Sohrai Geet (खोरठा के सोहराइ गीत – 1)

  • सोहराइ पशु आराधना का पर्व है। 
  • इसे खोरठा क्षेत्र का दिवाली या बांधना पर्व  कहते है। 
  • कार्तिक या पौष में मनाया जाता है। 
  • यह कर्मा एवं जितिया पर्व के बाद मनाया जाता है। 
  • दिवाली के तीन दिन पूर्व पशु के सींग में तेल लगाया जाता है। 
  • दिवाली के दूसरे दिन घर के जानवरो को स्नान कराया जाता है। जानवरो को अनाज का बना हुआ पखेवा एवं लपसी खिलाया जाता है। 
  • प्रमुख सोहराइ गीत – सोहराइ गीत, बांधना गीत, गोवार माँगा गीत , गोवार कांदा गीत
  • यम दीया किसे कहते है  : कार्तिक अमावस्या की रात कच्चा दिया या गोबर का दिया जलाया जाता है। 
    • दिवाली के पूर्व रात में  कच्चा दिया या गोबर का दिया जलाया जाता है।
  • दसा मासा हाकने की प्रथा 👍
    • इस प्रथा के अनुसार दीपावली के दूसरे दिन सुप टोकरी को सुबह-सुबह डंडे से पीटते हुए गाते हुए घर से बाहर चौराहे पर ले जाया जाता है, जहां उसे जला दिया जाता है।  
    • सुख समृद्धि की कामना हेतु दशा मासा का आह्वान किया जाता है

 

  • सोहराइ लोकगीत के चार प्रकार 
    • गाय जागरण का गीत 
    • चंचाईर गीत 
    • गोवार माँगा गीत / गोवार कांदा गीत
    • हरबदिया (प्रतियोगितात्मक ) गीत

गाय जागरण का गीत 

चंचाईर गीत 

  • इस गीत का मुख्य विषय प्रकृति चित्रण था जानवरों के प्रति प्रेम है।
  • इस गीत का शुरुआत कर्मा के विसर्जन के साथ होता है और दीपावली में समाप्त होता है।  जब कर्मा का विसर्जन करके लड़कियां लौट रही होती है तो वह इस गीत को गाते हुए लौटती है। 
  • डॉ श्याम परमार के अनुसार चर्चरी तेरहवीं शताब्दी से पूर्व का प्रसिद्ध लोक गीत है। 
  • इस गीत को जिनदत्त सूरी नामक जैन कवि ने भी अपनाया था। 
  •  कबीर के बीजक में भी इस गीत का प्रयोग किया गया है। 
  •  यह गीत नृत्य करते समय गाया जाता है। 
  • कालिदास और श्रीहर्ष के नाटकों में भी चर्चरी का उल्लेख किया गया है। 
  •  चंचाईर गीतों में चरवाहे की करुण कथा का वर्णन मिलता है। 
  • यह गीत चरवाहा, किसान, मजदूर द्वारा  एवं विवाह के समय भी गाया जाता है। 

गोवार माँगा गीत / गोवार कांदा गीत

  • ग्वाला गाय चराने और पशु सेवा के लिए कुछ पुरस्कार किसान से मांगता है, इसीलिए ग्वाला के द्वारा गाया जाता है। 

हाराबदिया (प्रतियोगितात्मक ) गीत

  • हाराबदिया का अर्थ है – वादी को हराना
    • यानी प्रश्न उत्तर विद्या में गाकर हार जीत करना
  • इसमें गीत के माध्यम से एक दल दूसरे तल से प्रश्न करता है तथा दूसरे दल को गीत के माध्यम से उत्तर देना पड़ता है।  इस तरह यह गीत प्रश्न पूछने एवं  उत्तर देने के सिलसिला के रूप में बारी-बारी से चलता रहता है।  जब तक कि इस प्रतियोगिता में किसी दल का विजय नहीं हो जाता है। 

 

 

सोहराइ गीत 1

 

जागहीं न जागही गइया आजु केरी रतिया गो

तोरे जागलें जागतउ गोटे संसार !

जागहीं न जागहीं मीरा आजु केरी रतिया हो

तोरे जागलें जागतो गोटे संसार ।

तोरे घारें देखा हउ आलो न बतिया हो

तोरे घारें देखा हउ आंधार,

बारऽ हीं न बारऽ हीं मीराइन घीया – मूंगा बतिया हो

झकमक बरतउ सारा राइत ।

 

सोहराइ / 2

 

कुल्हीयाँइ – कुल्हीयाँइ हामें जा हलों

तोर बरदाँइ आनलउ घुराइ !

चालें हो चालें अहीरा हामर मीरा घर

जाइक चोटें करतउ बिदाइ !

बइसें ले जे देलइ बाबु उँचा-नीचा मचिया

खायले जे देलथ बीड़ा पान

अइसने लागइ बाबु घरे के गिरहनियाँ

सुपा भरी दइये देलइ धान!

ककर लागइ बाबु उँचा-नीचा बखरिया

ककर जागहइ नाम

ककर लागइ बाबु उलारे-दुलारे गो

सोनाक डुभियें खा हइ दुध-भात

बड़का के लागइ बाबु उँच-नीचा वखरिया

मंझला केर जागइ नाम

छोटका के लागइ बाबु उलारे-दुलारे गो

सोनाक डुभियें खा हइ दुध-भात ।

 

सोहराइ / 3

 

ओही रे, किया बरन काड़वा तोरी आठो अंगा रे बाबु हो, किया बरन दुयो सिंग !

किया बरन काड़वा तोरी दुयो कान रे किया बरन दुयो आँइख, बोल ओही रे!

करिया बरन काड़वा तोरो आठो अंगा रे

बाबु हो, कँकुआ बरन दुयो सिंग

सूपती बरन काड़वा तोरो दुयो कान रे, चाँद सुरुज दुयो आँइख !

कथीं सजइबोउ काड़वा तोरी आठो अंगा रे

बाबु हो, कथीं सजइबोउ दुयो सिंगा !

कथीं सजइबोउ काड़वा तोरी दुयो आँइख

रे, बोली ओही रे,

गुड़ी हीं सजइबोउ काड़वा तोरी आठ अंगा रे !

बाबु हो, सिंदुरें सजइबोउ दुयो सिंग काजरे सजइबोउ काड़वा, तोरी दुयो आँइख!