पंडित रघुनाथ मुर्मू (Pandit Raghunath Murmu)
- हाल ही में 5 मई 2023 को संथाली भाषा की लिपि ओलचिकी के खोजकर्ता पंडित रघुनाथ मुरमू की जयंती मनाई गई।
- रघुनाथ मुर्मू का जन्म – 5 मई 1905 को, बैसाखी पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) के दिन,
- रघुनाथ मुर्मू का जन्म स्थान – डांडबोस (दाहरडीह) गांव (रायरंगपुर शहर के पास),मयूरभंज राज्य (अब ओडिशा में) में हुआ था।
- पिता का नाम – नंदलाल मुर्मू
- माता का नाम – सलमा मुर्मू
- बचपन का नाम – चुनु मुर्मू
- उनके पिता, नंदलाल मुर्मू, एक ग्राम प्रधान थे और उनके चाचा मयूरभंज राज्य के राजा प्रताप चंद्र भंजदेव के दरबार में मुंसी थे।
- संथाल लोगों (जिन्हें खेरवाल समुदाय के नाम से जाना जाता है) के पारंपरिक सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार, उनके जन्म के बाद उनका नाम चुनु मुर्मू रखा गया।
- बाद में उनका नामकरण संस्कार करने वाले पुजारी ने उनका नाम चुनू मुर्मू से बदलकर रघुनाथ मुर्मू रख दिया।
- पंडित रघुनाथ मुरमू का निधन – 1 फरवरी 1982 को , 76 बर्ष की आयु में
- पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संथाली लिपि ‘ओलचिकी’ का आविष्कार किया।
- पंडित रघुनाथ मुर्मू की कृतियाँ
- ओल केमेद (ओल चिकी का प्राथमिक पाठ्यक्रम)
- पारसी पोहा (ओल चिकी के आवश्यक तत्व)
- डेयर गे धोन (नाटक)
- सिदु कान्हू (देशभक्ति नाटक)
- बिदु चंदन (प्रसिद्ध प्रेम नाटक)
- खेरवाल बीर (देशभक्ति नाटक)
- हिटल (खेरवालों के मिथक में पृथ्वी और मनुष्य के विकास का ग्रंथ)
- होर सेरेंग (संताली साहित्य गीत)
- रोनोर (संताली व्याकरण)
- एल्खा (संताली गणित)।
- उनकी पहली पुस्तक होर सेरेंग है और नाटक पर उनकी पहली पुस्तक बिदु चंदन है।
- उनकी आखिरी किताब राह एंडोरह (Rah Andorh) है।
- रघुनाथ मुर्मू के नाम से स्कूल /कॉलेज
- पंडित रघुनाथ मुर्मू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, मयूरभंज, ओडिशा
- नयाग्राम पंडित रघुनाथ मुर्मू गवर्नमेंट कॉलेज, झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल