(उदभासल कर्ण ) Udbhasal Karna Khortha Natak Shri Niwas Panuri

 Udbhasal Karna Natak khortha  Shri Niwas Panuri

उदभासल कर्ण खोरठा नाटक  श्री निवास पानुरी

उदभासल कर्ण(उपेक्षित कर्ण)

  • श्रीनिवास पानुरी जी का पहला नाटक

  • नाटक का प्रकार – एकांकी 

  • लेखक – श्री निवास पानुरी

  • नाटक का आधार – महाभारत (कर्ण )

  • रचना का काल – 1963 (में लिखा गया था )

    • प्रकाशक – नारायण महतो  

    • प्रकाशन 2012
    • भूमिका लेखक – नारायण महतो
  • नाटक में अंको की संख्या  – 1  

  • नाटक में दृश्यों की संख्या  – 11  

  • उदभासल मतलब  –  तिरस्कृत कर्ण ,दुखी कर्ण 

पृथ्वी प्रकाशन में दिया हुआ है 

प्रथम संस्करण 

2012

द्वितीय संस्करण 

2019

  • नाटक के पात्र 

1

कुंती 

कर्ण को जन्म देने वाली माँ 

2

गुरु द्रोणाचार्य 

3

अर्जुन 

4

कर्ण 

5

एकलव्य 

6

कृपाचार्य 

7

दुर्योधन 

8

भीम 

परशुराम 

10 

कृष्ण 

11 

बिदुर 

12 

सोनी और मीरा 

13 

वामन के भेस  में 

इंद्रा एवं  अपयश 

नाटक का सार (हिन्दी में) 

  • नाटक की कथावस्तु महाभारत के कर्ण पर आधारित है। 

  • नाटक की पूरी कथा वस्तु ग्यारह दृश्यों में विभाजित है।

प्रथम दृश्य

  • कर्ण का जन्म 

दूसरे दृश्य

  • द्रोणाचार्य के आश्रम में 

तीसरे दृश्य

  • शिकार ,अर्जुंन ,कुकुर

चौथे दृश्य

  • धनुधरी के प्रदर्शन

पांचवे दृश्य

  • सोनी और मीरा  की वार्तालाप

छठे दृश्य

  • परशुराम आश्रम 

  • कर्ण का भंडा फूट जाता है।

सातवें दृश्य

  • पांडव वनवास से घूम आते है

आठवें दृश्य

  • दुर्योधनं राजसभा 

  • कृष्ण समझाने जाते है 

नौवें दृश्य 

  • नदी किनारे कर्ण कुंती

दसवें दृश्य 

  • इन्द्र कर्ण से कवच कुण्डल मांगते  है 

ग्यारहवें दृश्य

  • युद्ध भूमि 

प्रथम दृश्य 

  • प्रथम दृश्य में कुंती एक नवजात शिशु को लेकर मंच पर आती है यह नवजात शिशु कुंती को, सूर्य से प्यार के प्रसाद स्वरूप श्राप हुआ है। 

  • कुंती तो कुवारी कन्या थी, अत: कलंक के भय से शिशु को नदी में बहा देती है। 

  • दूसरी तरफ एक निसंतान सारथी (रथ हांकने वाला) के हाथ वह शिशु लगता है और वह उसका पालन करता है।

दूसरे दृश्य(द्रोणाचार्य के आश्रम में )

  • दूसरे दृश्य में कर्ण, द्रोणाचार्य के पास धर्नुविद्या सीखने के लिए जाता है, किंतु द्रोणाचार्य उसे सुतपुत्र, नीच कुलोत्पन्न कहकर धर्नुविद्या सीखाने से इन्कार कर देता है। 

  • अधिरथ पुत्र कर्ण 

तीसरे दृश्य(शिकार ,अर्जुंन ,कुकुर )

  • तीसरे दृश्य में द्रोणाचार्य और अर्जुन आदि की भेंट एकलव्य नामक एक भील युवक से होती हैं 

  • द्रोणाचार्य के दल का एक कुता जब एकलव्य को देखकर भूकने लगता है तो एकलव्य इस युक्ति से वाण चलाकर उसके मुंह को बिना घायल किए भर देता है कि और उसका भूकना बंद क देता है। 

  • द्रोणाचार्य जब कुते को इस हालत में देखते हैं तो उन्हें चिंता होती है कि इस तरह से धनुर्धर के रहते अर्जुन को सबसे बड़ा धर्नुधर बना पाना असंभव है। 

