संविधान के सभी अनुच्छेदों की सूची (1-395)
संघ और उसका राज्य क्षेत्र
- 1. संघ का नाम और राज्यक्षेत्र इकाइयाँ।
- 2. नये राज्यों का प्रवेश और स्थापना।
- 2A. (निरसित)।
- 3. नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन।
- 4. पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा – अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और 3 के अन्तर्गत बनायी गयी विधियाँ।
नागरिकता
- 5. संविधान के आरम्भ के समय नागरिकता।
- 6. पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार।
- 7. पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार।
- 8. भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकार।
- 9. एक विदेशी राज्य की स्वैच्छिक नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना।
- 10. नागरिकता के अधिकारों का बना रहना।
- 11. कानून के द्वारा नागरिकता के अधिकार को विनियमित करने की संसद की शक्ति।
मूलभूत अधिकार
- 12. परिभाषा।
- 13. मूलभूत अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ।
- 14. कानून के समक्ष समानता।
- 15. धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधारों पर भेद-भाव का निषेध।
- 16. लोक नियोजन के मामलों में समान अवसर।
- 17. अस्पृश्यता का उन्मूलन।
- 18. उपाधियों का उन्मूलन।
- 19. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इत्यादि के सम्बन्ध में कुछ सुनिश्चित अधिकारों का संरक्षण।
- 20. अपराधों हेतु दोषसिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण।
- 21. प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण।
- 21A. प्राथमिक शिक्षा का अधिकार।
- 22. कुछ सुनिश्चित दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण।
- 23. मानव के दुर्व्यापार और बलात् श्रम प्रतिषेध।
- 24. कारखानों इत्यादि में बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध।
- 25. अन्तःकरण की एवं धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता। 26. धार्मिक मामलों के प्रबन्ध की स्वतंत्रता।
- 27. किसी भी विशिष्ट धर्म की अनुवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता।
- 28. कुछ शैक्षिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में शामिल होने की स्वतंत्रता।
- 29. अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण।
- 30. शैक्षिक संस्थानों को स्थापित करने एवं प्रशासित करने का अल्पसंख्यकों का अधिकार।
- 31. (निरसित)।
- 31A. संपदाओं इत्यादि के अर्जन हेतु उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति।
- 31B. कुछ सुनिश्चित अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण।
- 31C. कुछ सुनिश्चित निर्देशक सिद्धान्तों को प्रभावी बनाने के लिए बनाये गये कानूनों की व्यावृत्ति।
- 31D. (निरसित)।
- 32. इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार।
- 32A. (निरसित)।
- 33. सशस्त्र बलों इत्यादि के सम्बन्ध में मूलभूत अधिकारों को उपान्तरित करने की संसद की शक्ति।
- 34. किसी भी क्षेत्र में सैनिक कानून के लागू होने पर मूलभूत अधिकारों पर प्रतिबन्ध।
- 35. मूलभूत अधिकारों के कुछ प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए विधायन।
राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धान्त
- 36. परिभाषा।
- 37. इस भाग में अन्तर्विष्ट तत्वों का लागू होना।
- 38: राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।
- 39. राज्य द्वारा अनुसरण की जाने वाली नीति के कुछ सुनिश्चित सिद्धान्त।
- 39A. समान न्याय और निःशुल्क कानूनी सहायता।
- 40. ग्राम पंचायतों का संगठन।
- 41. कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार।
- 42. काम की न्यायपूर्ण और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध।
- 43. श्रमिकों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि।
- 43A. उद्योगों के प्रबन्धन में श्रमिकों की भागीदारी।
- 44. नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता।
- 45. छह वर्ष से कम आयु के बच्चों की शिक्षा एवं शुरुआती बचपन की देखभाल हेतु प्रावधान।
- 46. अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों का संवर्द्धन।
- 47. पोषण स्तर और जीवन स्तर को ऊपर उठाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने का राज्य का दायित्व।
- 48. कृषि एवं पशुपालन का संगठन।
- 48A. वन और वन्य जीवन की सरक्षा के उपाय तथा पर्यावरण का सुधार एवं संरक्षण।
- 49. स्मारकों तथा राष्ट्रीय महत्व के स्थानों एवं वस्तुओं का संरक्षण।
- 50. न्यायपालिका का कार्यपालिका से पृथक्करण।
- 51. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा का संवर्द्धन।
मूलभूत कर्तव्य
- 51A. मूलभूत कर्तव्य।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति
- 52. भारत का राष्ट्रपति।
- 53. संघ की कार्यपालिका शक्ति।
- 54. राष्ट्रपति का चुनाव।
- 55. राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका।
- 56. राष्ट्रपति की पदावधि।
- 57. पुनः निर्वाचन के लिए पात्रता।
- 58. राष्ट्रपति के रूप में चुनाव हेतु अर्हताएँ।
- 59. राष्ट्रपति पद के लिए शर्ते।
- 60. राष्ट्रपति द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान।
- 61. राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया।
- 62. राष्ट्रपति पद की रिक्तता को भरने के लिए निर्वाचन की समयावधि और आकस्मिक रिक्ति की दशा में पद को भरने वाले व्यक्ति का कार्यकाल।
- 63. भारत का उपराष्ट्रपति।
