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 छॉइहर

छॉइहर(कहानी संग्रह/गोछ )

लेखक – चितरंजन महतो “चित्रा’

प्रकाशक -खोरठा भाषा साहित्य संस्कृति अकैडमी, रामगढ़

प्रकाशन वर्ष -2007 

कहानी संग्रह – 10

  • इस कहानी में पांच पात्र हैं जिनमें मुख्य किरदार रोहन और मोहन का है इसके अलावा सूरज नारायण चौधरी जो कि जमींदार है देव नारायण चौधरी जो कि एक टीचर हैं और तीसरे छगन साव  जो कि एक दुकानदार हैं

रोहन

मजदूर

मोहन

मजदूर

सूरज नारायण चौधरी

जमींदार (बड़े छत्रछाया)

देव नारायण चौधरी

टीचर(छोटा  छत्रछाया)

छगन साव

दुकानदार(तीसरा  छत्रछाया)

  • बैसाख महीने में सूरज नारायण चौधरी द्वारा एक घर बनवाया जा रहा है जहां रोहन और  मोहन मजदूरी कर रहे हैं लेकिन काम एक ही पहर तक होता है 

  • रोहन और मोहन दोनों गोतिआ एवं एक ही परिवार के सदस्य है

  • दोनों बिल्कुल साधारण परिवार से आम आदमी है लेकिन रोहन दिन प्रतिदिन बीमार हो रहा है और मोहन सेहतमंद हो रहा है मोहन अपने बच्चों को पढ़ा भी रहा है लेकिन मोहन के बच्चे अनपढ़ हैं

रोहन

मोहन

  • बीमार

  • बच्चे अनपढ़ हैं

  • रोहन बड़े व्यक्ति के छत्रछाया में हैं

  • रोहन जमींदार सूरज नारायण चौधरी का वफादार है 

  • सूरज नारायण चौधरी के पिता बिरजू चौधरी है 

  • जमींदार के प्रभाव के कारण रोहन शराबी बन गया है

  • सेहतमंद

  • बच्चों को पढ़ा भी रहा है

  • रोहन छोटे व्यक्ति के छत्रछाया में हैं

  • मोहन देव नारायण चौधरी जो कि एक मास्टर है उनके छत्रछाया में है और इसलिए वह शराब पीना नहीं सीखा और मास्टर की छत्रछाया के कारण अपने बच्चों को पढ़ा भी रहा है

  • बड़ा बेटा B.A. में है दूसरा  बेटा मैट्रिक में और छोटा बेटा भी स्कूल जा रहा है

  • 1 दिन काम से वापस आते समय मोहन रोहन से पूछता है की एक बात जानना है की तुम बड़े आदमी जमींदार के छत्रछाया में हो जबकि मै एक छोटे मास्टर के छत्रछाया में हैं तो तुम्हें मुझसे जिंदगी में आगे जाना चाहिए और इसी बातचीत के दौरान वह दोनों रास्ते में कई सारे पेड़ों के नीचे विश्राम भी करते हैं

  • तभी एक ताड़ी  बेचने वाला आता है

  • तब ताड़ी वाले से रोहन ने ताड़ी पिया और वहीं पर मोहन ने एक गिलास पानी पिया

  • वहां से भी दोनों फिर आगे बढ़ने लगे आगे उन्हें छगन साव का दुकान मिला

  • इस कहानी में लेखक छगन साव को तीसरा छत्रछाया कहते हैं 

  • छगन साव के बारे में लेखक का कहना है कि इसका छत्रछाया जिस पर पड़ता है उसका तरक्की कभी नहीं होता है क्योंकि यह लोगों को उधार मैं रुपया देता है और सूद के रूप में बहुत ज्यादा वसूलता है 

  • वह पहले दिन ग्राहक को फ्री में समान देता है और ग्राहक बना लेता है

  • छगन साहू की दुकान में पकौड़ी, आलूचॉप ,प्याजी, दारू, बिस्कुट सब मिलता है

  • रोहन ने दारू पिया

  • 1 महीना के बाद मोहन जब शहर से वापस लौट रहा था तभी रोहन की मुलाकात हो से होती है और रोहन, मोहन का सेहतमंद और उसका अमीर होने का गुरु मंत्र पूछता है

  • तब मोहन रोहन को अपने मास्टर गुरुजी के पास ले जाते हैं

  • रोहन ने मोहन का गुरु मंत्र गुरु जी से पूछा लेकिन गुरुजी ने बताने से इनकार कर दिया

  • लेकिन अंत में गुरु जी ने कई शर्तों के साथ रोहन को गुरु मंत्र दिया

    • शराब पीना छोड़ना होगा 

    • खून पसीना एक करके कठिन मेहनत करना होगा 

    • और किसी अन्य के छत्रछाया में सिर्फ बैठकर नहीं रहना होगा

निष्कर्ष- संगत का असर/प्रभाव

1Q.छाँहइर कहनी केकर लिखल लागे? 

ANS- चितरंजन महतो “चित्रा’ 

2Q.छाँहइर कहनी किस पुस्तक में संकलित है?

ANS-छॉइहर कहानी संग्रह

3Q.छॉइहर किस प्रकार का रचना  है ? 

ANS-कहानी संग्रह/गोछ

4Q.छॉइहर कहानी संग्रह पुस्तक का प्रकाशक कौन है ?

ANS-खोरठा भाषा साहित्य संस्कृति अकैडमी, रामगढ़

5Q.छॉइहर कहानी संग्रह पुस्तक का प्रकाशन कब किया गया था  ?

