Bhima Khortha Kahani – Manpuran Goswami
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      भीमा कहनी मनपुरन गोस्वामी (Bhima Khortha Kahani – Manpuran Goswami) द्वारा लिखा गया है।  यह कहानी दू डायर डाइरल फूल  जो की खोरठा भासा का  10वी क्लास का पुस्तक है ,उसी में संकलित है। 

      अघन महिना ! खेतेक धान पुरा पाकल नखइ। बेचार छुटुवा आध-पाकल धान काइट के धानेक बोझा मुड़े लड़के हँसुआ टा डाँड़ाइ खोइस के आवहलइ गाँवक मुँडाइ पांडे बाबाक दुवाइरें भीड़ देइख के ठहइर गेल। भीडेक एक झनेक पुछल तो मालुम भेल कि पौडेक बेटी, जकर बिहा ई बछरे भेल हलइ, ऊ विधवा भइ गेली। दामाद के आतंकबादी माइर देला । छुटुआक मुँह से झट ले बाहराइल –

      काहे ! पांडे बाबा बेटी-दामादेक जनम पतरीका गना-पढ़ा बेस तरि नाय करल हल्थिन की ? एतना कहइत ऊ उहाँ से घसइक गेल। तानि देर बाद हामिन काका भतिजा पलटुक दोकाने चाय पिये गेलिये तो भतिजा कहल

      “काका, आइज छुटुआक बेबहार हामर बेस नाय लागल। विपतिक घड़ी उरकम ककरो नाय कहेक चाही’ आहे टिन निस दादो चाय पिय-हल सुनइके तपाक से कहल “मितरेक माइर सहजुबइ जाइन रे नुनु तॉय की जानवें ? सबुर कर तो एगो कहनी सुनइबउ, तो बुझे पारये।”

      चाह पियल बाद निरूदा सुनवे लागल – गाँवेक नाम कानकाटा । ऊ गाँवे एगो नोआ हलइ। नोवाक बहु पढल लिखल हली आपन गीदर भीमा के पढ़वे खातिर जनी मरद खूब मेहनत कर हला भीमा मेटरीक परीछा पास करल एक नंबर, विभागे परदेसेक टॉप गाँवेक आरो जते छउआ गुला पास करल हला, सभिन मिठाइ बांटे लागला आर कोन कॉलेजें पढ़ाई करता ओकर चरचा करे लागला । भीमा बेसी नबरें पास कहरखू कॉलेजें पढाइ करता ओकर चरचा करे लागला । भीमा बेसी नम्बरें पास कइरखूं कॉलेजें नाय पढे पारत से खातिर मनगुमाने बइठल हल।

      की रे भीमा तोहूं पास करले नाकी रे ?” राय बाबु हुक्का टानी-टानी जा हला भीमाक मनमारू बइसल देइख पुछला। तखन ऊ तनि खुशीक सुरे कहल – “हाँ काका, फस्ट डिविजन में हाम्ही एक झन पास करल हो ई गाँवें।”

      “हाँ रे बेटा, फस्ट डिविजन चाहें कोन्हों डिविजन से पास करें तोरी तो हजामते ने बनले हतउ कोन्हों साहेब नाय बइन जिवें।” कहिक मुंह बिचकाइ चइल गेला।

      घार जाय भीमा आपन माय के सुनवल आर कहल –  “माय हामे मामुक तिन खबर दिये जाइब’ | “ठिक हइ खाइके चइल जिहे।” राय बाबुक नियत से भीगा बड़ी दुखी मेल ह आरो लोकेक सुने हतइ भेलकी मारतइ से खातिर मामु घरेक निंगसार गाँवक बाहिर गेल।

