हुण सर्ग दामुदेरक कोराञ् HUN Sarg Damuderak Koran Shivnath Pramanik FOR JSSC JPSC

 हुण सर्ग दामुदेरक कोराञ् HUN Sarg Damuderak Koran  Shivnath Pramanik FOR JSSC JPSC

 Damuderak Koran  Shivnath Pramanik FOR JSSC JPSC

दामुदेरक कोराञ्  शिवनाथ प्रमाणिक

khortha (खोरठा ) For JSSC JPSC 
KHORTHA (खोरठा ) PAPER-2 FOR JSSC

दामुदेरक कोराञ्

दामुदर नदी की गोद में 

अध्याय – 4 : हुण 

  • इस अध्याय में अंकसर में हुण सेनापति मिहिरपाल द्वारा आक्रमण किए जाने का वर्णन है। 

  • हुणों का प्रतिरोध कमलकेतु एवं सरंची द्वारा किया जाता है भारी लड़ाई होती है। अंततः सरंची कमल हार जाते हैं हुण विदेशी लुटेरे थे। 

  • वे अंकसर में भारी लूट-पाट करते हैं और भाग जाते हैं। 

  • कमलकेतु अपनी हार का कारण आदिवासी और सदानों के बीच आपसी फुट को बताता है। 


हुण

माँय-कोखीं ले माटिक कोरायं  

सिखें माँय-कोरवा भाखा। 

परें आपन मानुस चिन्हें 

माटिक नाता-गोता।।


माटिक रइखा, भाखाक रइखा 

माटी ले बनल मुलुक। 

मुलुकेक रइखा, संस्कीरतिक रइखा

फरहर देस जइसन सालुक ।। 


बिरसा, सेख सिधू-कन्हू 

तिलका आर परताप। 

माटिक रइखा खातिर बिसनाथ 

बिदेसिक डिकरवल बाप।।


देसेक खातिर सहीद भेला 

कइली-सिनगी-चम्पा नारी। 

जान देला माटिक खातिर

कि परगनिया, कि गोलवारी ।। 


मान करे हवत माँय, माटिक 

मातरीभाखा आर मानुस के।

 कोऽड़ करे हवत आपन 

माटिक-मनि आर धनुस के ।।

रोपा -डोभा मासेक परे 

धरती-माँयेक पइरधन हरिहर। 

धानेक-पोहा भदरिया गावे 

रसिकेक मन भेल फरहर।।


बोने सयान बेटी छउवाक 

राग-रंग रीझे। 

करमा परब आइ गेल

बोनेक माँझे-माँझे ।। 


करमेक गीत गुंजे लागल 

नदी-नाला आर पोखराज।

 करम डाइर बड़ी हुइवें 

गाइड़ देला मांझ आखराज ||


बनबालिका करम परेमी 

करम बनबासिक संस्कीरति । 

करम झारखंडी पोरोब

बोनेक सुंदर नीति ।। 


झींगाफूल, करबरी, चिलुम 

टोकटोयाँ, सालुक फूले । 

सइज गेल करमाक आखरा 

बेलंदरी आर गेंदा फूले ।।


लहलह करें जावाडाइर 

मह-मह करे जुही। 

चह-चह करे बनसुंदरी

गह-गह करमाञ चाही।। 


माँदइर आर बाँसुरिक सुरें 

झिंकाझोइर झुमइर लाइग गेल ।

 रंगचागिया बाँका-रसिक 

आनंदेक लहरें माइत गेल ।।


कमल केतुक बंसुरिक सुरें 

बनबालिका रीझ गेली। 

रीझ गेली सरंची बाला 

तने-मने गदगद भेली।।


धप-धप इंजोरियाक राइतें 

आखरा गहगहाइ गेल। 

कमलकेतू-सरंचिक जोड़ी 

आखराज महमहाइ गेल ||


सरगे चाँद हाँसे लागल 

मदरस चाँदनी बइरसे लागल । 

धरतिक मन गदगदाइ लागल

बोनें करमा जागे लागल || 


सिंरिंगार रसें डुइब गेल 

बाँका-रसिक बनबाला। 

झिगाफुलिया रसें माइत गेला 

कमलकेतू-सरंची बाला ||


तीन पहर राइत बीतल 

आनंदेक लहरें। 

हाइचकिया-हुलमाइल भेल

दामुदरेक डहरें।। 


गुप्त कुलेक डाइर फुटल 

दामुदरेक कोरात्र । 

हाड़पा बाने “हुण” नाँभल 

घात मारल गाछेक गोड़ाय  ।।


उपर कोइठला फोरल नियर 

भरखर भदरिया झुमइरें। 

कहाँ ले अइला पापी

भूर कइर देला मांदइरें।। 


कहाँ ले अइला “हुण” 

