छठी (जन्म संस्कार) :
- छठी का अर्थ शिशु के जन्म का छठवाँ दिन, जिसे नारता भी कहा जाता है।
- इस दिन कुसराइन/डगरिन/चमाइन (दाई) द्वारा जच्चा-बच्चा को अच्छी तरह तेल हल्दी से नहलाया जाता है। और माँ और पिता को क्रमशः हल्दी से रंगी साड़ी और धोती पहनाया जाता है।
- क्षौर कर्म आस-पड़ोस के लोग करते हैं। और हल्दी-तेल लेकर स्नान करते हैं।
- क्षौर कर्म – छठी में हजामत या नाख़ून कटाई
- हल्दी का प्रयोग इसलिए करते हैं चूंकि हल्दी रोग निवारक औषधि है, यह वायरस और विषाणु का नाश करता है।
- इस अवसर पर मुस्लिम भाट भी आते हैं और संस्कार गीत ( झांझन/सोहर गीत ) गाते हैं।
- सोहर का अर्थ : सोहर शब्द की उत्पत्ति शोभन से होती है। सोहर का अर्थ सुहाना या अच्छा लगना जो संस्कृत के शोभन शब्द का ही अपभ्रंश है।
- सोहर गीत छंद में गाए जाते हैं, जिसमें तूक नहीं होता है।
- सोहर गीत महिला के द्वारा गया जाता है।
- सोहर गीत का कुछ उदाहरण :
अंगना में अइलइ ललनवाँ से
मंगलगीत मिली गावा हो
ललना, तिले-तिले बादैइ पुता / पुती अंगना में
सोहाइ जितइ मायेक/दादिक कोरवा हो ।
अर्थ : उपर्युक्त गीत की पंक्तियों को नवजात बच्चा या बच्ची के अनुसार औरतें गाती है। साथ ही नवजात के रिश्तेदारों को लेकर शब्दों को बारी-बारी से पुनरावृति के जाती है।
बोनवाँ फुललइ धोवइया फूलवा
बोनवाँ इंजोर भेलइ हो
मइया के कोखिया से बेटिया/बेटवा जनमलइ
अंगना इंजोर भेलइ हो ।
उपर्युक्त गीत में प्रयुक्त हो शब्द के स्थान पर किसी-किसी क्षेत्र / गाँव में ‘रे’ का व्यवहार होता है।
नवों जनम सुनी, बड़ी खुस मरद -जनी
कते-कते फूलल बरिसे।
मंगना सब अइला, कते-कते कि पड़ला
राजाक घर खुसी बिकसे ।।
- छठियारी गीत कहीं-कहीं 12 दिन तक, कहीं 9 दिन तक और कहीं 6 दिन तक गाया जाता है।
- आमतौर पर बच्चे या बच्ची का बरही या छठी संस्कार जब तक समाप्त नहीं हो जाता तब तक इन गीतों को गाया जाता है।
- गाँवों, देहातों में कोई अस्पताल की व्यवस्था नहीं रहती है जिसमें गर्भवती महिला का प्रसव ग्रामीणों का घर में ही गाँव की अनपढ़ एवं अशिक्षित चमाईन या डगरीन ही उसकी धाय बनकर करती हैं। गाँव की बूढ़ी स्त्रियाँ एवं अप्रशिक्षित धाय ही प्रसव कराती हैं।
- बालक के नार – पुरान को काटने के लिए छुरी (सोने की छुरी) या साग काटने की हँसुआ या झिकटी (छप्पर का टूटा खपड़ा) का प्रयोग होता है।
- सूतिका गृह जिसे खोरठा में ‘परसोती घर’ कहते हैं, में मिट्टी की अंगीठी ‘बोरसी’ में आग जलाकर करती हैं जिससे बुरी प्रेतात्माएँ घर में प्रवेश कर नवजात शिशु को हानि न पहुँचाए। इस बोरसी में अम्मारी गोइठा तथा धान की भूँसी जला करती है।
- सुतिका गृह सुना नहीं रहता, वहाँ कोई न कोई महिला सदस्य पहरेदारी करते रहती हैं।
- सूतिका गृह में कोई भी पुरूष वहाँ नहीं जा सकता है।
- जच्चा-बच्चा के खाने के लिए सोंठ हल्दी और हलुवा दिया जाता है।
- थाली बजाने की प्रथा : बच्चा जब पैदा होता है तो उसके जन्म की प्रसन्नता में थाली बजाई जाती है। थाली के बजाने से बच्चे के कानों में शब्द प्रवेश करते हैं जिससे उसके सुनने की शक्ति दृढ़ होती है।
