सोवाइल झरना कविता तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक
You are currently viewing सोवाइल झरना कविता  तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक

सोवाइल झरना कविता

तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक 

देख देख देख नजइर गावचाइ देख फेर ई पाहार कोचाक गासा ले जरकल , सांवाइल जनम लेल एगो झरना । बुद्धकेक आस पुरवे खातिर बिरसाक उलगुलान जगवे खातिर मुक्तिक डहर खोजे ले सोंझाइ गेल झरना । उठाने – नाभाने गिरल – बजरल कांटा – कुसा उखारल जनसकतिक मोहड़ा लइ चलल चलते चलल । टोंटवासल मानुस के पियास मेटवल गीत गावल निराधार चलल नजीके चहटे ले ई जनसकतिक अंटकवेले जुइटगेला , खाकी – खादीधारी मुदा , भेला हतास । अबें कोरसिस करता गनेस आर ओकोर मु किले ना कि ओते दोरेक कि काम ? 

भुँइये माटिक भगवान बनाइ आर चाइरो बाट घुइर जिता तीनो लोकेक जातरावा करता आर सोना – चांदिक मेडलो पइता किले ना ! कि भगवान बनेक आर बनवेक हामर देसे बड़ी जोर आखिर खड़ता कइसें ई सब तो कोरही परेक अरजन खाइल हिंसकाइल आर जानथ सलाम करेले फेर अड़गुड़ देखा मुसा महराज खइता तो कमें मुदा , धाने – कपासें एक करता एकरी कहथिन मु दांत जइसे पाजाइ आर चोखाइ कि एक दिन गनेसेक दांतो से ओकोर दांत बोड़ भइ जाइत कि तावो दुइयो दलाल से झरना अटक जाइत

4 : सोवाइल झरना कविता

तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक

भावार्थ – झरना यहां झारखण्डी जनता की चेतना, जीवंतता का प्रतीक है। चूहा/मूसा गैर झारखण्डी तत्वों ने आज झारखण्ड के विकास रूपी इस झरने को अवरूद्ध कर रखा है। झारखण्डीवीरों को भगवान बनाकर आंदोलन कारी वृति को कुंद करने की विभिन्न युक्तियों से बिरसा के आंदोलन की ध र को बाधित कर रहे हैं। आज जरूरत है, बाहरी चूहे के दांत से भी तेज दांत बनाने की ताकि वे विकास का मार्ग अवरूद्ध न कर सकें।

khortha for JSSC
khortha for JSSC

Leave a Reply