भारतीय संस्कृति का प्रसार /Expansion of indian culture
बामियान (अफगानिस्तान) में ईसवी सन् की प्रारंभिक शताब्दियों में पत्थर की सबसे लंबी बुद्ध मूर्ति बनाई गई, जिसे 2001 में तालिबान ने ध्वस्त कर दिया।
- सुमात्रा द्वीप में पल्लवों ने उपनिवेश स्थापित किया था।
- इंडोनेशिया के द्वीपों में जावा, सुमात्रा, बोर्नियो, बाली आदि महत्त्वपूर्ण हैं।
- सुमात्रा में सबसे पुराना हिंदू राज्य श्रीविजय था, जो गुप्तकाल में अस्तित्व में आया।
- बर्मा के पेगू और मोलमेनसुवर्ण भूमि कहलाते हैं तथा जावा (इंडोनेशिया) और मलाया क्षेत्र (मलेशिया) सुवर्ण द्वीप।
- भारतीयों ने कंबोज और चंपा में दो शक्तिशाली राज्य स्थापित किये।
- कंबोडिया के अंकोरवाट का मंदिर,जावा के बोरोबुदुर के स्तुप से भी बड़ा है।
- इंडोनेशियाई भाषा– ‘बहासा
- बर्मी लोगों ने बौद्ध धर्म के थेरवाद को विकसित किया।
- चीन से बौद्ध धर्म कोरिया और जापान पहुँचा।
- बौद्धों की एक बस्ती चीन स्थित तुन-हुआड़ में बसी थी।
- तिब्बत में बौद्ध धर्म का एक रूपवज्रयान या लामावाद विकसित हुआ।
- नेचुरल हिस्टोरिका के लेखक – ‘प्लिनी’
- ‘मुज़िरिस’ मालाबार तट पर स्थित एक प्रसिद्ध भारतीय बंदरगाह था ।
- अरबी भाषा में गणित को ‘हिंदिसा’ कहते हैं
- अरबों ने गणित सर्वप्रथम भारतीयों से ही सीखा था।
दक्षिण-पूर्व एशिया व श्रीलंका में भारतीय संस्कृति का प्रसार
- सुवर्ण द्वीप और सुवर्ण भूमि से आशय बर्मा, स्याम, तोकिन, अनाम, कंबोडिया, मलाया, जावा, सुमात्रा, बाली, बोर्नियो और तिमोर क्षेत्र से है, जिन्हें आधुनिक विश्व में आसियान आर्थिक संगठन के रूप में जाना जाता है।
- इनके बीच प्राचीनतम संपर्क के प्रमाण वर्तमान म्यांमार में ‘प्यू नगर’ (Pyu city) में प्रथम ईसवी के उत्खननों में प्राप्त हुए।
बर्मा (म्यांमार)
- 450 ई में बुद्धघोष ने वहाँ जाकर हीनयान मत की स्थापना की।
- बर्मा में पगान 11वीं से 13वीं सदी तक बौद्ध-संस्कृति का महान केंद्र बना रहा।
- यहाँ के एक प्रतापी राजा का नाम अनिरुद्ध था।
- उन्होंने ‘स्वेडगन पगोडा’ तथा हज़ारों की संख्या में मंदिर बनवाए।
- वर्तमान में यहाँ के राज-ज्योतिषी, भविष्यवक्ता को बर्मा में ‘पोन्ना’ कहा जाता है।
मलेशिया
- मलाया प्रायद्वीप को मूलतः मलेशिया कहा जाता है।
- मलेशिया के कडाह प्रांत से बौद्ध ग्रंथों के कुछ ऐसे अंश मिले हैं
- भारत और मलेशिया के सांस्कृतिक संबंधों के सबसे प्राचीन प्रमाण वहाँ से मिले संस्कृत के शिलालेख हैं।
- इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण ‘लिगोर’ (Ligor) को माना जाता है। यहाँ पर करीब 50 मंदिर भी मिले हैं।
- प्राचीन काल का चंपा क्षेत्र था, जो आज वियतनाम में है।
- चंपा क्षेत्र पर राजनीतिक रूप से सर्वप्रथम प्रभाव जमाने वाला भारतीय मूल का व्यक्ति ‘श्रीमार’ था, जिसे चीनी स्रोत में ‘किऊलियन’ कहा गया है।
