DEVTA KE KHAI GELAN DAKIN khortha kahani
देवता के खाई गेलइ डाकिन कहानी छॉइहर
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10 . देवता के खाई गेलइ डाकिन
छॉइहर(कहानी संग्रह/गोछ )
लेखक – चितरंजन महतो “चित्रा’
प्रकाशक -खोरठा भाषा साहित्य संस्कृति अकैडमी, रामगढ़
प्रकाशन वर्ष -2007
कहानी संग्रह – 10
इस कहानी के मुख्य पात्र हैं
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निर्मल दास
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उनकी दूसरी पत्नी शोभारानी
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निर्मल दास ने दूसरा विवाह अपनी पहली पत्नी के मरने के बाद बुढ़ापे के सहारा के लिए किया था
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जाड़े का समय था दिसंबर जनवरी यानी कि पूस माघ का समय था
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मुंहआंध्रा के समय निर्मल दास अपने घर अपने एक चेला हबीब के साथ पहुंचते हैं
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आंगन में बैठकर 5-10 मिनट बातचीत करते हैं और अपनी पत्नी शोभा को आवाज देते हैं दो कप चाय के लिए
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लेकिन वह नहीं निकलती है वह अपने बचपन के क्लासमेट के साथ अंदर बैठी थी बार-बार चिल्लाने से वह गुस्सा होकर बाहर आती है और निर्मल पर चिल्लाने लगती है.चेला हबीब यह यह सुनकर चला जाता है। निर्मल जब अंदर जाता है तो निर्मल दास ने अपनी पत्नी को उसके बचपन के सहपाठी के साथ हाथ में हाथ डाले हुए देख लिया था यह सब देख कर उसे बहुत बुरा लगता है वह तुरंत बाहर निकलता है और कुछ समय के बाद घर वापस लौटता है
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निर्मल दास के पास अपनी दूसरी पत्नी की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए समय नहीं था इसलिए शोभा रानी दूसरे मर्दों के साथ सिंह जी, चौधरी जी, बनर्जी बाबू इनके साथ बाजार भी घूमने जाते थे
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शोभा रानी ने निर्मल दास जी के इज्जत को पूरी तरह से मिट्टी में मिला दिया था
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अब निर्मल दास नौकरी से रिटायर हो गए हैं
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रिटायरमेंट का पैसा शोभारानी ने गहने बनवाने में और बच्चों ने स्कूटर मोटरसाइकिल आदि में खत्म कर दिया
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घर के मरम्मत की जिम्मेदारी बड़ा बेटा के जिम्मे था और मनझला बेटा के लिए एक दुकान खोल दिया था और कुछ पैसा पॉकेट खर्चा के लिए रखा था
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बड़ा बेटा डींग हाँकने वाला नेता बन गया मनझला बेटा के दुकान भी बंद हो गया
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निर्मल दास समय बिताने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में, समाज सुधारक आंदोलन में, या शुद्खोरी, सामंतवादी, पूंजीवादी आदि का विरोध करने के लिए चले जाते हैं
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धीरे-धीरे शोभा रानी का उम्र ढलने लगा और उसके भी बाल पकने लगे तब उसे एहसास हुआ कि उसने अपने पति का कई रूपों से शोषण किया और उनका नाम खराब किया तब वह प्राश्चित करना चाहती थी और इसीलिए वह भी अलग-अलग सोसाइटी सम्मेलन आदि में भाग लेने लगी लेकिन वहां भी उसे लोगों के द्वारा तृष्णा का सामना करना पड़ा लोग अक्सर कहते कि उसने अपने पति का मान मर्यादा को मिट्टी में मिला दिया एक देवता रूपी इंसान को खा गई डायन यह सब बातें अनसुना कर शोभा रानी यही सोचती कि शायद उसके कर्मों का यही प्रस्तुत है
निष्कर्ष – कोयले का कालिक तुरंत मिट जाता है मगर कलंक का कालिक बहुत दिनों तक झलकता रहता है
देवता के खाय गेलइ डाकिन
1Q. ‘देवता के खाय गेलइ डाकिन ‘ कहानी के लेखक कौन है ?
