खोरठा पहेलियाँ KHORTHA PAHELI FOR JSSC
खोरठा पहेलियों की सूची
पहेलियों को खोरठा में बुझवइल, जान कहनि, फांकी, हिंआली भी कहा जाता है।
ये एक पक्ति के, कविता रूप में, गीत रूप में, कथा रूप में पाये जाते हैं।
ये गीतात्मक और पद्यात्मक या दोहा रूप में प्राप्त होती है।
सोहराइ के कुछ चांचर गीत इसी गीतात्मक पहेलियों के उदाहरण है।
इन्हें हाराबदिया लोकगीत कहा जाता है।
गीतात्मक पहेलियां खोरठा पहेलियों की विशेषता हैं।
एक पंक्ति की पहेलियाँ
1. बिन फुधीक तुतुक तुंबा – अंडा
2. गोलघरेक दुवाई नाय – अंडा
3. चरका कुटे ललकी उसकावे – जीभ और दाँत
4. उपरे आइग हेठे अधन – हुक्का
5. एगो बुढ़िक गोटे गात फुसरी – कटहल
6. मांझ पोखइरें चांद गरगराइ – पुआ छांकना
7. पीठ करिया छाती उजर – ढकनडबवा रोटी
8. लाल टिकली घांसे चले – बिरबधुटी/रानी पोका
9. नाथल छगरी अंगने भुलइ – झाडू
10. नारते बरदा एगो, खोलते बरदा दूगो – दतुवन
11. पाँच भाइयेक एके अंगना – तलहटी
12. फुटल घरे भूत नाचे – लावा भुंजेक / खजारी भुंजेक
13. ठेप चरइंया मुडे मास – भेलवा
14. घर हइ मकिन दुबाइर नाज – तसर के कोवा
15. छोटमोट पंडकी डुमइर तरि पेट – कसैली/सुपारी
16. खाइते रसगर उगलते कपास – कतारी खाएक
17. पोडल’ पीठ पेटें छेद- गोरगोरा रोटी/ढकनसेरा रोटी
18. राइते गरू गोगइ दिने लुकाइ – तारा
19. राइत भइर करइ गइर – उड़ीस/खटमल
20. संगे-संगे रहे धरे नाय पारे – छाया
21. सुखल बांधे बोकली हडबडाइ – लावा
22. मांझ बांधे काड़ाक चोता( गोबर) – कछुआ
23. एगो बांधा दूरंग पानी- अंडा
24. मात्र धेचरी बेटी सुंदरी – मिर्चा
25. करिया चुका धांध लुका – बैंगन
26. हांथे बुना मुंहे बीछा- लिखा-पढ़ा
27. कार कुरथी हरे बुना मुंहे बीछा – लिखा-पढ़ा
28. एगो गादें छुछे ढेका- बेल
29. कुबरी जनिक पेटे दांत- हंसुआ
30. एगो आदमीक पेटे फाटल – गेहूँ
31. बरदा बांधाइल हे, पघवा चलेहे – कोहड़ा
32. एगो गाछे, छुछे लेबदा- अमलतास के फल / बांदरलउरी
35. आठ पंजरा, पीठ झंझरा – खटिया
36. देलिअइ तो की देख हे – ठेस लगना
37. एगो जीवेक मुंड़े नाय – केंकड़ा / खखरा
38. घर गुस्टिक जड़र एक ठीन – रसुन
39. उड़े मगर पाइख नाय – बादुल/चमगादड़
40. उपरें खोंधा पीठे अंडा – महुआ फुल
41. आगू आगू दंत खिसरा, पेछु कमर ओढवा- महुआ फुल/कोंयड़ी, डोरी
42. मामुक छगरी छुवले मेंमाइ – मांदइर
43. एके एकें फोरे एके बइर पाके- हाँड़ी / मिट्टी के बरतन
44. छोटो मोटो गाछ डाला अइसन पात –कुम्हार का चक्का
45. चाइरगोड़ खुरनाय , दू हाथ मुंडनाय – कुर्सी
46. जान कहनी जान, मुंहे धरी टान- चीलम/हुक्का
47. एगो बुढ़ी बिहान्हीं घसरले बहराइ – घर पोछने का कपड़ा