  • जब द्रोण एकलव्य से पूछता है कि तुमने किस गुरू से यह विद्या सीखी है, तो एकलव्य द्रोणाचार्य को ही अपना गुरू बताता है। 

  • द्रोणाचार्य गुरू दक्षिणा के बहाने एकलव्य का अंगुठा मांग लेता है और छल से उसे विकलांग बना देता है। 

चौथे दृश्य

  • चौथे दृश्य में अर्जुन आदि धनुधरी के प्रदर्शन के लिए समारोह का आयोजन किया गया है, जिसमें कर्ण भी भाग लेना चाहता है किंतु यहां भी उसकी जाति, कुल गोत्र पूछकर नीच कुलोत्पन्न बताकर समारोह में प्रदर्शन से मना कर दिया जाता है। 

  • उसे यह बताया जाता है कि यह समारोह सिर्फ राजपुत्रों के लिए है। 

  • कृपाचार्य कर्ण को सूत पुत्र बताकर उसका उपहास करके धनुधरी प्रदर्शन में भाग लेने से मना कर देते हैं

  • ऐसे समय में दुर्योधन आगे आता है और कर्ण के सिर पर मुकुट रखकर अंग प्रदेश का राजा घोषित कर देता है।

पांचवे दृश्य(सोनी और मीरा  की वार्तालाप)

  • पांचवे दृश्य में कर्ण परशुराम के आश्रम में जाता है और अपने आपको ब्राह्मण युवक बताकर परशुराम से धनुर्विद्या सीखाने का आग्रह करता है। 

  • कर्ण अपने को ब्राह्मण इसलिए बताता है कि परशुराम क्षत्रिय को धनुर्विद्या नहीं सिखाता था। 

  • इसी दृश्य में  सोनी और मीरा  की वार्तालाप का जिक्र है

  • सइतवती  का जिक्र है। 

छठे दृश्य

  • एक घटना के क्रम में कर्ण का भंडा फूट जाता है। परशुराम उसे ऐन वक्त पर सारी सीखी हुई विद्या भूल जाने का शाप देते हैं।

सातवें दृश्य(पांडव वनवास से घूम आते है )

  • सातवें दृश्य में पांडव तेरह वर्षों का वनवास काटकर हस्तिनापुर लौट आते हैं। 

  • कृष्ण इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पांडव जब शर्त के अनुसार दुर्योधन से आधा राज्य मांगेंगे तो झगड़ा होगा और कुरूवंश का नाश हो जाएगा।

आठवें दृश्य

  • आठवें दृश्य में  कृष्ण युधिष्ठिर का दूत बनकर दुर्योधन की राजसभा में  गए थे

  • आठवें दृश्य में कृष्णदुर्योधन को समझाने जाते हैं किंतु दुर्योधन बिना युद्ध के सुई की नोक के बराबर भी भूमि देने को तैयार नहीं हैं। उल्टे वह कृष्ण को ही वंदी बनाने का प्रयास करता है। 

  • वहीं कृष्ण की भेंट कर्ण से होती है और उसे उसकी जन्म की कथ सुनाकर कर्ण को पांडवों के खेमे में जाने का आग्रह करते हैं, पर कर्ण इंकार कर देता है।

  • इसी दृष्टि में कृष्ण कर्ण को बताते हैं कि उसकी माता कुंती है और उसके भाई पांडव है

नौवें दृश्य (नदी किनारे कर्ण कुंती )

  • नौवें दृश्य में नदी किनारे जब कर्ण सूर्य को अर्घ्य दे रहा होता है तब कुंती उसके पास आती है और उसे अपना पुत्र बताते हुए पांडवों के दल में शामिल होने का आग्रह करती है, पर वह नकार देता है। 

दसवें दृश्य (इन्द्र कर्ण से कवच कुण्डल मांगते  है )

  • दसवें दृश्य में इन्द्र ब्राह्मण का वेश धारण कर कर्ण के पास आता है और कर्ण का दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर बताते हुए छल से उसकेजन्मजात कवच कुंडल मांग लेता है और कर्ण को असुरक्षित कर देता है। 

  • इसके बदले इन्द्र कर्ण को एकधनी नाम अस्त्र देता है। 

    • एकधनी ऐसा अस्त्र है, जिसे एक ही बार चला कर किसी को निश्चित रूप से मारा जा सकता है।

