भारत के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची
List of intangible cultural heritage of India
(Intangible cultural heritage- ICH)
अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर
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वे सांस्कृतिक धरोहरें हैं जो अभौतिक हैं अर्थात जिन्हें आँख से देखा नहीं जा सकता, जैसे- लोककथा, प्रथाएँ, विश्वास (beliefs), परम्पराएँ, ज्ञान, भाषा मौखिक प्रथाएँ, रीतिरिवाज, त्यौहार, परंपरागत ज्ञान, प्रदर्शन कलाएँ, हस्तशिल्प निर्माण का परंपरागत हुनर, प्रकृति से जुड़ा परंपरागत ज्ञान व प्रथाएँ आदि।
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ये वे परंपराएँ हैं, जिन्हें हम पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने पूर्वजों से प्राप्त करते हैं और जिन्हें हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को प्रदान करते हैं।
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संस्कृति को संरक्षित करने के लिये यूनेस्को द्वारा ‘अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण अभिसमय’ को 2003 में अपनाया गया।
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संगीत नाटक अकादमी, वैश्विक अमूर्त धरोहर सूची में शामिल किये जाने के लिये प्रतिवेदन तैयार करने और भेजने के लिये संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नियुक्त नोडल एजेंसी है।
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यूनेस्को की ‘मानवता की अमर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची’ में शामिल भारत के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की संख्या – 14
1. रामलीला
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रामलीला उत्तर भारत का परंपरागत लोक नाट्य है।
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यूनेस्को ने इसे 2008 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है।
2. वैदिक मंत्रों का पाठ करने की परंपरा
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वेदों का पाठ करने के परंपरागत तरीकों को वैदिक मंत्रोच्चारण कहा जाता है।
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प्रारंभ में वैदिक मंत्रोच्चारण के लगभग 1000 तरीके थे जो कि वर्तमान में सिर्फ 13 तरीके ही शेष बचे हैं।
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2008 ई. में इसे यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया गया है।
3. कुडियाट्टम
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कुडियाट्टम केरल की प्रसिद्ध रंगमंच कला है ।
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इसमें ‘चकिअर’ परुष पात्र तथा ‘नानगिर’ महिला पात्रों की भूमिका निभाते हैं।
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यूनेस्को द्वारा इसे 2008 में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया गया है।
4. रम्माण
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रम्माण भारत के गढ़वाल क्षेत्र में प्रचलित एक धार्मिक परंपरा है।
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यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में सलूड़-डुंगरा गाँव में हिंदू समुदाय द्वारा भूमियाल देवता की आराधना हेतु मनाया जाता है।
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2009 ई. में इसे यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित किया गया है।
5. नवरोज
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नवरोज उत्सव को पारसी समुदाय नववर्ष के रूप में मनाते हैं।
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3 हज़ार साल पहले जिस दिन ईरान में शाह जमशेद ने सिंहासन ग्रहण किया था, उसे नवरोज कहा गया
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पारसियों के नववर्ष के रूप में 21 मार्च को मनाया जाता है।
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यूनेस्को द्वारा 2016 ई. में इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित कर लिया गया है।
6. मुडियेटु
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यह केरल का नृत्य उत्सव है।
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इसमें काली देवी तथा दारिका राक्षस के बीच मिथकीय कहानी का अभिनय किया जाता है।
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इसे 2010 ई. में यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित कर लिया गया है।
7. कालबेलिया
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कालबेलिया राजस्थान का प्रसिद्ध लोकनृत्य है, जो सपेरा जाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
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यूनेस्को ने 2010 ई. में इस नृत्य को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित कर लिया है।
8. छऊ नृत्य
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छऊ बिहार, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में प्रचलित लोकनृत्य है जिसे सूर्य पूजा के अवसर पर किया जाता है।
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यूनेस्को द्वारा 2010 में इस नृत्य नाटिका को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित कर लिया गया है।
9. बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ करने की परंपरा
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बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ करने की यह परंपरा ट्रांस हिमालय के लद्दाख क्षेत्र में प्रचलित है।
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यूनेस्को द्वारा 2012 ई. में इस परंपरा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित कर लिया गया है।
10. संकीर्तन
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मणिपुर का सामूहिक गान
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यह राधा-कृष्ण की भक्ति से संबंधित है।
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इसकी शुरुआत चैतन्य महाप्रभु के द्वारा की गई थी।
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यूनेस्को द्वारा 2013 ई. में इस नृत्य परंपरा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित किया गया है।
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पंजाब में ताँबा एवं पीतल के बर्तन बनाने की विशिष्ट परंपरा है।
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जिन लोगों के समूह ने इस हस्तकला को अभी तक जीवित रखने में अपना योगदान दिया है उन्हें ‘ठठेरा’ कहा जाता है
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यूनेस्को द्वारा इस हस्तशिल्प परंपरा को 2014 में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित किया गया है।
12. योग
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यूनेस्को द्वारा योग को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में वर्ष 2016 में सम्मिलित कर लिया गया है।
13. कुम्भ मेला
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कुम्भ मेला 4 स्थलो में आयोजित किया जाता है
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हरिद्वार
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प्रयाग(इलाहाबाद)
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उज्जैन
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नासिक
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इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष में इस पर्व का आयोजन होता है।
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मेला प्रत्येक तीन वर्षो के बाद नासिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार में बारी-बारी से मनाया जाता है।
- यूनेस्को द्वारा कुम्भ मेला को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में वर्ष 2017 में सम्मिलित कर लिया गया है।