खोरठा लोकोक्तियाँ KHORTHA LOKOKTI FOR JSSC
Q . लोकोक्ति के खोरठा भाषा में क्या कहा जाता है ? काभईत , कहावइत ,पटतइर,लोकबाइन ,लोकसुभासित,परतइर(उदहारण)
खोरठा लोकोक्तियाँ | हिंदी में अर्थ |
अढाइ बुझे डेढ़ नाञ | जिद्दी लोक अपनी ही बात पर अड़े रहते हैं |
अनारी जोते कनारी, सियान जोते बहियार | सीधे-साधे लोग ठगे जाते हैं |
अइसन जगह बइठ, जे केउं ना कहे उठ, अइसन बात बोल, जे केउ ना कहे झठ | उपयुक्त काम करना चाहिए |
आवे आम चाहे जाइ लेबदा | कम नुकसान का काम। नुकसान का डर नहीं। फायदा उठाना |
आंधराक जइसन दिन, तइसन राइत | मुर्ख के लिए अच्छा- बुरा एक समान। |
अध-अध कुंडी, महुआ गुंडी | कम मजदूरी देने पर काम भी कम ही होता है |
अघन महिनाँञ चुटरिक बीहा | संपति होने पर अहंकार हो ही जाता है |
अघन सुखे फुलल गाल फइर बहोरिया ओहे हाल | धन होने पर अहंकार करना, फिर तो पुराना हाल होना है |
अजावाइर लोकेक अजवाइर काम। | |
अनगरजुक बीहा, कनपटिएं सेंदुर | बेमन से किया गया काम |
अजवाइर सुखे गधा मेलान | बैठा बनिया क्या करता, इस टीन का माल उस टीन में करताफालतू काम |
अरजे भगवायं, खाइ धोतिआइ | अरजे कोई खाय कोई |
अघन मासें आकाल नासे। | |
अघाइल बोकली पोठी तीता | इच्छा पुरी होने के बाद अच्छी चीज भी बुरी लगती है। |
अरंडी बोने बिलाइर बाघ | मूर्खो के बीच कम जानकार भी ज्ञानी माना जाता है। अंधों में काना राजा |
आधा माघे कंबल काँधे। | |
अपने बाँझ तो परोसियो बाँझ | अपने ही तरह दूसरो को भी समझना |
आइग खाँव कि लुवाठी खाँव। | |
अनकर धाने बिकरम राजा | दूसरे के भरोसे घमंड करना, सेखी मारना। |
आठ एकड़ जोतलो खेत, आठो काठ नाइ छोड़ल सेठ। | |
आपन घरे कुकुर बरियार | क्षेत्र विशेष पर वर्चस्व, अधिकार |
आंधर गुरू बहिर चेला, गुर मांगे तो दे ढेला | अव्यवस्थित |
ओहरिक काम दोहरी। | |
अनकर चुका अनकर घी, पांडेक बापेक लागत की | मुफ्त की चीजें अच्छी लगती है। |
अंधार घरे गांदर-गुंदुर। | |
आगु नाथ ना पेछु पागहा | जिसके आगे पीछे कोई न हो |
अपने गेल, नौ हाँथेके पाघा लेले गेल | आप गये पर दूसरों को भी बरबाद किया |
एक माघे जाड़ नाज भागे | समय फिर आयेगा |
एगो हरॆ आर गोटे गाँव खोखी – | एक ही चीज पर सभी का भरोसा |
एके पुता चुल्हे मुता | |
एक आँखि काजर, एक ऑखि कोरा – | भेद-भाव का बरताव करना |
कुकुर भुकले की बदरी फाटे | कमजोर आदमी के जोरगर आदमी डरे नाज |
कानी गाइक बाभन दान | मुफ्त की चीजें कैसी भी हो, अच्छी लगती है। |
करिया आखर भइंस बराबर | मुर्ख के लिए अच्छा- बुरा एक समान। |
कामेक दाम हे चामेक नाज | उपरी दिखावे का महत्व नहीं है गुण का महत्व है |
काइल्हेक बनियाँ, आइझेक सेठ | |
काल्हुक बनिया, आझुक सेठ | अपने पुराने दिनों को भूलाया जाना |
खोजल गरू, बांधल हर ले बाछा | |
खेत खाइ गधा, माइर खाइ जोलहा | करे कोई भरे कोई |
खउ रे बेटा आइझ भइर, कुरइ मिलले देबउ फइर | |
गाँवेक जोगी जोगडा, आन गाँव में सिध | नजदीक की चीजें मूल्यहीन लगती है |
गुलगुल गाल, नरम गात, करते दिन देतउ भात। | |
गधाञ पिये घिटइर के | मूर्ख व्यक्ति थोड़ा देर से समझते हैं |
