वचन का अर्थ एवं परिभाषा
वचन का अर्थ होता है, ‘कहना’ या ‘बताना’ ।
व्याकरण में इसका प्रयोग ‘संख्या बताने’ के लिए किया जाता है।
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का ज्ञान हो, उसे वचन कहते हैं। जैसे- एक, दो आदि।
वचन के भेद
वचन के दो भेद होते हैं
(1) एकवचन
(2) बहुवचन।
एकवचन – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से एक व्यक्ति या वस्तु का ज्ञान होता है, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे- घोड़ा, बच्चा आदि।
बहुवचन – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से दो या दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का ज्ञान होता है, उसे बहुवचन कहते हैं।
जैसे- घोड़े, बच्चे आदि।
सदा एकवचन में प्रयोग किये जाने वाले शब्द
कुछ संज्ञा शब्दों का प्रयोग सदा एकवचन में किया जाता है।
जैसे- सोना, लोहा, पानी, वर्षा, आकाश, घी, दूध, मक्खन, भीड़, जनता आदि। वर्षा हो रही है। दिव्यता ने एक किलो मक्खन खरीदा।
धातुओं के नाम का प्रयोग सदा एकवचन में किया जाता है।
जैसे -सोना, लोहा, चाँदी आदि।
तेजस्विनी सोना खरीद रहीं है।
भाववाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में किया जाता है।
जैसे- संतरों में मिठास है।
प्रत्येक’ तथा ‘हरएक’ शब्द का प्रयोग सदा एकवचन में किया जाता है।
जैसे- प्रत्येक व्यक्ति वहाँ चलेगा।
सदा बहुवचन में प्रयोग किये जाने वाले शब्द
कुछ संज्ञा शब्दों का प्रयोग सदा बहुवचन में किया जाता है।
जैसे – लोग, दर्शन, प्राण, ऑसू, हस्ताक्षर, होश, बाल, ओठ, दाम, अक्षत, बूंद आदि । आप लोग आ गए।
तुम्हारे हस्ताक्षर ठीक नहीं हुए।
सम्मान प्रकट करते समय बहुवचन का प्रयोग एक व्यक्ति के लिए किया जाता है।
जैसे- प्रेमचंद महान साहित्यकार थे। आप बड़े आदमी हैं।
अभिमान या अधिकार प्रकट करने के लिए एक का प्रयोग बहुवचन में किया जाता है।
जैसे- हमारा मत है कि हिन्दी की शिक्षा पर जोड़ दिया जाए।
हमारा आदेश है कि चोर को उपस्थित किया जाए।
वचन की पहचान
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के द्वारा वचन की पहचान होती है।
वचन परिवर्तन के नियम
1. पुंलिग शब्दों में ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर
पुंल्लिग शब्दों के अन्त में ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है। जैसे
2. स्त्रीलिंग शब्दों में ‘इ-ई’ को ‘इयाँ’ में बदलकर
स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘इ-ई’ को ‘इयाँ’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है। जैसे
3. स्त्रीलिंग शब्दों में ‘अ’ को ‘एँ’ में बदलकर
स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘अ’ को ‘एँ’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे
पुस्तक – पुस्तकें
गॉठ – गाँठें
गाय – गायें
4. स्त्रीलिंग शब्दों में ‘या’ को ‘याँ’ में बदलकर
स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘या’ को ‘याँ’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे
चिड़िया – चिड़ियाँ
चुहिया – चुहियाँ
लुटिया – लुटियाँ
कुटिया – कुटियाँ
5. स्त्रीलिंग शब्दों में ‘आ’ को “एँ’ में बदलकर
स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘आ’ को ‘एँ’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे
लता – लताएँ
कन्या – कन्याएँ
गाथा – गाथाएँ
कथा – कथाएँ
6. स्त्रीलिंग शब्दों में ‘उ’, ‘ऊ’ ‘औ’ को ‘एँ’ में बदलकर
स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘उ’ ‘ऊ’ ‘औ’ को “एँ’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे
वस्तु – वस्तुएँ
वधू – वधुएँ
गौ – गौएँ
7. सम्बन्ध बताने वाले शब्दों का बहुवचन नहीं बनता है।
जैसे
चाचा – चाचा
नाना – नाना
मामा – मामा
दादा – दादा
8. ‘ओ’ और ‘औ’ से अन्त होने वाले शब्दों के कर्ता कारक में कोई परिवर्तन नहीं होता है। जैसे जौ- जौ, ऊधो – ऊधो