      भीमाक मामु कोयला खादे काम करहला। एतवारे साहेक सुना कर ल हजामतो करहला । भइगना कॉलेजें नाय पढ़ता जाइन आन विन लइ गेला साहेक के नेहोर बिनती कर भीमाक कामो धराय देला। भीमा नोकरी करे लागल। इत महिन बापेक नामें पइसा पठवे लागल। एक छात घार बनवल। सुखे रहे लागल काँ दु चार गो अइसन बदमास जे दोसरेक बेस नाथ देखे पारथ । ऊ समेक नजरे लागल, लागला असांति करे। कधियो गोरू छागइरेक हुस्सा तो कधियो छुआछुतेक निंगसा (बहाना) बांध घाटे पानी भरेक हुस्सा जइसे तइसे … भीमा आर भीमाक नाय सब बातेक धेयान नाथ दे हला। उखिन जान-हला जे करिया को कखनु उजर हा नाय होवे पारे। भीमा हिंसाब से नोकरीक पइसा खरच कर हल। दू पइसा बचनेक चेस्टा करहल माय-बापके सेवा आर छोट भाइ के पढ़वे खोज-हल, मेतुक जे गाँवेजाइ भेदी दानवेक बाइढ़ उहाँ बेस मानुसेक चइन कहाँ ? गाँवेक धनी-मानी दबंग चारी बा आर गुमनमुद्दा मानुस सभिन लागला फुसुर-फुसुर करे आर कुटचाइल खेले । करे लागल हुरसा, खोजे लागला खुनुस, भेस्टाइकें जुगत।

      भटचारि बाबाक मकड़जाल बहुते मजबूत आर पसरल। मकडजाल माने नेटवर्क इनखर मकडजाले एजेंन्ट भेला ओझा, सोखा आर भगत । ई गाँवे डाक्टर से ओझाका बेसी आर सबसे बेसी उपर मान भेलइ मंदिरेक मानता। ककरो असुख-बेसुख मेले स पहिल ओझा के डाकल जाहे. झाड़-फुक कवल जाहे। ओझा तिन बिमारिक जे जे कार होवे उसब भेलइ- नजर लागा, कारी साया, डायन-बिसा, भूत, परेत, बरहमदत, कु भूत, चोर भूत जेनतेन ओझाक झाड़-फूँके बेस नाय मेले ‘रेफर’ करत जा हर सो ठिन सोखा माने इन्वेस्टीगेटर’ सोख खड़ी देख के चार पइल के नोख देख के पानी पइढ़ के सिंदूर झार के, सइरसा पइढ़ के कही देथुन जे कि बीमारी लागइ। फेर रेकर हवइ भगत ठिन। भगत माने जिनखर गाते देवी मइया, भगवती मइया, बजरंग बाम काली मइया जेनतेन चटिया भोरो हथिन भगत जेटा कहबचिन सइ बिचारी भगवे खात भटचारि बाबा ठिन मानत करे हवइ आर जेटा चढ़वे कहता सेटा चढ़ने हव । एते करक बाधू जोदि रोगी टा मइर जा हइ तो इखनिक दोस नाय । दोस भाइगेक। भाइगे जेल लिखल हइ कोइ मेटवे नाथ पारे।

      एक बेर भगनाक बइगन बारी भीमा धारेक छगरी बुकल हल से खातिर मा बहु आर भीमाक भोक लराइ भेलइ। तू दिन बाद भगनाक बेटाक मुख-दुख आर भेल झाड़ फुंक खातिर ओझा हॅकवल गेल। झाडू-फुंक भेलइ मेनेक बोर नाय। मगन गेलइ मंदिरेक बाबा दिन मानता करे। बाबा चार, अगरबत्ती  फूल आने कहला  मगन एक-एक कइर के सब जुटवल बाबा पूजा करे लागला। पूजा करेक बादें कहला. • जा ई फूल टा गीदरवाक मुड़े छुवाइ देभी आर एक तनि भोग खियाइ देर्भी। मायेक किरपाइँ तोर छोआक कुछो नाय हतो, एकदम बेस भइ जितो।”