ANS- 2007

6Q.छॉइहर कहानी संग्रह पुस्तक कितने कहानियों का संग्रह है ?

ANS- 10 

7Q. छॉइहर कहानी के मुख्य पात्र कौन है ? 

ANS- रोहन और मोहनलाल

8Q.रोहन और मोहनलाल का पेशा  क्या था ? 

ANS-मजदूरी 

9Q.रोहन और मोहनलाल कँहा काम कर रहे थे  ? 

ANS- सूरज नारायण चौधरी के घर में

10 Q.  काम से वापस लौटने के दौरान रोहन और मोहन किस पेड़ के छांव के नीचे बैठे थे ?

ANS – ताड़ पेड़

11Q.सूरज बाबू के घर में 15-20 दिन काम करने के बाद दोनों को एक बेरा यानी कि पार्ट टाइम मजदूरी का काम क्यों मिला?

ANS-बालू समाप्त होने के कारण (जबकि छड़ और सीमेंट पर्याप्त मात्रा में था)

12Q. सूरज नारायण चौधरी के पिता का क्या नाम था ? 

ANS – बिरजू चौधरी

13Q.रोहन और मोहन जब घर वापस जा रहे थे तो बीच में कौन मिला था 

ANS – ताड़ी वाला 

14Q. ताड़ी वाले से मांग कर पानी किसने पिया था ?

ANS – मोहन ने जबकि रोहन ने ताड़ी पिया था

15Q मोहन देव नारायण चौधरी(मास्टरजी ) को किस पेड़ की छाया के रूप में वर्णन करता है 

ANS – नीम पेड़

16Q.छाँहईर माने की हेव हे? 

ANS- छाया,नजदीकी 

17Q. छाँहइर कहनी में बोड़ छाँहइर केकरा कहल गेल हे?

ANS- सूरूज नारायण चौधरी के (जमींदार )

18Q. छाँहइर कहनी में  छोट छाँहइर कहल गेल हे?

ANS-देव नारायण चौधरी के (शिक्षक )

19Q.छाँहइर कहनी में  तीसरा छाँहइर केकर कहल गेल हे?

ANS- छगन साव (दुकानदार /सूदखोर )

20Q. रोहन किसके छाँहइरे रहो हल? 

ANS- सूरूज नारायण चौधरी के (जमींदार ), बोड़ छाँहइर

21Q. मोहन किसके छाँहइरे रहो हल? 

ANS-देव नारायण चौधरी के (शिक्षक ) ,छोटे छाँहइरे 

22Q. रोहन- मोहन में नाता कइसन रहे? 

ANS- गोतियाक 

23Q. रोहन-मोहन कहाँ काम करे जा हथ ?

ANS- सूरज चौधरी के नया बनने वाले  घर में 

24Q.  “बिरजु’ ककर बापेक नाम रहइ? 

ANS- सुरजु चौधरीक

25Q. ‘एकर छाँहईर जकर ठीन पड़तलइ तकर उबार नी रहइ’ ई केकर खातिर आइल हे?

ANS- छगन सावेक

26Q. छगन सावेक कारोबार कइसन रहइ? 

ANS- दुकानदार ,महाजन  

27Q.सुरूज नारायण चौधरी कइसन लोक रहे?

ANS-जमींदार

28Q. देव नारायण चौधरी कइसन लोक रहे? 

ANS- गुरूजी (मास्टर) 

29Q . क्या रोहन और मोहन एक ही टोला में रहते थे ?

ANS – नहीं, अलग टोला में रहते थे

30Q.  ताड़ी पीने के बाद दोनों ने किस पेड़ के नीचे आराम किया था 

ANS – इमली पेड़

31Q.  रोहन और मोहन में से शहर कौन गया था और कितने दिन बाद गांव वापस आ रहा था ? 

ANS – मोहन , महीना बाद 

32Q.सुरूज नारायण चौधरी घर में नौकर के रूप में काम कौन कर रहा था ? 

ANS- रोहन

33Q. सुरूज नारायण चौधरी घारे आवन-जावन उठन-बेइठन बेसी रहई?

(a) रोहन

34Q. देवा चौधरीक घारे आवन-जावन उठन-बेइठन बेसी रहई?

ANS- मोहन

35Q. छाँहईर कहनीक मुइख भाव हे?

ANS- संगति का महत्व 

  • संगति का ही असर होता है की अच्छे लोग बुरे लोगो की संगत में बुरे आदत पाल लेते है तो वही कई बुरे आदत वाले लोग भले लोगो के संगत में रहकर खुद को बिल्कुल बदल देते है तो यह संगति का ही नतीजा होता है। 

36Q. मोहन का सुखी एवं  स्वस्थ होने का कारन क्या था ?

ANS- मोहन देवी चौधरी के संगत में रहकर अच्छी आदतों को अपनाता था, वह शराब नहीं पीता था, फिजूलखर्ची नहीं करता था,कठिन मेहनत भी करता था, बच्चों को पढ़ाता भी था, जिसके कारण वह सुखी था

37Q.देवनारायण चौधरी रोहन से गुरु दक्षिणा के रूप में कितने चीजों की मांग करते हैं 

ANS- तीन चीजें

  • मन का दान (सर आपका तैयार ताकि मन कंट्रोल में हो)

  • तन का दान (तन का दान मतलब कठिन परिश्रम करना है ताकि आर्थिक कमी ना हो)

  • धन का दान (किसी के अधीन या छत्रछाया का त्याग करना)