करम पर्व क्यों मनाया जाता है और इसको मनाने का वैज्ञानिक कारण के बारे में जाने ?
करम पर्व मनाने के पीछे की कहानी
करमा
- यह प्रकृति संबंधी त्योहार है।
- त्योहार का संदेश – कर्म की जीवन में प्रधानता
- भाई के जीवन की कामना हेतु बहन द्वारा उपवास रखा जाता है।
- यह भाई-बहन के प्रेम का पर्व है।
- पर्व का आयोजन – भाद्रपद (भादो) माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को
- त्योहार का नृत्य के मैदान (अखड़ा) – करम वृक्ष की दो डालियाँ गाड़ दी जाती है
- पाहन द्वारा लोगों को करमा कथा (करमा एवं धरमा नामक भाईयों की कथा) सुनायी जाती है।
मुण्डा जनजाति में करमा की दो श्रेणियाँ हैं:
राज करमा – घर आंगन में की जाने वाली पारिवारिक पूजा
देश करमा – अखरा में की जाने वाली सामूहिक पूजा
- मुण्डाओं में मान्यता है कि इस पर्व के दौरान करम गोसाई से मांगी गयी हर मन्नत पूरी होती है।
- मुण्डा जनजाति की कुंआरी लड़कियाँ इस पर्व में सात प्रकार के अनाजों की ‘जावा’ उगाने की प्रथा का पालन करती हैं।
करम पर्व मनाने के पीछे की पहला कहानी :
- इस पर्व को मनाने की पीछे पौराणिक कथा कर्मा और धर्मा नामक दो भाईयों से जुड़ी है।
- कर्मा और धर्मा दोनों भाईयों ने अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान को दांव पर लगा दिया था।
- दोनों भाई काफी गरीब थे। उनकी बहन बचपन से ही भगवान से उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती थी। बहन द्वारा किए गए तप के कारण ही दोनों भाईयों के घर में सुख-समृद्धि आई थी।
- इस एहसान का बदला चुकाने के लिए दोनों भाईयों ने दुश्मनों से अपनी बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दी थी।
- इस पर्व की परंपरा यहीं से मनाने की शुरुआत हुई थी।
करम पर्व मनाने के पीछे की दूसरा कहानी :
- इस त्योहार से जुड़ी दोनों भाईयों के संबंध में एक और कहानी है। जिसके मुताबिक एक बार कर्मा परदेस गया और वहीं जाकर व्यापार करने लगा । बहुत दिनों बाद जब वह घर लौटा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई धर्मा करम डाली की पूजा में लीन था ।
- धर्मा ने अपने बड़े भाई के लौट आने पर कोई खुशी जाहिर नहीं की। इससे कर्मा क्रोधित हो गया और करमडाली, धूप, नैवेद्य आदि को फेंक दिया और भाई के साथ झगड़ने लगा। मगर धर्मा सबकुछ चुपचाप सहता रहा।
- वक्त बीतता गया और कर्मा की सारी सुख-समृद्धि उसके कृत्य के कारण समाप्त हो गई।
- आखिरकार धर्मा और उसकी बहन ने देवता से प्रार्थना किया कि उनके भाई कर्मा को क्षमा कर दिया जाए। दोनों की प्रार्थना ईश्वर ने सुन ली और एक रात कर्मा को देवता ने स्वप्न देकर करमडाली की पूजा करने को कहा। कर्मा ने ठीक वैसा ही किया और उसकी सारी सुख-समृद्धि वापस आ गई।
- हालांकि कर्मा-धर्मा से जुड़ी कई और कहानियां भी प्रचलित हैं। आधुनिकता के तमाम तामझाम के बावजूद इस पर्व की गरिमा आज भी बरकरार है।
करम पेड़ की डाल की पूजा का वैज्ञानिक कारण
- करम पेड़ ऐसा पेड़ है जो 24 घंटे कार्बन डाइऑक्साइड को खींचता है और 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है।
- कर्म पर्व के दूसरे दिन भेलवा पेड़ का डाल खेतों में गाड़ा जाता हैं क्यूकी भेलवा एंटीबायोटिक होता है, जिसके कारण धान में कीड़े नहीं पड़ते हैं।