गाय ना गोरू, बिहान ले सुते हरू | गैर जिम्मेदार आदमी निकम्मा होता है |
गाँवेक कनिआइ सिंधन चटी | दूर की चीजें अच्छी लगती है |
गुरा फुटले दुख बिसरे | काम बन जाने के बाद उपकार याद नहीं रहता |
गीदर ले झुन-झुना भारी | कम मूल्य वाला वस्तु के लिए अधिक खर्च करना |
गोड़ नात्र चले कयराक भार | ताकत क्षमता अधिक काम करने की जिम्मेवारी लेना |
गुमन मुँहा सरबस नासे | चुपचाप रहने वाला कब धोखा दे दे कहना मुश्किल |
गाछे चढ़ाइ, फेड़े छेउ | आगे बढ़ाकर पीछे धोखा देना |
गाछे कठर ओठे तेल | अत्यधिक कल्पना की उड़ान |
गरजे से बइरसे नात्र | जो ज्यादा बोलता है, वह करता नहीं |
घमड़ल बदरी आर पन्हाइल दूध | |
घरें भुंजी भांग नाँइ देहरी में नाच | अत्यधिक फुटानी करना |
घारें भात तो बाहरेहूं भात | घर में सम्मान दे तो बाहर भी सम्मान मिलना स्वाभाविक है |
चाम सुंदर ना काम सुंदर | बाहरी सौंदर्य का महत्व नहीं, गुण का महत्व है |
चोरेक डरें भुइएं भात, दूधेक डाढल मठा कुँइक पीये | हानि के डर से काम न करना |
चरे गेली, चोथाइ भेली | लाभ की.जगह नुकसान |
चासा चिन्हाइ आइरें, तांती चिन्हाइ पाइरहे | काम से ही लोगों की पहचान होती है |
चोरेक आगू ताला, बइमानेक आगू केवाला | बेइमान लोगों के आगे सब बेकार |
चेका से डेरा हलों, तेतइर तर बास पइलो | जिससे डर गया वही सिर पर सवार हो गया |
चीन्हल चोर जान मारे | अपने लोग ही ज्यादा नुकसान करते हैं |
छुछुआ माइर हाथ गंधाइ | छोटा काम करके बड़ी हानि होना |
जेतना के मुरगी नाज ओतना पुदकाइ | फालतू खर्च |
जेतना के बबुआ नाज ओतना के झुनझुना | जरूरत से ज्यादा गैर जरूरी खर्च |
जनियाक अरजन, मरदाक नांव | |
जीओ-मोरो काम आर एक पइला धान | |
जखन पाँड़े बाबा बनलें, तखने काम काँचा करले। | |
जे करे पाप से सात छउवाक बाप। | |
जे करे पुइन तेकर ढीपा सुइन। | |
जेकर बांदर सहे नचावे | जो चीज का परिचित है उसके बारे वही कह सकता है |
जंदे भोज, तंदे सोझ | हर वक्त लाभ ही देखना |
झुर हिलइले बाघ डेराइ | कमजोर आदमी बोड़ लोक के कोनो बिगाड़े नाज पारे |
झार गुने झींगा, बाप गुने पुता | खानदान / वंश का प्रभाव पड़ता ही है |
टुटल गात, टुटल खाइट, एक – पतरी जूठा भात। | |
टिटहिंगेक भोरसे सरग टेकाई | कम की क्षमता वाले व्यक्ति का बड़ी जिम्मेवारी लेना पूरी तरह से अव्यवस्थित |
ढाकेक आगु बेनी बाजा | बड़े लोगों के सामने छोटे की नहीं चलती |
डहरे पइलों कमार-फार पाइन दे हमार | सामने देखने पर काम याद होना, नउआ देखले दाढ़ी बाढे |
देले वरदा खरी नाज खाइ, राइतें केल्हु चाहे जाइ | झुठा अहंकार करना, झुठा सम्मान पाने की काशिश करना |
दोनें-दोनें माँड पासे हिले कानेक सोना | |
दुरें हलइ बोर, कनिआइक माय पीपर बीछे गेल | जरूरी काम की पहचान नहीं कर पाना |
देस गुने भेस | समय में उपयुक्त काम किया जाना |
दूसले चीज बसे | जिस चीज़ को बेकार समझा जाता है वही समय पर काम आता है |
दूर के ढोल सुहावन | दूर की चीजें अच्छी लगती है |
देखले जनीया पितियान सास | परिचित का भी अपरिचित जैसा व्यवहार करना |
दस मिली करा काज, हारले जीतले नखइ लाज | मिलजुलकर किया गया काम अच्छा ही होता है |