- 64. उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना।
- 65. राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन।
- 66. उपराष्ट्रपति का निर्वाचन।
- 67. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल।
- 68. उपराष्ट्रपति के रिक्त पद को भरने के लिए चुनाव की अवधि और आकस्मिक रिक्तता की स्थिति में निर्वाचित होने वाले व्यक्ति का कार्यकाल।
- 69. उपराष्ट्रपति द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान।
- 70. अन्य आकस्मिक परिस्थितियों में राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन।
- 71. एक राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से जुड़े मामले।
- 72. क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलम्बन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति शक्ति।
- 73. संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार।
मंत्रि-परिषद्
- 74. राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद्।
- 75. मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध।
- 76. भारत का महान्यायवादी।
- 77. भारत सरकार के कार्य का संचालन।
- 78. राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के सम्बन्ध में प्रधान मंत्री के कर्तव्य।
संसद
- 79. संसद का गठन।
- 80. राज्य सभा की संरचना।
- 81. लोक सभा की सरचना।
- 82. प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुन:समायोजन।
- 83. संसद के सदनों की अवधि।
- 84. संसद की सदस्यता के लिए अर्हता।
- 85. संसद के सत्र, सत्रवसान और विघटन।
- 86. संदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार।
- 87. राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण।
- 88. सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार।
- 89. राज्यसभा का सभापति और उपसभापति।
- 90. उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना।
- 91. सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापनि के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति ।
- 92. जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- 93. लोक सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष।
- 94. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना।
- 95. अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति।
- 96. जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- 97. सभापति और उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के – वेतन और भत्ते।
- 98. संसद का सचिवालय।
- 99. सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान।
- 100. सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति।
- 101. स्थानों का रिक्त होना।
- 102. सदस्यता के लिए निरर्हताएँ।
- 103. सदस्यों की निरर्हताओं से सम्बन्धित प्रश्नों पर विनिश्चय।
- 104. अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति।
- 105. संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि।
- 106. सदस्यों के वेतन और भत्ते।
- 107. विधेयकों के पुरःस्थापन और पारित किए जाने के सम्बन्ध में उपबंध।
- 108. कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक।
- 109. धन विधेयकों के सम्बन्ध में विशेष प्रक्रिया।
- 110. “धन विधेयक” की परिभाषा।
- 111. विधेयकों पर अनुमति।
- 112. वार्षिक वित्तीय विवरण।
- 113. संसद में प्राक्कलनों के सम्बन्ध में प्रक्रिया।
- 114. विनियोग विधेयक।
- 115. अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान।
- 116. लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान।
- 117. वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध।
- 118. प्रक्रिया के नियम
- 119. संसद में वित्तीय कार्य सम्बन्धी प्रक्रियाविधि द्वारा विनियमन।
- 120. संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- 121. संसद में चर्चा पर निर्बधन।
- 122. न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना।
- 123. संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- 124. उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन।
- 125. न्यायाधीशों के वेतन आदि।
- 126. कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति।
- 127. तदर्थ न्यायधीशों की नियुक्ति।
- 128. उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति।
- 129. उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना।
- 130. उच्चतम न्यायालय का स्थान।
- 131. उच्चतम न्यायालय में आरम्भिक अधिकारिता।
- 131A. (निरसित)।
- 132. कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता।
- 133. उच्च न्यायालयों से सिविल विषयों से सम्बन्धित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता।
- 134. दांडिक विषयों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता।
- 134A. उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए प्रमाण-पत्र।
- 135. विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता
- और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना।
- 136. अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत।
- 137. निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन।
- 138. उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता की वृद्धि।
- 139. कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना।
- 140. कुछ मामलों का. अंतरण।
- 141. उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तियाँ।