- चंपा के लोगों को ‘चम’ कहा जाता था।
- प्राचीन स्याम और लाओस को मिलाकर थाईलैंड बना है ।
- 1939 तक थाईलैंड को ‘स्याम’ नाम से ही जाना जाता था।
- अयोध्या जिसे वहाँ ‘अयुत्थाया‘ कहते हैं, उन्हीं में से एक प्रसिद्ध राजधानी है।
कंबोडिया
- प्राचीन काल में कंबोडियाफुनान और कंबोज के सम्मिलित क्षेत्र के नाम से जाना जाता था, जिसे ‘कंपूचिया’ भी कहा गया है।
- प्राचीन चीनी विवरण के अनुसार, फुनान/कंबोज क्षेत्र में प्रथम शताब्दी ई. सन् में कौंडिण्य (कियाओचेन) नामक ब्राह्मण के ज़रिये भारतीय संस्कृति का प्रवेश हुआ।
अंकोरवाट(विष्णु) का मंदिर
- 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा अंकोरवाट का मंदिर बनाया गया।
- इस मंदिर में तीन खंड हैं।
- प्रत्येक खंड में आठ गुंबद हैं।
- इसकी दीवारों पर रामायण और महाभारत के चित्र उत्कीर्ण हैं। इसमें सबसे बड़ा चित्र समुद्रमंथन का है।
- कंबोडिया में स्थित मंदिर
- बाफुओन मंदिर
- बेयोन मंदिर
इंडोनेशिया
- चौथी शताब्दी में ही इस क्षेत्र में ‘पेलंबग’ राज्य की स्थापना हुई।
- यह एक हिंदू राज्य था, जिसे आगे चलकर ‘श्रीविजय’ राज्य कहा गया।
- इसकी राजधानी ‘भोज’ थी।
- 671 ई. में चीनी यात्री ‘इत्सिंग’ श्रीभोज होते हुए भारत आया था।
- पेलंबंग या श्रीविजय के शैलेंद्र वंश के शासक मूलतः भारतीय थे
- यह सत्ता 12वीं शताब्दी तक प्रभावी रही।
- इंडोनेशिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर ‘प्रम्बनन’ जावा द्वीप में स्थित है।
- यह मंदिर 9वीं शताब्दी में बनाया गया।
जावा की प्राचीन लिपि – ‘कावि’
- ‘कावि’ लिपि का आधार ब्राह्मी लिपि ही है।
- शैव धर्म तथा दर्शन के ग्रंथों में ‘भुवनकोश’ सबसे बड़ा और सबसे पुराना ग्रंथ है।
- ‘गुणवर्मन’ भारतीय बौद्ध मतावलंबी ने 5वीं – 6ठी सदी में मूल बौद्ध धर्म और महायान दोनों के पक्ष में प्रचार करते हुए बौद्ध धर्म को जावा में हिंदू धर्म के समक्ष ला दिया।
बोरोबुदुर स्तूप – जावा ,इंडोनेशिया
- दुनिया का सबसे विशाल बौद्ध स्तूप
- इसका निर्माण 8वीं- 9वीं सदी में हुआ था।
- 1991 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल में सूचीबद्ध किया।
दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय संस्कृति का विस्तार : एक नजर में
- भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक प्रभाव जावा, सुमात्रा, बाली, कंबोज, चंपा, फुनान और मलाया आदि में रहा।
- इन देशों में मनोरंजन के साधन के रूप में छाया नाटक ‘वायंग’ काफी प्रचलित है, जिसमें रामायण तथा महाभारत की कहानियों का मंचन होता है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया के इन क्षेत्रों को ‘सुवर्ण भूमि’ और ‘सुवर्ण द्वीप’ नाम से जाना जाता था
- भारतीय वहाँ सोने की खोज में गए थे।
श्रीलंका