- छह दिन होने पर छठी या फिर कभी-कभी नौ दिनों पर यह छठी संस्कार मनाया जाता है उसी दिन जच्चा स्नान करती है।
- पूजन विधि के दारान पूर्वजों को याद किया जाता है। जच्चा(हाल ही में बच्चे को जन्म देनेवाली स्त्री ) बच्चे को गोद में लेकर अपने से बड़ों को पैर छुकर आशीर्वाद ग्रहण करती है।
- जब बालक बारह दिन का होता है तो ‘बरही’ संस्कार संपादित किया जाता है।
- उस दिन पिता नवजात बालक का सर्वप्रथम मुँह देखता है ओर उसे गोद में लेकर रुपया देता है।
- इसी दिन ज्योतिषी को बुलाकर बालक का नामकरण किया जाता है, । यह दिन बड़ी प्रसन्नता का होता है।
- सतइसा का संकट : बालक जब ‘सतइसा’ में पड़ जाता है तो यह बुरा माना जाता है। बालक का पिता सताइस दिनों तक उसका मुँह नहीं देखता है और सतईसा के दिन तेल में बालक का प्रतिबिम्ब देखकर ही उसे पुनः देखता है। उसे दिन पुजा-पाठ करके अशुभ ग्रहों की शांति की जाती है।
- सतइसा का अर्थ : ज्योतिषीय ग्रंथों में वर्णित नक्षत्रों के अनुसार 27 नक्षत्र बताएं गए हैं, उन सभी में से 6 नक्षत्र अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल एवं रेवती नक्षत्र को सताईस (गंडमूल) नक्षत्र कहा जाता है। इन नक्षत्रों में जन्मे जातक /जातिका सताईस होना कहा जाता है। इन नक्षत्रों के समय जन्म लेने वाले जातक स्वयं तथा अपने माता-पिता, मामा आदि के लिए कष्टदायक बताएं गए हैं। इसी कारण घर के लोगों को जैसे ही यह पता चलता है कि बालक सताईस में है, वैसे ही वे चिंतिंत हो जाते हैं और नकारात्मक विचारों में चले जाते हैं
- सोहरों का प्रधान वर्ण्य विषय प्रेम है। इसमें वात्सल्य प्रेम और दाम्पत्य प्रेम का संयोग मिलता है।
- भवभूति ने पुत्र या सन्तति को स्त्री और पुरूष दोनों के अभिन्न प्रेम की गाँठ कहा है।
- जब कोई स्त्री गर्भवती हो जाती है तो पाँचवाँ महीना बीतने पर पाँच तरह का पकवान और सातवाँ महीना होने पर सात प्रकार के पकवान नेहर से आता है, जिसे खोरठा में ‘सधौर’ कहते हैं।
- पुत्रोत्पति के हर्षोल्लास में द्रव्यादि लुटाने का उल्लेख भी गीतों में पाया गया है। इस प्रकार के गीत मुस्लिम परिवारों में भी प्रचलित हैं-
आझु आनन्द भेल हमरी नगरी, मोबारक होय होरिला तोहरी गली ।।
केहु लुटावे कोठा अटारी, केहु लुटावे सोन भंडार
बाबा लुटावे कोठा अंटारी, काका लुटावे सोने भंडार।।
- बारह दिन के बाद ‘बरही’ नामक संस्कार सम्पन्न किया जाता है।
- बच्चा जब छह महीने का होता है। तब मुँह जूठी या अन्नप्रासन्न नामक संस्कार किया जाता है।
- नाना या दादा द्वारा चाँदी या काँसे के बर्तन में खीर रख कर बच्चे को खिलाया जाता है।
- इस संस्कार के पहले बच्चे को किसी प्रकार का अन्न नहीं खिलाया जाता है।
मुण्डन संस्कार
- बालक जब कुछ बड़ा हो जाता है तब उसका मुण्डन संस्कार किया जाता है। इसे संस्कृत में चूड़ा-कर्म कहते हैं।
- किसी देवी या देव स्थान में मुंडन करने का संकल्प लेते हैं जिसे ‘गछना’ कहा जाता है।
- मुण्डन संस्कार के पहले बालक के बालों को नहीं कटाया जाता है।
- मुण्डन संस्कार बालक के तीसरे, पाँचवें या सातवें वर्ष, विषम वर्ष में किया जाता है।
