Jallianwala Bagh Massacre 1919

 

जलियाँवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल, 1919)

Jallianwala Bagh Massacre 1919 

  • 9 अप्रैल (कुछ स्रोतों में 10 अप्रैल) को पंजाब के दो लोकप्रिय नेता-डॉ. सत्यपाल एवं डॉ. सैफुद्दीन किचलू को सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। 

  • इनकी गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के दिनमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक विशाल सभा का आयोजन हुआ। 

  • जनरल डायर ने जनता पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। 

NOTE

गांधी जी ने रॉलेक्ट एक्ट के विरोध सत्याग्रह-प्रथम जन आंदोलन को प्रारंभ 6 APRIL 1919  की घोषणा की। 18 अप्रैल को आंदोलन वापसी की घोषणा की। 

  • इस नरसंहार के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई ‘नाइट’ की उपाधि वापस कर दी। 

  • दीनबंधु एफ.एंड्रूज  ने इस हत्याकांड को ‘जानबूझकर की गई हत्या‘ कहा। 

  • शंकर नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य पद से त्यागपत्र दे दिया। 

  • इस हत्याकांड की जाँच हेतु कॉन्ग्रेस ने मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति की नियुक्ति की। समिति के अन्य सदस्यों में मोतीलाल नेहरू, महात्मा गांधी, सी.आर.दास, तैय्यबजी और जयकर इत्यादि थे। 

  • ब्रिटिश सरकार ने इस हत्याकांड की जाँच के लिये हंटर आयोग गठित किया जिसमें तीन भारतीय सदस्य- चिमनलाल शीतलवाड़, सुल्तान अहमद एवं जगत नारायण थे। 

  • हंटर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- “अमृतसर की तत्कालीन परिस्थितियों में मार्शल लॉ लागू और बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने हेतु गोली चलाना आवश्यक हो गया था, लेकिन डायर ने अपने कर्तव्य को गलत समझा और तर्कसंगत आवश्यकता से अधिक बल का प्रयोग किया, फिर भी उसने ईमानदारी से जो उचित समझा, वही किया।

  • हत्याकांड के दोषी लोगों को बचाने के लिये सरकार ने हंटर आयोग की रिपोर्ट आने से पहले ‘इंडेमिटी बिल’ पास कर लिया था। 

  • सज़ा के तौर पर डायर को नौकरी से बर्खास्त किया गया। 

  • ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में डायर की प्रशंसा में भाषण दिये गए तथा सम्मानार्थ तलवार (Sword of Honour) और 2600 पौंड की धनराशि दी गई।

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