धरा-बांधा बीहा, मन सदा सांधा | विवाह शादी में रजामंदी जरूरी कोई काम जबर्दस्ती बेस नाब |
धरले चोर नाज तो गगाइ मोर | पकड़े गए तो चोर नहीं तो साधु |
ढेइर /सांगी भेड़ी पोकाइ मोरे | बिना काम के लोगों की भीड़ परेशानी का कारण होता है |
निबरेक मउगी, सबके भउजी | कमजोर आदमी त्य सबके लिए धोखा का पात्र बनता है। |
नेवतल कुटुम बाघ बराबइर | आमंत्रित लोग सम्मान के हकदार होते हैं |
निरधनिया धन देखी, दिने देखे तारा | छोटे लोक ज्यादा अहंकारी होते हैं। छुद्र नदी मटी चली अकुलाइ |
निबराक मौगी सबके भउजी | कमजोर को सभी सताते हैं |
नाम गह-गह फेंचा राजा | ऊँची दुकान फीकी पकवान |
ना पाखन सीझे, ना मुरूख बुझे | मूर्ख लोगों को जल्दी बात समझ में नहीं आती |
पानी भरे से पियासे नाज मोरे | जो किसी की भलाई करता है उसका फल मिलता ही है |
पइरकल बभना घुइर-घुइर आंगना | आदत बुरी बला |
पाँड़े गेला घर, हिंदे-हुंदे हइर | |
पखल सीझेना मुरूख बुझेना | जिद्दी लोक अपनी ही बात पर अड़े रहते हैं |
पोसले कुकुर कटाहा | जिसे सबकुछ माना वही धोखेबाज निकला |
पोहनो चिन्हे बिहिनेक धान | अतिमहत्वपूर्ण व्यक्ति का स्वागत करना अनिवार्य है |
पौंधेकर सादा, ओढेकर सादा, जे निभे बाप दादा | सादा जीवन उच्च विचार |
पीठे माइर, मुंहे चुमा | विश्वास घात करना, मुंहे राम-राम बगल में छरा |
बछरे तीन मइहना काम आर भूखें सुखे चाम | |
बेल पाके तो कउआक बापेक की | अपनी क्षमता से बाहर की उम्मीद उचित नहीं |
बांस बोने डोम काना | ‘किंकर्त्तव्यविमूढ, किसको लें, किसको छोड़ें |
बइसाख मांसे बाभन हाँसे। | |
बइसी खइले नदीक बालुओ कम पड़े | बिना आमदनी के अनावश्यक खर्च उचित नहीं |
बाघेक अगुवा फेकाइर | आनेवाले विपत्ती की सूचना |
बारह राजपुत तेरह चुल्हा | विभिन्न मत |
बुढ़ा बिना घार नाज, काड़ा बिनु हार नाज | अनुभव के बिना काम नहीं चलता |
बापे पुत – प्राप्ते घोड़ा, कुछ न कुछ थोड़म थोड़ा | खानदान / वंश का प्रभाव पड़ता ही है। |
बीहा गेले झमड़े नाच | समय बीतने के बाद कुछ भी अच्छा नहीं लगता |
बोड़-बोड़ दादा बोहाइ गेला, गधा कहे कते पानी | बड़े-बड़े लोगों से समस्या का समाधान नहीं हुआ, छोटा आदमी हिम्मत करता है |
मंगनीक चीज चेको सवाद | मुफ्त की चीजें जैसी भी हो अच्छी ही होती है |
मरले बइद बेचले गहकिया | समय पर काम का न होना |
माछी खोजे घाव मुदइ खोजे दाव | दुश्मन से सावधान रहना चाहिए |
रिन कइर काने सोना | दिखावा करना |
रइन के पाछू भोज के आगू | काम के समय 3 पीछे लाभ के समय आगे रहना |
लधे घास ठोंगे पानी | बेमन से काम करना |
हाव ढ़ाव करे बढ़नियां, फुइक मार पीए कमहरनियाँ | |
हुरसाक पिंधना ढीढ़ा उपर | जबरदस्ती काम करना अच्छा नहीं |
सुमेक धन सैताने खाय | कंजूस की सम्पत्ति का सदुपयोग नहीं होता |
सोनारेक सउ तो लोहारेक एक | बड़े लोगों का बदला जबरदस्त |
सइ परासेक तीन पात / ढाक के तीन पात | कोई बदलाव नहीं, फिर वही पुरानी बात लेकर बैठना |
हरदीक रंग परदेसीक संग, एके रकम | आसानी से प्राप्त चीजें टिकाउ नहीं होती |
हंसुओ चिन्हे मरंडा | कानून सबके लिए बराबर है |