गोहाइल परब (Gohail Parab)

5. गोहाइल परब श्री ए. के. झा

  • पुस्तक – खोरठा लोकसाहित्
  • प्रकाशक – झारखण्ड जनजातीय कल्याण शोध सस्थान ,मोरहाबादी ,रांची ,कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार 
    • प्रथम संस्करण – 2012   “©www.sarkarilibrary.in”
  • संपादक – 
    • प्रधान संपादकए. के. झा
    • अन्य संपादक
      • गिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी 
      • दिनेश दिनमणि
      • बी एन ओहदार
      • श्याम सुन्दर महतो श्याम 
      • शिवनाथ प्रमाणिक
      • चितरंजन महतो “चित्रा’
  • रूपांकनगिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
  • मुद्रक – सेतु प्रिंटर्स , मोरहाबादी ,रांची 

 

KeyPoints – बराकर नदि, बोन,गोरखिया,  “©www.sarkarilibrary.in”

बहुत दिनेक बात लागे । बराकर नदिक धाइरें रह-हलइ एगो बड़ी डागर चाकर बोन। बड़ी फइलगर, बड़ी ओसार। नदी धाइरें सइये बोनवाँ ठिने माड़ल हला कुइछ लोक । ओहे सभेक मइधें रहे एगो कमनिहार गोरखिया । एक दिन जखन ऊ नदी धाइरें रहे तखन देखलइन कुछ बोनेक डांगर के । ऊ डांगर गुलइनेक पोसवइया केउ नाँइ । बोन्हीं रहथ आर बोन्हीं चरथ। ऊ डांगर गुलइन संगें लेरू आर फेटाइन हल्थींन- सब भुसुरमुँड़ । गोड़ ले मुड तक आर बुकु ले बिसी तक धुरा माखल आर कादा लागल ।

ऊ गोरखिया ऊ गुलइन के धोइ-धाइ के रगइद-हँसइत के एकदम सफा कइर देलइन । सोब लेरू आर फेटाइन चिकचिकाइ-चमके लागला । फरीछ आर हलुक गात भेल में कुछ तो पिदके आर तारनायो लागला । ततके बोनवाँ ले ऊ लेरू-फेटाइन गुलइनेक माँइ गुलइन हमलइले नांभे लागलल्थिन । बोनेक गोरू-डांगर बड़ी मरखँड़ । पाछे झाइल मारब्धिन, ढूँसा-ढूँसी करब्थिन । एहे भाइभ के गोइरखवा एगो गाछे चइघ के नुकाइ रहलक ।  “©www.sarkarilibrary.in”

सोब बोनेक डांगर आपन छउआ गुलइन के फिट, सफा आर सुन्दर देख के बड़ी खुस भइ गेला । गाछ उपरें बइसल गोइरखवा नललइ जे सब डांगर गुलइन हिंदे-हूंदे चाकार- चुकुर थनवे लागल हथिन। गोइरखवाक बुझइलइ जे के जान सब डांगरवइन खुसिक मारी ओकरां देखे खोज-हथिन । के जान सब डांगर लेरू-गोरू ओकरा डाक-हथिन । के जान लेरू-फेटाइन गुलइन के सफा-सुफा करवइया टाक उपर डांगर गुलइन बहुत रीझ गेल हथिन ।

एहे गुलइन भाइभ-गुइन के गोइरखवा गछवा ले नांभलक । ओकराँ देखइथीं लेरू-तेरू गुलइन ओकराँ चाइरो धाइर ले खुसी मने

 बेहवे लागल्थिन । आर तबे बोड़ डांगरो गुलइन । जे रकम कि सभीन मिल  के ओकर आबदार सवागतें माइत गेले हथ । तखन गोरखिया टाक हिमइत बाढ़लइ । सब डांगर के टेकले टाकले ऊ लइ आनलइन आपन घार ।  “©www.sarkarilibrary.in”

गोइरखवा घरें आइल बाद सब डांगर गोहाइलें बड़ी मजा से रहे लागला । सुधे समइ – सिरें पात- पाल्हा, घाँस-पोंरा गोहाइलें दइ दे। रोइज बड़ी चनफने आर छलछली दूध दुहे आर हिंका ले खाय-पीए । पाँचें-सातें डांगर गुलइन के ढोढ़ा बाटें लइ जाइ। हुआँ सब डांगर छप-छप छापइर खेलथ । जाउ ले आन डांगर गुलइन के गोइरखुवा रगइद-घँइस के नहवे, ताउले बाकी सब गुलइन पानी छापइर खेलथ ।