मलेछ तरू ओकर जाइत। 

मार काट छीना-छोरी 

ई बिदेसिक एहे माँइत ।।


मिहिर कुल मुलुके हेलल 

हुण दलेक सेनापति। 

बेरंडो अइसन आइ गेल

देसें फूट पावल जुती ।। 


हमला बोलल हुणेक सेना 

कालकेतू अकबकाइल। 

आपन गाढ़ी डुबल देइख 

बोनेक-बासी अकचकाइल।


सरदार के हुकुम भेल 

राती चहँइट गेल सेना। 

पहिल हमला गढ़ेक उपर

छीने लागला हीरा-सोना।। 


मुरती-भंजक हुन जाइत 

तोड़े लागला मंदिर। 

गढ़-महल तोड़े लागला 

उजारे लागला सिंदुर।।


मार-काट हवे लागल 

कते मानुस मोरे लागल। 

पसु-पंइखी भागे लागला.

खुइनेक नदी बोहे लागल ।। 


चेचकाक चंचला मंदिर 

सकति माड़ा अंकसरेक 

बौद्ध के बिहार टुटल 

हीराक-भंडार लुटला घरेक ।।


“बुद्ध शरण गच्छामि 

धम्म शरण गच्छामि ।।

बिहार से साड़ा उठल 

संघं शरणं गच्छामि।।”

.