ANS- चितरंजन महतो ‘चित्रा’
2Q .’देवता के खाय गेलइ डाकिन’ कहानी किस पुस्तक में संकलित है ?
ANS-छाँहइर
3Q . ‘देवता के खाय गेलइ डाकिन’ कहानी में देवता किसे कहा गया है ?
ANS-निरमल दास
4Q . ‘देवता के खाय गेलइ डाकिन’ कहानी में ‘डाकिन’ किसे कहा गया है ?
ANS- शोभारानी
5Q . “देवता के खाय गेलइ डाकिन’ कहानी के मुख्य पात्र कौन है ?
ANS-निरमल दास
6Q . ‘निरमल दास’ कोन काम करे हेल?
ANS-ऑफिस कर बड़ाबाबू
7Q . ‘देवता के खाय गेलइ डाकिन’ कहनी में शोभारानी कोन रहीक ?
ANS-निरमल दास कर दोसर बहु
8Q . निरमल दास शोभारानी से बिहा कब करल रहे?
ANS-पहिल बहुक मोरल बादे अधवा उमइरे
9Q .निरमल दास की सोंइचके दोसर बिहा करल रहे?
ANS-बुढ़ारी सहारा खातिर
10Q . भाोभा रानीक चरित्र कइसन रहइ?
ANS-चरित्रहीन,कुलकलंकिनी ,मरदेक आर्थिक शोसक
11Q.शोभारानी घारे केकर केकर मान-महातन हेव हल?
ANS- सिंहजी,चौधरी जी ,बनर्जी बाबू
12Q . कहनी सुरू हेल दिने शोभारानी घारे कोने आइल रहे ?
ANS-बचपन कर क्लास मेट
13Q . निरमल दास ऑफिस से एगो चेलाक संग घार आइल रहे, ओकर नाम रहे
(a) हबीब
14Q .कोन महीनाक बाताबरने लेखक कहनी सुरू करल हथ?
(b) जाड़ महीना (दिसंबर जनवरी यानी पूस माघ)
15Q . निरमल दास ऑफिस से घार आइल बादे शोभारानी से की माँगल रहे?
(c) दु कप चाह
16Q .शोभारानी घारे आइल मेहमान कहाँ से घुरल रहे?
(b) रजरप्पा से
17Q . निरमल चाह पीये ले कहिया छोड़ल ?
(a) सांइझे चाह नाञ मिलल बादे से
18Q ..ऑफिसे निरमल दास पास कोन लोक नाञ आवथ?
(a) ईमानदार लोक
19Q . निरमलदास कर रिटायरमेंट बाद घार कइसे चले लागल?
(a) पेंशन कर पइसा से
20Q . निरमलदास कोन विचार धाराक लोक रहे?
ANS – समाज सुधारक,क्षेत्र सुधारक ,देश सुधारक
21Q . निरमल केकर विरोधी रहे?
ANS – महिला उत्पीड़न,पूंजीवादी, सामन्तवादी ,सूदखोरी, महाजनी
22Q .शोभारानी समिति कर कोन पदे काम करीक?
(a) अध्यक्ष
23Q . ‘देवता के खाय गेलइ डाकिन कहनी कोन समसिया पर आधारित है?
(a) पारिवारिक
24Q .’देवता के खाय गेलइ डाकिन’ कहनीक समसियाक मूल कारन हे
(a) बेमेल बिहा
25Q . ‘कोयला-कइरखा तो झटे मेटाय जा हे मगुर कलंक कर कइरखा बड़ी दिन तइक झलकइत रहे हे’ ई कथन पाठे केकर कहल लागे?
(c) लेखक कर
26Q . शोभारानी कइसन भासा बोल हलीक ?
(b) बांग्ला-खोरठा