ग्यारहवें दृश्य

  • ग्यारहवें दृश्य में अर्जुन को युद्ध भूमि में मोह हो जाता है तब कृष्ण उसे अपने विराट रूप का दर्शन कराते हैं और अर्जुन का मोहभंगकर युद्ध के लिए तैयार करते हैं। 

  • युद्ध भूमि में कर्ण के रथ का पहिया कीचड़ में फंस जाता है जिसे निकालने के क्रम में निहत्थे कर्ण पर कृष्ण के कहने पर अर्जुन वाण चलाकर मार देता है। 

  • कर्ण के मरने के समय अपयश ब्राहामण का रूप धर कर कर्ण की दानवीरता की परीक्षा लेना चाहता है और कर्ण से स्वर्णदान की याचना करता है। 

  • लेकिन कर्ण कहता है कि इस मृत्यु की घड़ी में मेरे पास कोई स्वर्ण नहीं है मेरे देश से हड्डी मांस चाहिए तो वह मैं दे सकता हूं और अपने पिता सूर्य देव का आह्वान करता है कि मृत्यु की घड़ी में उसका लाज बचाये तभी आकाशवाणी होती है और उसे पता चलता है कि उसका दांत सोने का है

  • कर्ण अपने दांत को दानकर अपयश का मुह बंद कर देता है।

Q.कुरु वंश का राजा शांतनु को किससे प्यार हो जाता है ?  सइतवती 

Q.सइतवती किसकी बेटी थी ? धीवरेक  (एक मछुआरा)

Q.उदभासल कर्ण नाटक  में कर्ण का मिलान भगवान कृष्ण से किस दृश्य में दिखाया गया है ? आठवां दृश्य

Q. कर्ण को अंग देश का राजा किसने बनाया था ?  दुर्योधन ने

Q. कर्ण की माता का क्या नाम था  ?

  • पालने वाली माता – राधा 

  • जन्म देने वाली माता – कुंती 

Q.  ‘उदभासल’ कर माने की है ?  उपेक्षित

Q.  ‘उदभासल कर्ण’ नाटक कर लेखक के लागे ? श्रीनिवास पानुरी

Q.  ‘उदभासल कर्ण’ नाटक को कौन वर्ष लिखल लागे ?  1963 

Q. ‘उदभासल कर्ण’ नाटक को कौन वर्ष में छपल हे

प्रथम संस्करण – 2012 

Q.  ‘उदभासल कर्ण’ नाटक कर परकासक लागे ? नारायण महतो 

Q. ‘उदभासल कर्ण’ नाटक कर भूमिका कोन लिखल हे ? आकाश खूटी

Q. अर्जुन के पिता कौन थे जिसका वह आशीर्वाद था ? इंद्र

Q. कर्ण के पिता कौन थे जिसका वह आशीर्वाद था ? सूर्य देव 

Q.  ‘उदभासल कर्ण’ नाटके कइगो दिरिस हे ? 11

Q.  ‘उदभासल कर्ण’ नाटके कइगो अंक हे ? 1(एकांकी नाटक )

Q. ‘उदभासल कर्ण’ नाटक कर मंचन सोबले पहली बार कहाँ खलल (मंचन) गेल रहे ? बोरवा अड्डा

Q.  कर्ण कर गुरू कोन रहे ? परशुराम

Q. भगवान इंद्र द्वारा कर्ण से कवच कुंडल मांगने का जिक्र उदभासल कर्ण नाटक के किस दृश्य में किया गया है ?  दसवां दृश्य

Q. द्रोणाचार्य ओंगठा केकर कटवल रहे ? एकलव्य 

Q. कर्ण के कवच कुंडल  कोन माँगल रहे ? इन्द्र

Q. कर्ण के माराइल बादे ओकर सोनाक दाँत कोन माँगल रहे ? अपयश 

Q. कर्ण कर दाँत सोनाक रहे कइसे मालूम हेल ? आकाश वाणी से

Q. आखरी दिरिसे सुयश आर अपयश कोन भेसें कर्ण पास आइल रहथ ? भामन भेसें

Q. कर्णअपना प्रिय बेटा को आरी से काट कर उसका मांस किस को खिलाता है ? अपयश  को

Q.  इन्द्र कर्ण को कौन सा अस्त्र देता है ? एकधनी नाम अस्त्र

Q. अपयश कर्ण से सोना क्यों मांगता है ? 

  •  क्योंकि उसके बाप का दाह संस्कार सोना के बिना रुका हुआ था। 

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AUTHOR : MANANJAY MAHATO

 

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