- 142. उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश।
- 143. उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- 144. सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना।
- 144A. (निरसित)।
- 145. न्यायालय के नियम आदि।
- 146. उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय।
- 147. निर्वचन।
भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
- 148. भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक।
- 149. नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियाँ।
- 150. संघ और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप।
- 151. संपरीक्षा प्रतिवेदन।
राज्यपाल
- 152. राज्य की परिभाषा।
- 153. राज्यों के राज्यपाल।
- 154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति। ।
- 155. राज्यपाल की नियुक्ति।
- 156. राज्यपाल की पदावधि।
- 157. राज्यपाल नियुक्त होने के लिए अर्हताएँ।
- 158. राज्यपाल के पद के लिए शर्ते।
- 159. राज्यपाल द्वारा शपथ का प्रतिज्ञान।
- 160. कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन।
- 161. क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति।
- 162. राज्य की कार्यपालका शक्ति का विस्तार।
मंत्रि-परिषद्
- 163. राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद्।
- 164. मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध।
- 165. राज्य का महाधिवक्ता।
- 166. राज्य की सरकार के कार्य का संचालन।
- 167. राज्यपाल को जानकारी देने आदि के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य।
राज्य का विधान-मंडल
- 168.राज्यों के विधान-मंडलों का गठन।
- 169.राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सृजन।
- 170.विधान सभाओं की संरचना।
- 171. विधान परिषदों की संरचना।
- 172. राज्यों के विधान-मंडलों की अवधि।
- 173. राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता की अर्हता।
- 174. राज्य के विधान-मंडल के सत्र, सत्रवसान और विघटन।
- 175. सदन या सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार।
- 176. राज्यपाल का विशेष अभिभाषण।
- 177. सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार।
- 178. विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष।
- 179. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना।
- 180. अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति।
- 181. जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना।
- 182. विधान परिषद् का सभापति और उपसभापति।
- 183. सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना।
- 184. सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति ।
- 185. जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना।
- 186. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा सभापति और उपसभापित के वेतन और भत्ते।
- 187. राज्य के विधान-मंडल का सचिवालय।
- 188. सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान।
- 189. सदनों में मतदान, रिक्तियों के हेतु हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति ओर गणपूर्ति।
- 190. स्थानों का रिक्त होना।
- 191. सदस्यता की निरर्हताएँ।
- 192. सदस्यों की निरर्हताओं से सम्बन्धित प्रश्नों पर विनिश्चय।
- 193. अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति।
- 194. विधान-मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार, आदि।
- 195. सदस्यों के वेतन और भत्ते।
- 196. विधेयकों के पुर:स्थापन और पारित किए जाने के सम्बन्ध में उपबंध।
- 197. धन विधेयकों से भिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद् की शक्तियों का निर्बधन। 198. “धन विधेयक” की परिभाषा।।
- 199. धन विधेयकों के सम्बन्ध में विशेष प्रक्रिया।
- 200. विधेयकों पर अनुमति।
- 201. विचार के लिए आरक्षित विधेयक।
- 202. वार्षिक वित्तीय विवरण।
- 203. विधान-मंडल में प्राक्कलनों के सम्बन्ध में प्रक्रिया।
- 204. विनियोग विधेयक।
- 205. अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान।
- 206. लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान।
- 207. वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध।
- 208. प्रक्रिया के नियम।
- 209. राज्य के विधान-मंडल में वित्तीय सम्बन्धी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन।
- 210. विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- 211. विधान-मंडल में चर्चा का निर्बधन।
- 212. न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना।
- 213. विधान-मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापति करने की राज्यपाल की शक्ति।
राज्यों के उच्च न्यायालय :
- 214. राज्यों के लिए उच्च न्यायालय।
- 215. उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना।
- 216. उच्च न्यायालयों का गठन।
- 217. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्ते।
- 218. उच्चतम न्यायालय से सम्बन्धित कुछ उपबंधों का उच्च न्यायालयों को लागू होना।
- 219. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान।
- 220. स्थायी न्यायाधीश रहने के लिए पश्चात् विधि-व्यवसाय पर निर्बधन।
- 221. न्यायाधीशों के वेतन आदि।
- 222. किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायलाय से दूसरे उच्च न्यायालय को अंतरण।।
- 223. कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति।
- 224A. उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति।
