9 : रींझा कविता
तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक
हाम्हूँ भूखा तोहूँ भूखा , हमर से बेसी भूखा हैं । हम रोटी के भूखा हों भाई , तोञ कुरसी के भूखा हैं ।। हाम्हू निसाञ तोहूँ निसाञ , हमर से बेसी निसात्र हैं । माटी , मानुस के हमर निसा , तोञ दारू – मोद के निसात्र हैं । हम भीखारी तोञ पूजारी , तोञ दिनेक मांझे लूटे हैं । घाम चुवे भाई हमर गातें , तोञ हमर अरजन लुटेहें ।। हम समाज के कवि – कलाकार , तोञ नेता देस चलावे हैं । ( हम ) मानुस के इन्सान बनावों , सइतान के तोञ बनाते हैं । छउवाक बाप हाम्हूँ हकों , तोहूँ छउवाक बापे हैं । जोरनार हम बेटिक करों , तोञ बेटा के बेंचे हैं । बेटा पोढ़े बी.ए एम . ए . बेटी गोबोर कढ़नी रे । माटी लखी के अगरबती , घर लखी के बोड़नी रे ।। हाम्हूँ मानो तोहूँ माने , हमर से बेसी माने हैं । जाइन – बुइझ के हामें मानो , तोञ तो सुगुमबासी माने हैं ।
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