मुस्लिम लड़कियों का नाम फातिमा क्यों रखा जाता है ? फातिमा कौन है

 मुस्लिम लड़कियों का नाम फातिमा क्यों रखा जाता है ? 

फातिमा कौन है

फातिमा की बेमिसाल जिंदगी

  • पितापैगंबर मुहम्मद

  • माता – खदीजा (इस्लाम स्वीकार करनेवाली पहली महिला)

  • फातिमा पैगंबर की सबसे छोटी बेटी थी

  • पतिखलीफा हजरत अली

  • पुण्यतिथिरमजान मुबारक की तीसरी तारीख को

  • इस्लामिक इतिहास में पैगंबर मुहम्मद (स) की पुत्री, खलीफा हजरत अली की पत्नी, हजरत हसन व हुसैन (रजि) की मां 

  • फातिमा जहरा की पुण्यतिथि रमजान मुबारक की तीसरी तारीख को है. 

  • पैगंबर मुहम्मद (स) के वफात के छह माह बाद तीन रमजान 11 हिजरी (632 ई.) को मंगलवार की रात में उनका निधन हुआ. 

  • पैगंबर की पुत्री होने के बावजूद उन्होंने वैवाहिक जीवन घोर आर्थिक संकट में बिताया, लेकिन कभी उफ्फ तक नहीं किया. 

  • अपनी इबादत, समर्पण, मानवता के समस्त गुणों से पूर्ण होने के कारण वह एक आदर्श नारी के रूप में विख्यात हैं. 

  • मक्का में जब पैगंबर (स) पर जुल्म का पहाड़ खड़ा किया गया, फातिमा हर कदम पर पिता के साथ डटी रहीं. 

  • आज भी दुनिया भर के मुस्लिम बालिकाओं में फातिमा अत्यंत प्रचलित नाम है.

  • फातिमा की मां खदीजाइस्लाम स्वीकार करनेवाली पहली महिला थी. 

  • मक्का में जन्मीं फातिमा का लालन-पोषण स्वयं पैगंबर की देखरेख में हुई. 

  • बकौल पैगंबर देवदूत जिब्राइल (अ) के कहने पर पुत्री का नाम फातिमा रखा गया. उन्हें जहरा, बतूल, मुहदिसा, सिद्दीका, सय्यदुन निसा आदि नामों से भी पुकारा जाता है. 

  • फातिमा से निकाह के इच्छुक हजरत अबूबकर (प्रथम खलीफा)और हजरत उमर (द्वितीय खलीफा) भी थे, लेकिन ईश्वरीय आदेशानुसार पैगंबर ने उनका विवाह हजरत अली से कराया. 

  • यह एक आदर्श विवाह था. जिसमें अत्यंत सादगी को अपनाया गया था. शादी के समय हजरत अली की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. उन्होंने अपने सामान को एक यहूदी के पास गिरवी रखकर वलीमा(शादी की दावत)  का प्रबंध किया. 

  • फातिमा के चार संतानों में हजरत हसन, हुसैन, पुत्री जैनब और उम्मे कुलसुम शामिल हैं. 

  • फातिमा पैगंबर की सबसे छोटी बेटी थी और सबसे चहेती भी. 

  • उनकी जिंदगी सहनशीलता से भरी पड़ी है. घोर आर्थिक तंगी के बावजूद इबादत में कोई खलल नहीं पड़ता. रात में अल्लाह की इबादत में लीन रहती. खड़े होकर इतनी नमाजें पढ़ती थीं कि पैरों में सूजन आ जाता. कई बार भूखे सोने को विवश होना पड़ता. पर कभी धैर्य नहीं खोया. नियमित रूप से महिलाओं को शिक्षा देती रही. 

  • इतिहासकार हसन बसरी ने स्टीक कहा-पूरे मुस्लिम समाज में हजरत फातिमा से बढ़कर कोई जाहिद, संयमी व तपस्वी नहीं है. 

  • फातिमा (रजि) की कब्रमदीना स्थित कब्रिस्तान जन्नतुल बकीह में है.

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