महुवाक बोने गोंठइका हिन्दे 

ताताताही आदिवासी 

माटिक रइखा खातिर

किरिया खइला बनबासी 


गोंठाइके जनी मरद

 धरला धुनुक काँड़। 

बजे लागल ढाक-ढोल 

छुटला जइसन साँढ़।।


जगवे लागल कमलकेतू 

बोनेक पइत आदिबासिक। 

चोंख-चोंख काँड़ झलके

पीठे बीर सरंचिक ।। 


आदिबासी बीर जनिक 

सरंची भेली नइया। 

बोनेक बीर मरदइन के 

कामलकेतू खेवइया ।।

राजाघरेक मेढ़ाइल सेना 

एक बेर डाँडाइ गेला। 

निझाइल पहिल दीया जेरंग

एक बेर भभइक उठला ।। 


आदिवासी सेना लइ 

सरंची-कमल हमला करे। 

जते हँथियार हुन राखथ 

तते नाय  आदिवासिक जोरें।


तावों बीर बोनेक बासी 

झर-झर काँड़ छोड़े। 

पंगबल अइसन काँड़ छुटे 

पेछु नाय मोहड़े।।


माटिक रइखा खातिर बननासी जान लगाइ देला। 

परदेसी हुन-सेना उपर जोरगर हमला कइर देला ।।


बोवाइर माछ जेरंग टुटे 

पोंठी-गरइक उपर। 

बीर सरंची सेरंग छुटे

हुन सेनाक उपर ।। 


कमलकेतू जुइध करे चेरइ-चुनगुनी हुन सेना। 

जोर से झपट्टा मारे गरूड़ेके जइसन डेना ।।


मरे लागला कते हुन 

सरंचिक छुटक बाने। 

गरजन करे रन चंडिव

ठेर चमके घने-घने ।। 


चाँड़-माँड़ जते पारला हुने धन लुइट लेला। 

कमल-रंचिक जोड़ी हुन के फेन बोकलाइ देला ।।


धधर-पिछर भाइग गेला 

जीउ लइके हुन-सेना। 

मेतुक, राजाक लुइट लेला

हीरा-सोनाक खजाना ।। 


डीड़ा ढीपा-नास भेल खंगइट गेल महल 

अइसन बिपइत घइट गेल आर नाज जाइ कहल।।


उमादित्येक देल गोड़िक 

परदेसी हिलाइ देला। 

चिती लागल बलम-टांगी

कते-कते टुइट गेला ।। 


खखसल, खंगटल राजाक गढ़

हेने-तेने भइ गेल। 

धन-दौलइत, टाका-कौड़ी 

बिदेसी सब लुइट लेल ।।


सब बुइध, बयाध भेल 

कालकेतुक खयानत भेल । 

बापेक संगे कमलकेतुक

आर सरंचिक भेट भेल ।। 


पाँइख काटल सुगा तरी कालकेतुक दसा। 

फुटानी सब चूर भेल रहल खाली गोसा ।।


डाइर-पात पांगल सरइ 

जेरंग हवे झुनगी। 

कालकेतुक महल वइसने

बँचल खाली फुनगी ।। 


सोसान घाटेक सलसँत दामुदरेक कारपत्र भेल | 

लहलहाइ उठल बोनेक पोहा मुदइ, लाइतें गाँइज गेल ।।


सियार कांदे हुँडार, हुँडरे हिन्दे-हुन्दे। 

सँउसे बोन डरडरान भेल सपइट गेल


झार बोने, गडहें-नलें मुरदार भेला पाथाइर। 

सियार-कुकुर मांस नोचे चील-गीधेक भेल बतर।।


राइत भेलें गाँवेक बासी 

काँड-धनुक लइ जाथ आखरा । 

तितकी-लुआठी लइ बुले

परे लागल गोटे पाहरा ।। 


कामलकेतू आर सरंची राइतें घोड़ा लइके। 

घुइर-घुइर पहरा देथ बन-महल जाइके।।

बिहान भेल परे सब 

नाना रकम कथा भेल । 

केउ कहे राजाक दोसें

हमनिक अइसन दसा भेल ।। 


बेदेक बांभन बाँचे लागल ई तऽ सकति मायेक किरपा। 

सरमन सब बखान करेतथागतेक ई हाड़पा ।।


धुमाबइद कहाँ उड़ल 

बुजरूग कहाँ गेला ? 

केउ बके धुमाक सरापे

बोने मलेछ समइस गेला। 


थिर मने समझावे लागल बनबासिक अकुतें। 

उकित करल कमलकेतू माटिकेर सपूते ।।


“दिकू-होड़ेक फुटेक कारन 

मुदइ हमला बोइल देल । 

आदिक माइल जनम थाने

परदेसी लाइथ गाइज देल” || 


घाव खाइल बनबासिक सेवा करे कमलकेतू। 

ओसध पीसे सरंची बाला घावाहाक दिये हेतू ।।


केउ कांदे छाती पीट 

ककरो ढरके लोर। 

सरंचीबाला ढाढ़स दे

हिमइल करे जोर ।। 


मने-मन सरंची बाला कहे-जुगुत चाही। 

आगु दिनेक दुखेक सवॅइ बेस भमिसत चाही।।


आँधी अइसन हुन सेना 

आइ गेला हमर देसें। 

चोंगइर-चोगइर सोना-हीरा

लइ गेला धमक से।। 


दामुदरेक हाड़पा अइसन 

हड़इप लेला हमर धन 

आपन गाड़ी चलाइ देला 

दहंजल हमर गाढ़िक जन ।।


भिनु-भिनु भात राँधे भिनु चुल्हाक हाँड़ी। 

सइ लेल बिदेसी लुटला ।। हमर धोती-साड़ी।।


सँउसे मुलुक लुटाइ गेल भिनु राज चलवइयाक। 

राजनीति ‘राज’ रहल नीति फुराइल फुटवइयाक ।।


हमर देसें ई रजवइन के 

तावो चेत नाज परल । 

घरे-घरे मेकामेकी

गोतियाञ टुइट परल ।। 


अइसन रजवइन के डुइब के | 

ढकनिक पानी मोरे चाही। 

माटिक मात्र जे माने नात्र 

धरम-जातिक करे खरखाही ।। 


कमल-सरंची खोइज बुलथ, पेंचटे ले बेमुत के। 

कहाँ गेल कंदे भागल, टोवइ हुन कपूत के ।।

SARKARI LIBRARY
AUTHOR : MANANJAY MAHATO

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