- 225. विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता।
- 226A. (निरसित)।
- 227. सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति।
- 228. कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण। ।
- 228A. (निरसित)।
- 229. उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय।
- 230. उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विचार।
- 231. दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना।
- 232. (निरसित)।
अधीनस्थ न्यायालय
- 233. जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति।
- 233A. कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियों का और उनके द्वारा दिए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण।
- 234. न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती।
- 235. अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण।
- 236. निर्वचन।
- 237. कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना।
- 238. (निरसित)।
संघ राज्यक्षेत्र
- 239. संघ राज्यक्षेत्रों का प्रशासन।
- 239A. कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए स्थानीय विधानमंडलों या मंत्रिपरिषदों का या दोनों का सृजन।
- 239B. विधानमंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासक की शक्ति।
- 240. कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- 241. संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय।
- 242. (निरसित)।
पंचायतें
- 243. परिभाषा।
- 243A. ग्राम सभा।
- 243B. पंचायतों का संविधान।
- 243C. पंचायतों का संघटन।
- 243D. स्थानों का आरक्षण।
- 243E. पंचायतों का कार्यकाल इत्यादि।
- 243F सदस्यता हेतु अपात्रताएँ।
- 243G पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व।
- 243H. पंचायतों की करारोपण की शक्तियाँ एवं निधियाँ।
- 243I. वित्तीय स्थिति की समीक्षा हेतु वित्त आयोग का गठन।
- 243J. पंचायतों के लेखे का परीक्षण।
- 243K. पंचायतों के लिए चुनाव।
- 243L. संघीय प्रदेशों में अनुप्रयोग।
- 243M. कुछ सुनिश्चित क्षेत्रों में लागू न होने वाला भाग।
- 243N. मौजूदा कानूनों एवं पंचायतों की निरन्तरता।
- 243O. चुनावी मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप का निषेध।
नगर निकाय
- 243P. परिभाषा।
- 243Q. नगर निकायों का संविधान।
- 243R. नगर निकायों का संघटन।
- 243S. वार्ड समितियों इत्यादि का संविधान और संघटन।
- 243T. स्थानों का आरक्षण
- 243U. नगर निकायों का कार्यकाल इत्यादि।
- 243V. सदस्यता हेतु अपात्रताएँ।
- 243W. नगर निकायों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व।
- 243X. नगर निकायों के करारोपण की शक्तियाँ और निधियाँ।
- 243Y. वित्त आयोग।
- 243Z. नगर निकायों का लेखा परीक्षण।
- 243ZA. नगर निकायों हेतु चुनाव।
- 243ZB. संघीय प्रदेशों में अनुप्रयोग।
- 243ZC. कुछ सुनिश्चित क्षेत्रों में लागू न होने वाला भाग।
- 243ZD. जिला नियोजन हेतु समितियाँ।
- 243ZE. महानगर नियोजन हेतु समितियाँ।
- 243ZF. मौजूदा कानूनों एवं नगर निकायों की निरन्तरता।
- 243ZG चुनावी मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप का निषेध।
अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र
244. अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन।
244A. असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधानमंडल या मंत्रिपरिषद का या दोनों का सृजन।
संघ और राज्यों के बीच संबंध
- 245. संसद द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार।
- 246. संसद द्वारा और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु।
- 247. कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक्ति।
- 248. अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ।
- 249. राज्य सूची में के विषय के सम्बन्ध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की संसद की शक्ति।
- 250. यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची में/के विषय के संबंध में विधि बनाने की संसद की शक्ति।
- 251. संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनायी गयी विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनायी गई विधियों में असंगति।
- 252. दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति में विधि बनाने की संसद की शक्ति और ऐसी विधि का किसी अन्य राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना।
- 253. अंतरराष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान।
- 254. संसद द्वारा बनयी गयी विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनायी गई विधियों में असंगति।
- 255. सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना।
प्रशासनिक सम्बन्ध
- 256. राज्यों की और संघ की बाध्यता।
- 257. कुछ दशाओं में राज्यों का संघ का नियंत्रण।
- 257A. (निरसित)।
- 258. कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने आदि की संघ की शक्ति।
- 258A. संघ को कृत्य सौंपने की राज्यों की शक्ति।
- 259. (निरसित)।
- 260. भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के सम्बन्ध में संघ की अधिकारिता।
- 261. सार्वजनिक कार्य, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियाँ।
- 262. अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल सम्बन्धी विवादों का न्यायनिर्णयन।
- 263. अंतरराज्य परिषद के सम्बन्ध में उपबंध।
वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद
- 264. निर्वचन।
