा बाभनवाँ गो

      किया दये बोधबइ छोट भाय ?

       

      चार-दाइल धोती दये नउवा बाभनवाँ गे

      छोटकी ननदी छोटो भाइ ।

       

      करमइति सीता

       

      दर-दर का भाइ, सीता ठकुराइन रे !

      बलि ओ.. रे ! बाम रे भेला

      बाम भेला बिधि हामर !

       

      सुना-सुना करम राजा हामर बचनवाँ

      बलि ओरे, मोर जे सइयाँ

      मोर सइयाँ गेलक परदेस !

       

      जदि सइयाँ आनि देभे, करम गोसइयाँ

      आवत भादर मासें, करमे के दिन

      ढोल-ढाकेँ आन-बो, माँझ बारी गाड़-बो !

      बलि ओरे, घीवेके बातीं

      घीवेक बाती लेबो जागाइ !

       

      आन-बइ सहियाक डाकि, बइसब धेयान धरि

      बलि ओरे, फुल रे दले !

      फुल दलें करबो सुसाइर !

       

      हामर बातें अर-जे जे, सिखर साइल धनवाँ !

      बलि ओ रे, से हो रे धानेक से हो धानेक देबो भिंजल चार !

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