      मगन मंदिर से घार आव-हल कि काँदा-काठा सुने पाइल। कुइद के धार जाइके देखल छोआ सेस ! मगनाक घारे सोकेक लहर, मेनेक मंदिरे बाबाक चले लागल दिमागी चक्कर मगनेक घारें जाइकें दुख परगट करला फेर गरजे लागला – “एगो खड़ी आन आर तनि सहरसा।”

      बाबा माटिक उपर कुछ लिखला, उटाक उपर बेसार फेंकला। “मगना । तोर गीदर टा बुखारे नाञ मोरल हो। डाइने एकर करजवा काइढके खाइ गेल हइ।”

      के लागइ बाबा ? कोन साली डाइनें अइसन करली ? तनि बतवा तो !” मगनेक पेटेक अघन उबके लागलइ । “चटिया भोरइतो सइ दिन बोड़ सोखा के पुछभी नाम टा जाने पारखें।” कइह क बाबा चइल गेला ।

      भोग चढ़ाइके मगन बाबाक बात माइन चटिया भोराइक दिन सोखा ठिन गेल। सिखवल सोखाइँ नाम धरल भीमाक मायेक आर की, मुरारीक बाँसी बइज गेलइ गोटे गाँवे चाइलबाजेक चले लागल बाइल पंचायतेक विचार, भीमाक माय के डायन साबित करल गेलइ ।

      बाह रे गाँव ! बाह रे गाँवेक बिचार ! भीमाक दुवाइरें भीड़ जमलइ सभिन कहे लागलथिन, “भीमाक माय डायन लागे ! भीमाक माय डायन लागे। एकरा मयला पिववे हतो। बहरो साली….।” भीमाक माय हायकाठ। घारेक भीतर दुकली आर केंवाइर बंद कइर देली भीमाक बाप हथ जोड़े लाल, बिनती करे लागल. मेतुक निठुरेक दल भीमाक बापेक चकली के गिराइ देला केवाड़ तोरल गेलइ सभीन देखला भीमाक माय फांसी लगाइ के आपन जान दइ देली।

      खबर पाइकें भीमा गाँवें आइल। माय केर किरिया करम कइर के बापेक हाथ कुछ टाका लइ । जायेक समय बाप के कहल ठिक से रहवें हामें आर गाँवें घुरब नाय। जें माटी हामर माथ के आपन जान देवे भेलइ, बिना दोसे, माटिक परतिकार करब । एतना कहीं के नेहोर करल आर चइल गेलड़ गाँवेक गली ऑखिक लोर टिपकाइ-टिपकाइ दुस्टु लोक हाँसे लागला । कहे लागला- साला नोवा । बड़ी बाढ़-हलइ हो। हे.. हे. – हेहे।”

      एकर परिनाम दस बछर बादे देखाइ लागल दस बछर बादे ई छेतरे डकइति लुट आर मार-काटेक आधी अइसन उठलइ कि आर थमल नाथ पांडे बाबाक दामादेक  हत्याक घटनाव ओकरे एगो हिस्सा के जाने आर कते दिन चलतइ ई आंधी! कते दिन गहुमेक संग घुन पिसइतइ आइज उगरबादीक आइर्गे कते निरदौस मोर-हथिन, देसेक बिकास रोकाइ जा हइ, नेतुक एकर में गरबादीक करे दोस नाय। उगरबादीक के जनम देवे वाला, रूढी समाज, पुलिस आर परसासनोक बेसी सबले बेसी उपरवाला दोसी संचालक सासक नेता अनपढ़ बाहुबली नेता माने उगरबादीक जनमदाता |

      निरु दा कहल – ए रे नुनु छुटुआ लागे आहे भीमाक बाप। बेचारा आपन माटी खटे हे आर पेट भरे है।” गनपढ़ करे वाला पातरा विचार करे वाला दोसरेक भाइग बिचार करे वाला, धन अरजे खातिर सदारथी भइके ढोंग कर हथिन आर ठक-हथिन आर हामिन बिसवास कर-हिये अंधबिसवासे कहल गेल हइ – काना पतियारी से समिन भेला काना।

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