- बच्चें का मुंडन किसी देवालय में उसके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी एवं अन्य रिश्तेदारों की उपस्थिति में होता है है।
- नाई बालक के बाल काटने लगता है तब बच्चे की फुआ उन बालों को अपने आँचल में रखती है और अपने भाई से नेग माँगती है। नेग स्वरूप बच्चे का पिता वस्त्र एवं आभूषण देता है।
- मुंडन के वक्त बकरे की बलि भी चढ़ाई जाती है। बकरे का सिर नाई या पंडित ले जाता है और धड़ घर लाया जाता है। रात्रि में सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।
Q. बच्चे के जन्म के कितने दिन बाद छठियारी मनाया जाता है ? पांच दिन बाद छठवाँ दिन
Q. नारता कब मनाया जाता है ? बच्चे के जन्म के छठवाँ दिन
Q. छठियारी गीत किस प्रकार का गीत है ? संस्कार गीत
Q.डगरिन का अर्थ क्या है ? दाई
Q.छठियारी के दिन जच्चा-बच्चा को तेल हल्दी से किसके द्वारा नहलाया जाता है। कुसराइन/डगरिन (दाई)
Q.क्षौर कर्म किस अवसर पर होता है ? छठियारी
Q. धोवइ क्या है ? एक प्रकार का फूल
Q.सोहर गीत किनके द्वारा गया जाता है। महिला के द्वारा
Q.छठियारी के दिन सोहर गीत किनके द्वारा गया जाता है? मुस्लिम भाट
Q.सोहर गीत में सोहर का अर्थ क्या है ? अच्छा लगना
Q.छठियारी गीत कितने दिनों तक गया जाता है ? 12 दिन तक, कहीं 9 दिन तक और कहीं 6 दिन तक गाया जाता है।
Q.बालक के नार – पुरान को किससे काटा जाता है ? छुरी (सोने की छुरी) या साग काटने की हँसुआ या झिकटी (छप्पर का टूटा खपड़ा)
Q.झिकटी का अर्थ क्या है ? छप्पर का टूटा खपड़ा
Q.छठियारी के दिन जिस घर में मिट्टी की अंगीठी ‘बोरसी’ में आग जलाया जाता हैं, जिससे बुरी प्रेतात्माएँ घर में प्रवेश कर नवजात शिशु को हानि न पहुँचाए “ उस घर को खोरठा में क्या कहते हैं ? ‘परसोती घर’ /सूतिका गृह
Q.सूतिका गृह में कौन प्रवेश नहीं कर सकता है ? कोई भी पुरूष
Q. छठी संस्कार कब मनाया जाता है ? छह दिन होने पर या नौ दिनों पर
Q.जच्चा का अर्थ है ? हाल ही में बच्चे को जन्म देनेवाली स्त्री )
Q.बालक के जन्म के बारह दिन बाद कौन सा तो संस्कार संपादित किया जाता है। ‘बरही’ संस्कार
Q.नवजात बालक का पिता कितने दिन बाद सर्वप्रथम बालक का मुँह देखता है ? बारहवे दिन
Q.बालक का नामकरण किस दिन किया जाता है ? बारहवे दिन
Q.बालक का पिता सताइस दिनों तक बालक का मुँह किस घटना के कारन नहीं देखता है ? सताईस (गंडमूल) नक्षत्र में जन्म के कारन
Q.सोहर गीत का का प्रधान विषय क्या है ? प्रेम
Q.पुत्र या सन्तति को स्त्री और पुरूष दोनों के अभिन्न प्रेम की गाँठ किसने कहा है? भवभूति
Q.खोरठा में ‘सधौर’ का क्या अर्थ है ?
- पाँचवाँ महीना बीतने पर पाँच तरह का पकवान और सातवाँ महीना होने पर सात प्रकार के पकवान नेहर से आता है
Q.बालक के जन्म के बारह दिन के बाद कौन संस्कार सम्पन्न किया जाता है? ‘बरही’ नामक संस्कार
Q.बालक का मुँह जूठी या अन्नप्रासन्न नामक संस्कार सम्पन्न किया जाता है?बच्चा जब छह महीने का होता है।
Q. ‘गछना’ का क्या अर्थ है ? देवी या देव स्थान जँहा मुण्डन संस्कार सम्पन होता है