- भारत-श्रीलंका का संबंध मौर्य काल में शुरू हुआ
- अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु अपने पुत्र महेंद्रवर्मन तथा पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।
- उस समय श्रीलंका में देवानामपिय तिस्स का शासन था।
- बौद्ध धर्म की दक्षिणी अनुश्रुति, सिंहली साहित्य को माना जाता है।
- श्रीलंका में रचित ‘दीपवंश’ और ‘महावंश’ बौद्ध धर्म के विख्यात स्रोत हैं।
- श्रीलंका में ‘सिगिरिया’ नामक गुफा विहार है।
मध्य एशिया में भारतीय संस्कृति
- मध्य एशियाई देशों को जोड़ते हुए जो मार्ग चीनियों ने बनाया, वह आगे चलकर ‘रेशम मार्ग’ (सिल्क रूट) के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- इसी मार्ग के ज़रिये चीन से रेशम का व्यापार किया जाता था।
- रेशम मार्ग पूर्व और पश्चिम के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के सेतु के नाम से विश्वविख्यात है।
- 2014 को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया।
- दक्षिणी मार्ग में यारकंद, खोतान, मीरान, कुची विश्राम स्थल थे
- अफगानिस्तान के बामियान, कंधार आदि स्थानों पर भी भारतीय कला के उत्कृष्ट नमूने मिले हैं।
बामियान की विशालतम बुद्ध प्रतिमा – अफगानिस्तान
- दुनिया की सबसे बड़ी बुद्ध मूर्ति बामियान में ईसवी सन् केआरंभिक वर्षों में चट्टान को काटकर बनाई गई थी।
- 2001 में तालिबानी ने इसे नष्ट कर दिया।
- वर्तमान में चीन के हैनान प्रांत में स्थित स्प्रिंग टैंपल में, बुद्ध की संसार की सबसे ऊँची प्रतिमा है
- इसकी ऊँचाई 208 मीटर है।
पूर्वी एशियाई देशों में भारतीय संस्कृति
चीन
- भारत और चीन के आपसी संपर्क दूसरी शताब्दी में आरंभ हुए।
- दो भारतीय आचार्य धर्मरक्षित और कश्यप मतंगचीनी सम्राट मिंग ति के निमंत्रण पर सन् 67 में चीन गए थे।
- कांचीपुरम के बोधिधर्म बौद्धाचार्य चीन में भी प्रसिद्ध हुए, चीन में उन्होंने ‘ध्यान’ का प्रचार किया, जिसे वहाँ ‘चान्’ कहा जाता है।
- बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ चीन में गुफाओं की खुदाई तथा मंदिरों और विहारों के निर्माण का कार्य आरंभ हुआ।
- डुन-हुवांग, युन-कांग और लुंग-मेन दुनिया के प्रसिद्ध गुफा परिसर हैं।
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लेशान जायंट बुद्ध प्रतिमा – चीन में स्थित है
कोरिया
- सबसे पहले ‘सुंदो’ नामक एक बौद्ध भिक्षु, बुद्ध की मूर्ति लेकर 352 ई. में कोरिया पहुँचा।
- उसके बाद सन् 384 ई. में आचार्य मल्लानंद कोरिया गए।
- कोरिया के प्योंगयांग नगर में एक भारतीय भिक्षु ने सन् 404 ई. में दो मंदिरों का निर्माण करवाया।
जापान
- जापान में भारतीय प्रवेश के लिखित प्रमाण 552 ई. के हैं।
- जापान में बौद्ध धर्म राज-धर्म हैं।
- जापान में संस्कृत को पवित्र भाषा का स्थान प्राप्त हुआ।
