खोरठा भाषा का वर्ण विचार

 

  • वर्ण को अक्षर (आक्षर ) भी कहा जाता है।
  • खोरठा में वर्ण के दो रूप 
    • स्वर वर्ण – 8 स्वर वर्ण
    • व्यंजन वर्ण – 

स्वर वर्ण : 

  • उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। 
  • स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। 
  • हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। लेकिन खोरठा में 8 स्वर वर्ण है 
  • हिन्दी भाषा में ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि।
  • खोरठा में 8 स्वर वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ए,ओ,
    • हिन्दी स्वर के वर्ण जिन्हे खोरठा में शामिल नहीं किया गया –  ऋ, ऐ, औ
    • खोरठा में ऋ को री लिखते है। 
      • जैसे – ऋषि – रिषी , ऋण – रिन 
    • खोरठा में ऐ को अई लिखते है। 
      • जैसे – ऐंठ – अईठ , थैला – थइला  
    • खोरठा में औ को अउ  लिखते है। 
      • जैसे – औजार – अउजार

स्वरों के भेद

  • ह्रस्व स्वर – अ,आ,इ,उ
  • दीर्घ स्वर -आ ,ई,ऊ,ए,ओ

 

व्यञ्जन वर्ण : 

  • व्यञ्जन वर्ण का प्रयोग वैसी ध्वनियों के लिए किया जाता है जिनके उच्चारण के लिये किसी स्वर की ज़रुरत होती है। 
  • ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अङ्ग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है। 
  • जब हम व्यञ्जन बोलते हैं, हमारी जीभ मुह के ऊपर के हिस्से से रगड़कर उष्ण हवा बाहर आती है।
  • खोरठा में व्यञ्जन वर्ण : 31 
    • मूल व्यञ्जन वर्ण – 29 
      • कण्ठ्य – क ,ख ,ग ,घ 
      • तालव्य – च ,छ ,ज ,झ ,ञ
      • मूर्धन्य – ट ,ठ ,ड ,ढ़ 
      • दन्त्य – त ,थ ,द ,ध ,न 
      • ओष्ठ्य – प ,फ ,ब ,भ ,म 
      • य, र ,ल ,व ,स ,ह 
    • उप व्यञ्जन वर्ण – 2 ( ड , ढ़ ) 
  • व्यञ्जन वर्ण धवनि संख्या – 35 
  • खोरठा में ङ , ण,श ,ष,  शामिल नहीं है।  
    • खोरठा में ष के बदले स या ख का प्रयोग होता है। 
      • जैसे – विष – विस या विख 
  • हिंदी के संयुक्त व्यंजन का प्रयोग खोरठा में नहीं होता है। 
    • क् + ष = क्ष (क्ष के जगह खोरठा में प्रयोग  – छ , च्छ ,क्छ,ख  )
    • त् + र = त्र (त्र के जगह खोरठा में प्रयोग  – तर  )
    • श् + र = श्र
    • ज्ञ (ज्ञ के जगह खोरठा में प्रयोग  – गेय ,ग , गिय , गिअ ,इग   )