सवागत खोरठा-कोठ पइदेक खेड़ी

       

      सवागत

      रचेक बछर 1975, रेडियों ‘प्रसारण’ 1981 

      हामिन सवागत कर-हिए 

      तइसन पइत रीति के

      तइसन पइत नीति के! 

      चाहे पुरना नाँइ तो नावाँ 

      काँखें -कोरें बा भिनु, हुवाँ!

      जे जुग-जुग ले आइज तक 

      बनलइ बुइधेक सहायक! 

      तहिं मन-कान धर-हिए

      हामिन सवागत कर-हिए! 

      अइला राजा कते-कते-2 

      घड़ी के बाँधल्थिन 

      छड़ी से गादल्थिन!

      मल्किन बुझ्ध बंधाइल नाँइ 

      गाली गुचाइ बाढले जाइ! 

      कते लोक मोरियो के 

      बुइध–बिचार के बढ़उला,

      जगतेक निसइन गढ़उला! 

      बाइढ़ के, सकट ले राकेट तक! 

      आर कइमरा ले टी. बी. सेट तक! 

      मल्किन दिमाग थिराइल नाँइ 

      थकल नाँइ, डाँडाइल नाँइ!

      कते चीज रोकाइ गेला 

      आर ‘नसीब’ बेंचाइ गेला! 

      देबता मानुस बइन गेला

      बिचकुन तकरो ले बाढला! 

      नेपोलियन से, सिकन्दरो से 

      चाहे याजिद-हिटलरो से! 

      माथा कमुँ नाँइ काटाइल 

      आगु-आगु आरो अगुवाइल!

      एहे तो चाइर गोड़वा ले

      पिरथिबिक नेता बनउलो! 

      देबता-भाइग कोंदे गेला

      मानुस आखरा जीतल अइलो! 

      हामिन मन-मइधे धर-हिए 

      ओइसन परतेक गीत के । 

      तखनेक भयेक जीत के! 

      आर, सुरें नरटिक भोर-हिए 

      बुइध-गियानेक पीरित के 

      बीतल हाइरेक जीत के!

      आर, ठेकान ले गाव-हिए

      तोहिं एकाइ सीमाक पार! 

      बाकी सब गुलाक सीमा-पार! 

      हामिन सवागत कर-हिए

      पइत-हर एक, परतेक, 

      काँखें-कोरें-पासीं 

      घड़ी-समइ 

      गाली-पाघाक. घंचाक फाँसा 

      गुचाइ-हटाइ के

      मल्किन-लेकिन 

      बिचकुन-बलुक (बल्कि)

      माथा-बुइध

      चाइर गोड़वा-जानवर

      याजिद-एगो जुल्मी, मनमउजी राजा (अरब के)

      तखनेक भएक जीत– पुरना परियाक डेरडेरान हालइथु बुइधेक बोलें मानुसेक जीत

      डाँडाइल-थाम्हल, ठठकल 

      बीतल हाइरेक जीत– पुरना परिएँ जाहाँ मानुस हाइर जाहल तही एखन जीत जाहे।

      • इस कविता में मनुष्य की बुद्धि-ज्ञान का गुणगान किया गया है, जिसकी बदौलत मनुष्य भाग्य, भगवान, स्वर्ग-नरक के नियम को तोड़कर अपने भाग्य की निर्माता बना हुआ है। बाहरी, भीतरी, नया, पुराना, अपना, पराया हर प्रकार का ज्ञान वंदनीय है, स्वागत के योग्य है। 

      1. ‘सवागत’ कविता केकर लिखल लागे? ए.के. झा

      2. ‘अइला राजा कते-कते, घड़ी के बाँघथिन छड़ी से गादल्थिन मल्किन बुझ्ध बाँधाइल नाज, गाली गुचाइ बाढ़ले जाय ई कविताक टुकरा कोन कविताक लागे? सवागत

      3. ‘राजा’ सभे केकरा बाँधे खोज हलथ? बुइध-गियान के 

      4. उपरेक कविताक खेचाज आइल सबद ‘घड़ी बाँधेक’ कर माने की हे? समय के बाँधेक

      5. ‘छड़ी से गाल्थिन’ कर माने की हे? 

      • माइर-पीट करेक

      • जबरदस्ती रोकेका 

      • दबाव बनेवक 

      6. कते चीज रोकाइ गेला आर नसीव बेचाइ गेला देवता मानुस बइन गेला, विचकुन तकरो ले बाढला ई कविता खेंचा (टुकरा) कोन कविता लागे? सवागत

      प्रश्न 7 से  9 तक खातिर 

      एहे तो चाइर गोड़वा ले पिरथिविक नेता बनउलो 

      देवता-भाइग कांदे गेला / मानुस आखरा जीतल अइलो।”

      7. ई पाताज ‘चाइर गोड़वाक’ माने की हे? जानवर 

      8. पिरथिवीक नेता कोन बनल? मानुस 

      9. ‘देवता भाइग कंदे गेला’ कर माने की हे? देवता आर भाइग से बिसुवास उइठ गेल 

      प्रश्न 10 से 11 तक खातिर

      हामिन मन मइधे धर हिये / ओइसने परतेक गीत के.

      तखनेक भयेक जीत के / आर सुरे नगरिक भोर हिए.

      बुइथ गियानेक पीरित के / बीतल हाइरेक जीत के 

      10. ई पाँता कोन कविता से लेल गेल हे? सवागत 

      11, मानुस कोन गीत गाव हे?

      • ‘बुइध-गियानेक पीरित के  

      • बीतल हारल जीत के 

      • भय के जीतल गीत के 

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