- जिस लिपि में संस्कृत मंत्र लिखे जाते थे, उसे जापानी में ‘शित्तन’ कहा जाता है।
तिब्बत
- माना जाता है कि तिब्बत के राजा नरदेव ने अपने एक मंत्री थोन्मी संभोट के साथ 16 श्रेष्ठ विद्वानों को मगध भेजा।
- थोन्मी संभोट (तिब्बती मंत्री) ह्वेनसांग के नालंदा आगमन के समय, नालंदा विश्वविद्यालय का छात्र था।
- थोन्मी संभोट ने भारतीय लिपि के आधार पर तिब्बत के लिये एक नई लिपि का आविष्कार किया।
- थोन्मी संभोट ने तिब्बती लोगों के लिये नए व्याकरण की रचना की।
- यह पाणिनी द्वारा लिखे गए संस्कृत व्याकरण पर आधारित है।
- उसने संस्कृत से तिब्बती भाषा में अनुवाद की नींव डाली।
- नालंदा विश्वविद्यालय के आचार्य कमलशील को तिब्बत के राजा ने आमंत्रित किया था।
- ज्ञानभद्र धर्म-प्रचार के लिये तिब्बत गए।
- बिहार के ओदंतपुरी विश्वविद्यालय के समान तिब्बत में एक नए बौद्ध विहार की स्थापना की गई थी।
- प्रसिद्ध शिक्षकों में से एक कुमारजीव भी 5वीं शताब्दी में सक्रिय थे।
- आचार्य अतीश दीपंकर श्रीज्ञान, विक्रमशिला विश्वविद्यालय के प्रधान थे।
भारतीय संस्कृति का अन्य भागों से संबंध
भारत-रोम संबंध
- रोमन जगत भारतीय सामानों का सर्वोत्तम ग्राहक था।
- मालाबार की काली मिर्च
- कुंतल देश का चंदन
- अगरू की लकड़ी
- कोल्ची का मोती
- पलूर का हाथी दाँत
- मशालिया-अरिकामेडु-पुंडूवर्धन का मलमल
- मथुरा का तांबे-लोहे का सामान
- उरैयूर का सूती वस्त्र
- चीनी रेशम आदि
- ‘यवनप्रिय’ यानी काली मिर्च की जगह रोमन जगत भारत को सोने के सिक्के देता था।
- गांधार कला का जन्म अलेक्जेंड्रिया की ‘ग्रीको-रोमन’ शैली से हुआ था ।
भारत-अरब संबंध
- हड़प्पा सभ्यता का संबंध मेसोपोटामिया, बहरीन, कुवैत के साथ-साथ फारस (ईरान) से भी था।
- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में फारस के शासकों, जैसे- सायरस-I, डेरियस-I ने भारत पर आक्रमण भी किये थे।
- प्रमाण हेरोडोटस के ‘हिस्टोरिका’ तथा पर्सीपोलिस अभिलेख में दर्ज हैं।
- ईरानी आक्रमण का परिणाम भारत के उत्तर-पश्चिम में खरोष्ठी लिपि का विकास हुआ तथा अरमाइक लिपि (सीरिया की) से भारतीय परिचित हुए।
- इन संबंधों की चर्चा अरब तथा अन्य व्यापारी यात्रियों ने अपने यात्रा वृत्तांतों में की है।
- सुलेमान
- अल- मसूदी
- इब्नहौवुल
- अल-इदरिसी बहरहाल
- खगोल विज्ञान क्षेत्र के दो महत्त्वपूर्ण ग्रंथ का अनुवाद ‘अल-फज़ारी’ ने किया।
- ‘ब्रह्मस्फुट-सिद्धांत‘ (अरब में ‘सिंधिन’ कहा गया)
- ‘खंड खाद्यक’ (अरब में अल-अरकंद नाम से प्रसिद्ध)
- आर्यभट्ट और वराहमिहिर कृत खगोल विज्ञान के ग्रंथों का भी अरब जगत में अध्ययन हुआ ।
- अरब के विद्वानों ने गणित को ‘हिंदिसा’ कहकर ।
- चिकित्सा और औषधि विज्ञान के बहुत से भारतीय ग्रंथों का खलीफा हारून-अल-रशीद के निर्देश पर अरबी में अनुवाद हुआ।
सिंधुकालीन स्थापत्य (Indus Architecture)