- 265. विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना।
- 266. भारत और राज्यों की संचित निधियाँ और लोक लेखे।
- 267. आकस्मिकता निधि।
- 268. संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाले किन्तु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले शुल्क।
- 269. संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु राज्यों को सौंपे जाने वाले कर।
- 270. संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत तथा संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाने वाले कर। 271. कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार।
- 272. कर जो संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किए जाते हैं तथा जो संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जा सकेंगे।
- 273. जूट पर जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान।
- 274. ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की अपेक्षा।
- 275. कुछ राज्यों को संघ से अनुदान।
- 276. वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर।
- 277. व्यावृत्ति।
- 278. (निरसित)।
- 279. “शुद्ध आगम” आदि की गणना।
- 280. वित्त आयोग।
- 281. वित्त आयोग की सिफारिशें।
- 282. संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किए जाने वाले व्यय।
- 283. संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि।
- 284. लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमाराशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा।
- 285. संघ की सम्पत्ति को राज्य के करों से छूट।
- 286. माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बधन।
- 287. विद्युत पर करों से छूट।
- 288. जल या विद्युत के सम्बन्ध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छूट।
- 289. राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छूट।
- 290. कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन।
- 290A. कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय।
- 291. (निरसित)।
- 292. भारत सरकार द्वारा उधार लेना।
- 293. राज्यों द्वारा उधार लेना।
संपत्ति,संविदाएँ,अधिकार,दायित्व,बाध्यताएंऔर वाद
- 294. कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार। 295. अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार।
- 296. राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति।
- 297. राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मुल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्रोतों का संघ में निहित होना।
- 298. व्यापार करने आदि की शक्ति।
- 299. संविदाएं।
- 300. वाद और कार्यवाहियां।
संपत्ति का अधिकार
- 300A. विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना।
भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम
- 301. व्यापार, वाणिज्य और समागम की सवतंत्रता।
- 302. व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बधन अधिरोपित करने की संसद की शक्ति।
- 303. व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बधन।
- 304. राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बधन।
- 305. विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति।
- 306. (निरसित)।
- 307. अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति।
संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं
- 308. निर्वचन।
- 309. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्ते।
- 310. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि।
- 311. संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना, पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना।
- 312. अखिल भारतीय सेवाएं।
- 312A. कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहृत करने की संसद की शक्ति।
- 313. संक्रमणकालीन उपबंध।
- 314. (निरसित)।
लोक सेवा आयोग
- 315. संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग।
- 316. सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि।
- 317. लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना।
- 318. आयोग के सदस्यों और कर्मचारीवृंद की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति। 319. आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध।
- 320. लोक सेवा आयोगों के कृत्य।
- 321. लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति।
- 322. लोक सेवा आयोगों के व्यय।
- 323. लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन।
अधिकरण
- 323A. प्रशासनिक अधिकरण।
- 323B. अन्य विषयों के लिए अधिकरण।
निर्वाचन
- 324. निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना।
- 325. धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा न किया जाना।
- 326. लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का व्यस्क मताधिकार के आधार पर होना।
- 327. विधानमंडलों के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति।
- 328. किसी राज्य के विधानमंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधानमंडल की शक्ति।
- 329. निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन।
- 329A. (निरसित)।
कुछ वर्गों के संबध में विशेष उपबंध
- 330. लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण। 331. लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व।
- 332. राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण।