अइसने दिन-काल होते-होते भादर मइहना सिराइ गेलइ । गोड़ा धानेक बाइल झलकलइ । तकर बादें धान पाकियों गेलइ । तखने ऊ गोरखिया-किसान धान काइट के बीड़ा बांधलक। तब आपन खरिहानें आइन के माड़ा घुराइ के, आखइने उटइक – पाटइक कें माड़ा खिजवल। तब धान धुइख धाँइख के चाउर कुटल आर खीर बनवल । दुध-चारेक पीठो बनवल । मेनेक डांगर गुलइन के खाइ ले देलइन छुछे धानेक नारा आर पॅवरा

तखन ऊ गोरखिया – किसानेक ई चाइल देइखके डांगर गुलइनेक भीतर टा चिरबिराइ उठलइन । ऊ सब करें-करें बोनवें बाटें डिहरे लागला आपन्हीं । गोरखिया- किसानेक बड़ी फरदवाइ। अब डांगर गुलइन के घुरवे जाइ तो घुरेहे नाँइ खोजथिन। पेछु बाटेले माटी-धुरा आखराइ के फोदी उड़ाइ देथिन । आगु बाटें गेलें तारनाइ के ढुँसे ले दउड़वथिन । तखन गोइरखवा बुझे पारलइ डांगरवइनेक रागेक ओजह टा।  “©www.sarkarilibrary.in”

ऊ धड़फड़ाइ के घर घुइर अइलक। ऊ बुझ गेल जे ऊ सुधे आपन पेट-पोरोबे मनउलक । गोहाइल पोरोब नाँइ मनउलक । गरु-डांगरेक मदइतें आबाद उपजवल । मेनेक डांगर राइग गेल हथिन । फल एकाइ आपने तुबल । सइ ले ऊ आरो कुछ खीर-पीठा बनवे ले घरें कहलइ । तबे चाँड़-चपट झालाक–झुलुक बाइल वाला बाइद खेंतें गेलक । हुआँ बाइल सहिते कुछ नारा चौंथल। आर सइ गुलइनें सुंदर-सुंदर, आबगा – आगा मडुवइर बांधल । तब धुप–धुना, खीर- पीठा, गोरया आर मडूवइर लड़कें दउड़ा-दउड़ी डांगर गुलइन ठीन गेलक । जाइके आगु बाटे गोरइया गाइड़ देलइ। आर सब डांगइरवइन के मडुवइर बांइध के, धुप-धुमना लइके धुइर-घुइर सबके खीर-पीठा खाइ देलइन । डांगरवइनो फइर तइसने कोऽड़ करे लागल्थिन । तखन ले बराबर घाटवार के डाइक के गोरया गाइड के सोहराइ नेग आर पोरोब मनवल जाहे ।

  • Q.गोहाइल परब लोककथा में  कौन नदीक जिक्र केरल गेल है ? बराकर नदिक
  • Q.गोहाइल परब लोककथा में बराकर नदिक धाइरें गोरखिया कि  देखलइन ?  बोनेक डांगर 
  • Q.लेरू कौन रकम संज्ञा लागे ? 
  • Q.फेटाइन कौन रकम संज्ञा लागे ? 
  • Q.फेटाइन के अर्थ होव है ? गाय के बाछी   “©www.sarkarilibrary.in”
  • Q.लेरू आर फेटाइन के, के धाइ के रगइद-हँसइत के एकदम सफा कइर देलइन ? गोरखिया 
  • Q.बोनेक गोरू-डांगर के डर से गोरखिया कँहा नुकाई गेले ? गाछे चइघ के
  • Q.सब डांगर के टेकले टाकले बोन से खेदी के आपन घार के आनलइन ? गोरखिया
  • Q.गोरखिया – किसानेक से राग के की ले  डांगर गुलइन बोनवें बाटें डिहरे लागला ? क भीतर टा डांगर गुलइन के खाइ ले देलइन छुछे धानेक नारा आर पॅवरा ओहे खातिर 
  • Q.सोहराइ नेग कर सुरुवात कइसन भेल कौन लोककथा से पता चला है ? गोहाइल परब  “©www.sarkarilibrary.in”

 

 

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