48. एगो चरई उलगल चले – कलम
49. एगो गाछे छुछे भौंरा – जामुन
कवितात्मक पहेली
चाइर नरम, चाइर गरम, चाइर झराझर परे, एगो हरिन के बारह गोड़, फरक-फरक परे।
मौसम जाड़ा, गरमी, बरसात
हरदिक डह-उह पीतरेक लोटा, जे नाज जाने बांदरेक बेटा।
बेल करिया चरइ
करिया बोने रहइ, लाल पानी पिअइ, आर चटाइने मोरइ।
ढील/जूं
कर कुरथी चरक पीढ़ा, हांथे बुना मुंहे बीछा
लिखा पढ़ा
राइतें गरू गोठइलों, दिने गरू नाय । कोन डहरें गरू गेलो, डहरें गोबरनाय
तारागण
छुटुमुटु चरइआँ कुली अइसन पेट,कहाँ जाहें चिरइआं समुंदरेक हेठ, राजाक बेटा पहले फारतो तोर पेट।
सुपारी/कसैली
जखन हलिओ कांच कुंवारी, तखन सहलियो माइर, आब पिंधलिओ लाल साड़ी आब नाय सहबो माइर।
– मिट्टी का बरतन
झीझरी कुइआँ, रतन फुलवारी, जे नाञ् बुझे से सुनत गारी ।
चलनी
संख नियर चरक, फट-फट उजर, गमने बास सुबास, सइ सउदा कीने पठउली, हमर नुनुवाक सास।
कपूर
काठेक कुत्ती, भुइएं सुती, एड़े मारलें, कुइद के उठी।
ढेंकी
एगो चिरइयाँ रट, डेना तोर पट ,खलरी उतार, रस मजेदार ।
कतारी/गन्ना
मुड़िएं फांसी, चुतरें कादा, उचइक उठे हरामजादा।
लाइठ, खुंटा और डोरी
ढांगा-ढांगा बाबाजी, माथाज भेलो जटा, सात पुरसें देखाइ नाय , कोराय हो बेटा।
मक्के की बाल
नदी धाइरे तिलइ गाछ, बिन हवा-बतासे हिलइ गाछ।
गाय की पूँछ
एगो गाछे कुछ रूपिया,
करंज
चाम चीकन हाड़े रेवां
आम की गुठली
उचकल खेती, बुबकल किसान,पानी भीतरें करे खरिहान।
कुदंसम
गोली गइया टोला खाइ, पाली पीले मोइर जाइ।
आग
बोन से बहराइल हाथी, सुप रकम कान, सूंढ से गीदर भेल, लाग भेला हइरान।
केलाक कांधी
हाथ हइ गोड़ नाज, नाज तकर माथा, गोटे-गोटे मानुस खाइ, असंभवेक कथा।
कुरता
हामिन दू बाप बेटा, तोहिन दू बाप बेटा, खइलों तीन रोटी गोटा-गोटा।
बाप, बेटा और पोता
चांदके चकचक, सुरूजेक काया, हे घनी पातर! तनिको नाज माया
तलवार
काठेक बरदा, लोहाक सिंघ नाचे बरदा, हिटिंग टिंग।
ढेंकी
काठेक गाय, माटिक बाछुर,ओकरे में दूधा जमलइ भरपूर, ओहे दूध मानुसे खाइ, भामते गुनते छव मास जाइ।
ताड़ी, चुका और ताड़ी गाछ
बापें देलइ एकर बइर, मायें लेही बेइर बेइर।
सिन्दुर
डुभी डुभी भीतर, बेटा बापेक उपर।
नारियल
बाप रे बाप, उपर ले गिरल टाप, घर भागल खिरकी दने ले, हम कंदे ले भागब रे बाप।
जाल, मछली और पानी
कीरे हाड़ा, हाँ बोल बेमुड़ा देखल ही ओकरा, जे मरलो पर बोलो हउ तेकरा ।
हाड़ा – केंकड़ा बेमुड़ा – जोंक, मरलाहा
बोन चरंइया चरक खास, छुवे गेले सुधे मास।
खुखड़ी/ मशरूम
एगो हंस कहे हमर सुधे मास
खुखड़ी/ मशरूम
भूइ से बहराइल हंस, हंस कहे हमर सुधो मांस
खुखड़ी/ मशरूम
काठेक कुती भुइएं सुती, लाइत मारले कुइद उठी
ढेकी