- 333. राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व।
- 334. स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का पचास वर्ष के पश्चात् न रहना।
- 335. सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे।
- 336. कुछ सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंध।
- 337. आंग्ल-भारतीय समुदाय के फायदे के लिए शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध।
- 338. अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों आदि के लिए विशेष अधिकारी।
- 339. अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियंत्रण।
- 340. पिछडे वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति।
- 341. अनुसूचित जातियां।
- 342. अनुसूचित जनजातियां।
राजभाषा
- 343. संघ की राजभाषा।
- 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति।
प्रादेशिक भाषाएं
- 345. राज्य की राजभाषा व राजभाषाएं।
- 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा।
- 347. किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध।
- 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- 349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया।
- 350. व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- 350A. प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं।
- 350B. भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी।
- 351. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश।
आपात संबंध
- 352. आपात की उद्घोषणा।
- 353. आपात की उद्घोषणा का प्रभाव।
- 354. जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है तब राजस्वों के वितरण संबंध उपबंधों का लागू होना।
- 355. ब्राह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्य की संरक्षा करने का संघ का कर्तव्य।
- 356. राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध।
- 357. अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उद्घोषणा के अधीन विधायी शक्तियों का प्रयोग।
- 358. आपात के दौरान अनुच्छेद 19 के उपबंधों का निलंबन।
- 359. आपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के लिए प्रवर्तन का निलंबन।
- 359A. (निरसित)।
- 360. वित्तीय आपात के बारे में उपबंध।
प्रकीर्ण
- 361. राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण।
- 361A. संसद और राज्यों के विधानमंडलों की कार्यवाहियों के प्रकाशन का संरक्षण।
- 362. (निरसित)।
- 363. कुछ संधियों, करारों आदि में उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन।
- 363A. देशी राज्यों के शासकों को दी गयी मान्यता की समाप्ति और निजी थैलियों का अंत।
- 364. महापत्तनों और विमानक्षेत्रों के बारे में विशेष उपबंध।
- 365. संघ द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन करने में या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव।
- 366. परिभाषाएं।
- 367. निर्वचन।
संविधान का संशोधन
- 368. संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया।
अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध
- 369. राज्य सूची में कुछ विषयों के संबंध में विधि बनाने की संसद की इस प्रकार अस्थायी शक्ति मानो वे समवर्ती सूची के विषय हों।
- 370. जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध।
- 371. महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371A. नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371B. असम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371C. मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371D. आंध्र प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध। ।
- 371E. आंध्र प्रदेश में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना। ।
- 371F सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371G मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371H. अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- 371I. ‘गोवा राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
- संविधान के सभी अनुच्छेदों की सूची
- 372. विद्यमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना और उनका अनुकूलन।
- 372A. विधियों का अनुकलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- 373. निवारक निरोध में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में कुछ दशाओं में आदेश करने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- 374. फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों के और फेडरल न्यायालय में या सपरिषद् हिज मजेस्टी के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध।
- 375. संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए न्यायालयों, प्राधिकारियों और अधिकारियों का कृत्य करते रहना।
- 376. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध।
- 377. भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के बारे में उपबंध।
- 378. लोक सेवा आयोगों के बारे में उपबंध।
- 378A. आंध्र प्रदेश विधानसभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध।
- 379-391. (निरसित)।
- 392. कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति।
संक्षिप्त नाम,प्रारंभ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन।
- 393. संक्षिप्त नाम।
- 394. प्रारंभ।
- 394A. हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ।
- 395. निरसन।